सितंबर 2025 में सूर्य और चंद्र ग्रहण: भारत में दृश्यता, सूतक काल, राशियों पर प्रभाव और धार्मिक महत्व

सितंबर 2025 में सूर्य और चंद्र ग्रहण: भारत में दृश्यता, सूतक काल, राशियों पर प्रभाव और धार्मिक महत्व

Surya_Chandra_Grahan_in_september | ज्योतिष शास्त्र में सूर्य और चंद्र ग्रहण को न केवल खगोलीय घटना माना जाता है, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी इन्हें अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। ये ग्रहण ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति और मानव जीवन पर अपने प्रभाव के लिए जाने जाते हैं। साल 2025 में चार ग्रहण होने वाले हैं, जिनमें से दो पहले ही हो चुके हैं—पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को और पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च को। ये दोनों ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दिए थे, इसलिए इनका सूतक काल भी मान्य नहीं हुआ। अब सितंबर 2025 में दो और ग्रहण होने जा रहे हैं—एक चंद्र ग्रहण और एक सूर्य ग्रहण। आइए, इन ग्रहणों की तारीख, समय, दृश्यता, सूतक काल, राशियों पर प्रभाव और धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं।

चंद्र ग्रहण 2025: तारीख, समय और दृश्यता

साल 2025 का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को भाद्रपद मास की शुक्ल पूर्णिमा को लगेगा। यह एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जो भारत समेत विश्व के कई हिस्सों में दिखाई देगा। भारतीय समयानुसार, यह ग्रहण निम्नलिखित समय पर होगा:

  • शुरुआत: 7 सितंबर 2025, रात 9:57 बजे

  • मध्यकाल: 7 सितंबर 2025, रात 11:42 बजे

  • समाप्ति: 8 सितंबर 2025, रात 1:26 बजे

  • कुल अवधि: 3 घंटे 29 मिनट

यह ग्रहण भारत, पूरे एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप (फ्रांस, इंग्लैंड, जर्मनी, इटली), न्यूजीलैंड, अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। यह ग्रहण शनि की राशि कुंभ और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में घटित होगा। इस दौरान राहु और चंद्रमा भी कुंभ राशि में रहेंगे, जो इसे ज्योतिषीय दृष्टिकोण से विशेष महत्व प्रदान करता है।

सूतक काल

चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले शुरू होता है। इस चंद्र ग्रहण का सूतक काल 7 सितंबर 2025 को दोपहर 12:35 बजे से शुरू होगा और ग्रहण की समाप्ति तक रहेगा। सूतक काल में धार्मिक कार्य, पूजा-पाठ और शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।

धार्मिक महत्व

यह चंद्र ग्रहण पितृपक्ष के पहले दिन लगेगा, जो धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। पितृपक्ष में पितरों की पूजा और तर्पण का विशेष महत्व होता है, और इस दौरान ग्रहण का होना इसे और भी विशेष बनाता है। इस समय शनि मीन राशि में वक्री होंगे, जो राशियों पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं।

सूर्य ग्रहण 2025: तारीख, समय और दृश्यता

साल 2025 का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के दिन लगेगा। यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, जिसका विवरण निम्नलिखित है:

  • शुरुआत: 21 सितंबर 2025, रात 10:59 बजे

  • समाप्ति: 22 सितंबर 2025, सुबह 3:24 बजे

  • कुल अवधि: 4 घंटे 24 मिनट

यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, क्योंकि यह रात के समय होगा और भारत में इसकी दृश्यता नहीं होगी। यह ग्रहण मुख्य रूप से न्यूजीलैंड, फिजी, ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका, प्रशांत महासागर और अटलांटिक महासागर के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। यह ग्रहण कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में होगा। इस दौरान सूर्य, चंद्रमा और बुध कन्या राशि में होंगे, और मीन राशि में वक्री शनि की पूर्ण दृष्टि इन पर रहेगी।

सूतक काल

चूंकि यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। इस कारण मंदिरों के कपाट खुले रहेंगे, और सामान्य धार्मिक कार्य बिना किसी रुकावट के किए जा सकेंगे।

धार्मिक महत्व

सूर्य ग्रहण का धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व होता है, लेकिन चूंकि यह भारत में दिखाई नहीं देगा, इसका धार्मिक प्रभाव भारत में नहीं माना जाएगा। यह ग्रहण सर्वपितृ अमावस्या के दिन लगेगा, जो पितरों की पूजा के लिए महत्वपूर्ण दिन है। हालांकि, भारत में इसकी दृश्यता न होने के कारण इसका कोई विशेष धार्मिक प्रभाव नहीं होगा।

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चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण: वैज्ञानिक और ज्योतिषीय परिप्रेक्ष्य

चंद्र ग्रहण

चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आती है, और चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण में चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में छिप जाता है, जिसके कारण यह लाल रंग का दिखाई दे सकता है, जिसे ब्लड मून भी कहा जाता है। इस बार का चंद्र ग्रहण पूर्ण होगा, जो इसे और भी रोमांचक बनाता है।

