सुसनेर में झूला झूलनी ग्यारस पर भव्य रूप में निकले बेवान

पालकियों में विराजमान हुए लाडले कन्हैया, बजरंग मठ अखाड़े के करतबों ने मोहा मन

सुसनेर। धार्मिक उत्सवों की परंपरा को जीवंत करते हुए सुसनेर नगर में झूला झूलनी ग्यारस का पर्व इस वर्ष भी बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा-भाव के साथ मनाया गया। पूरे नगर में भक्ति, उल्लास और उत्साह का अद्भुत संगम देखने को मिला।

पालकियों में निकले लाडले कन्हैया

नगर के प्रमुख मार्गों से देर रात तक पालकियों और बेवानों की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। आकर्षक रोशनी, फूलों और सजावट से सजी पालकियों में लाडले कन्हैया विराजमान होकर नगरवासियों को दर्शन देते रहे। जैसे ही पालकियां विभिन्न चौक-चौराहों पर पहुँचीं, श्रद्धालुओं ने आरती उतारी और पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।

बजरंग मठ अखाड़े का प्रदर्शन रहा आकर्षण का केंद्र

आयोजन की सबसे खास झलक रही बजरंग मठ अखाड़े के बजरंगियों का प्रदर्शन। बजरंगियों ने तलवार, भाले और परंपरागत शस्त्रों से हैरतअंगेज करतब दिखाए। आग और अन्य खतरनाक करतबों को देख लोग रोमांचित हो उठे। दर्शक लगातार तालियों की गड़गड़ाहट से उनका उत्साहवर्धन करते रहे।

भक्तिमय हुआ माहौल

नगर में जगह-जगह अखाड़े और पालकियों का स्वागत करने के लिए श्रद्धालु खड़े दिखाई दिए। हर चौक-चौराहे पर सजीव झांकियां, रंग-बिरंगी रोशनियां और भक्ति गीतों की गूंज से वातावरण भक्तिमय हो गया। महिलाएं, पुरुष और बच्चे सभी उत्सव में शामिल होकर देर रात तक आनंदित होते रहे।

कथा और परंपरा से जुड़ा पर्व

ढोल ग्यारस (झूला झूलनी ग्यारस) से जुड़ी कुछ लोक मान्यताएँ और कथाएँ ऐसी भी प्रचलित हैं, जिनमें यशोदा मैया और बाल कृष्ण को नदी पर स्नान कराने ले जाने की कथा का उल्लेख मिलता है।

लोक परंपरा में कहा जाता है कि

भाद्रपद शुक्ल एकादशी (ढोल ग्यारस) के दिन यशोदा मैया ने बालकृष्ण को स्नान कराने के लिए यमुना नदी पर ले जाया।

जब मैया यशोदा कान्हा को गोदी में लेकर नदी तट पर पहुँचीं तो

गोकुलवासियों ने भी बड़ी श्रद्धा के साथ नदी स्नान और पूजा-अर्चना की।

मान्यता है कि इस दिन नदी में स्नान करने और भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करने से सभी पापों का नाश होता है।

इस दिन भगवान स्वयं भक्तों के बीच जाते हैं।

भक्तों का स्नान और पूजा उनके साथ मिलकर पूर्ण होती है।

ढोल का संबंध

इस अवसर पर गोकुलवासियों ने ढोल-नगाड़े बजाकर उत्सव मनाया और बालकृष्ण का स्वागत किया।

इसी वजह से यह पर्व “ढोल ग्यारस” कहलाया।

गाँव-गाँव में आज भी माना जाता है कि ढोल ग्यारस पर अगर माता अपने बच्चों को नदी पर स्नान कराए और श्रीकृष्ण का स्मरण करे तो

बच्चे निरोगी और दीर्घायु होते हैं।

परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

Leave a Comment

अहान पांडे कौन हैं? साउथ के मशहूर विलेन कोटा श्रीनिवास का निधन Kota Srinivasa Rao death news शर्मनाक जांच! ठाणे के स्कूल में छात्राओं के कपड़े उतरवाए गए अर्चिता फुकन और Kendra Lust की वायरल तस्‍वीरें! जानिए Babydoll Archi की हैरान कर देने वाली कहानी बाइक और स्कूटर चलाने वालों के लिए बड़ी खबर! Anti-Lock Braking System लो हो गया पंचायत सीजन 4 रिलीज, यहां देखें