सूर्य ग्रहण

सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच आता है, जिससे सूर्य का प्रकाश आंशिक या पूर्ण रूप से अवरुद्ध हो जाता है। आंशिक सूर्य ग्रहण में चंद्रमा सूर्य के केवल एक हिस्से को ढकता है, जबकि वलयाकार ग्रहण में सूर्य की बाहरी रिंग दिखाई देती है, जिसे रिंग ऑफ फायर कहा जाता है। इस बार का सूर्य ग्रहण आंशिक होगा।

राशियों पर प्रभाव

चंद्र ग्रहण का प्रभाव विभिन्न राशियों पर अलग-अलग होगा, विशेष रूप से क्योंकि यह पितृपक्ष के दौरान और शनि के वक्री होने के समय हो रहा है। निम्नलिखित राशियों पर इसका प्रभाव देखा जा सकता है:

  • कर्क, मीन, मकर, मिथुन, वृश्चिक, धनु: इन राशियों के लिए चंद्र ग्रहण शुभ रहेगा। इस दौरान आकस्मिक धन लाभ, कारोबार में तरक्की, नौकरी में पदोन्नति, निवेश से लाभ, विवाह के प्रस्ताव, और रुके हुए धन की प्राप्ति हो सकती है। संपत्ति या वाहन खरीदने के लिए भी समय अनुकूल रहेगा।

  • वृषभ, सिंह, कन्या, तुला, कुंभ: इन राशियों पर चंद्र ग्रहण का मिश्रित प्रभाव रहेगा। इन राशियों के जातकों को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है, विशेष रूप से आर्थिक मामलों और पारिवारिक विवादों में।

  • कुंभ: यह ग्रहण कुंभ राशि में होने के कारण इस राशि के जातकों के लिए आध्यात्मिक साधना और आत्मचिंतन के लिए शुभ समय होगा।

  • मीन: मीन राशि के जातकों को आर्थिक मामलों में सतर्क रहना होगा। खर्चों पर नियंत्रण और सोच-समझकर निवेश की सलाह दी जाती है।

  • कन्या: कन्या राशि के लिए यह ग्रहण शत्रुओं पर विजय और कार्यक्षेत्र में सफलता दिला सकता है। छात्रों और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों के लिए शुभ परिणाम मिल सकते हैं।

  • तुला: तुला राशि के जातकों को पारिवारिक और दांपत्य जीवन में सावधानी बरतनी होगी। विवादों से बचने की सलाह दी जाती है।

सूर्य ग्रहण का भारत में दृश्य न होने के कारण इसका राशियों पर कोई विशेष प्रभाव नहीं माना जाएगा।

ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या न करें

ग्रहण के दौरान, विशेष रूप से चंद्र ग्रहण के सूतक काल में, कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए:

क्या करें:

  • दान-पुण्य: ग्रहण समाप्ति के बाद गरीबों को अन्न, धन और वस्त्र दान करना शुभ माना जाता है।

  • शुद्धिकरण: ग्रहण के बाद घर और पूजा स्थल पर गंगाजल का छिड़काव करके शुद्धिकरण करें।

  • मंत्र जाप: भगवान के नाम का जाप करें, विशेष रूप से चंद्रमा से संबंधित मंत्र जैसे “ॐ सोम सोमाय नमः”।

  • धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन: ग्रहण के दौरान धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना शुभ होता है।

क्या न करें:

  • पूजा-पाठ: सूतक काल और ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ और शुभ कार्य न करें। पूजा स्थल को पर्दे से ढक दें।

  • खान-पान: ग्रहण और सूतक काल में भोजन बनाना या खाना वर्जित है। खाद्य पदार्थों में तुलसी के पत्ते डालकर रखें।

  • गर्भवती महिलाएं: गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान बाहर न निकलने और ग्रहण न देखने की सलाह दी जाती है।

  • अन्य कार्य: बाल कटवाना, तेल लगाना, सिलाई-कढ़ाई, चाकू चलाना, और सोना वर्जित है।

  • नंगी आंखों से ग्रहण देखना: चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से देखने से बचें।

सितंबर 2025 में लगने वाले चंद्र और सूर्य ग्रहण खगोलीय और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा और इसका सूतक काल मान्य होगा, जबकि सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, इसलिए इसका धार्मिक प्रभाव नहीं होगा। पितृपक्ष के दौरान होने के कारण चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व है, और यह विभिन्न राशियों पर अलग-अलग प्रभाव डालेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के दौरान सावधानियां बरतना और ग्रहण समाप्ति के बाद शुद्धिकरण और दान-पुण्य करना शुभ माना जाता है। Surya_Chandra_Grahan_in_september

अस्वीकरण: यह जानकारीसामान्य मान्यताओं, ज्योतिष,पंचांग और धार्मिकग्रंथों पर आधारित है। इन पर अमल करने से पहले अपने ज्योतिषाचार्य या पंडित से सलाह लें।Surya_Chandra_Grahan_in_september 


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