चीन दौरे पर किम जोंग उन का जूठा गिलास साथ ले गए अधिकारी, बैठने की कुर्सी तक साफ की गई, आखिर क्यों नेता विदेशों में नहीं छोड़ते अपना DNA?
Why World Leaders Hide Their DNA | उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपनी विदेश यात्राओं के दौरान अपनी जैविक जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए असाधारण कदम उठाते हैं। हाल ही में बीजिंग में हुई एक मुलाकात के बाद किम जोंग उन की टीम द्वारा उनके द्वारा छुई गई हर वस्तु की फोरेंसिक स्तर की सफाई ने दुनिया भर में चर्चा बटोरी। यह केवल किम तक सीमित नहीं है; पुतिन भी अपने मल और मूत्र को विशेष बैग में इकट्ठा कर मॉस्को वापस ले जाते हैं। आखिर क्यों विश्व के बड़े नेता अपने DNA को इतनी सावधानी से बचाते हैं? आइए जानते हैं इस गुप्त रणनीति के पीछे की वजहें और इसका वैश्विक महत्व। Why World Leaders Hide Their DNA
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किम जोंग उन की बीजिंग यात्रा और सफाई अभियान
3 सितंबर 2025 को बीजिंग में आयोजित एक भव्य सैन्य परेड के बाद किम जोंग उन और व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात हुई। इस मुलाकात के तुरंत बाद, किम की सुरक्षा टीम ने कमरे में प्रवेश किया और उनके द्वारा छुई गई हर चीज—कुर्सी, गिलास, टेबल—को बारीकी से साफ किया। एक वायरल वीडियो में देखा गया कि एक स्टाफ सदस्य ने किम की कुर्सी के आर्मरेस्ट और पीठ को सावधानीपूर्वक पोंछा, जबकि दूसरा उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए गिलास को विशेष ट्रे में रखकर ले गया। रूसी पत्रकार अलेक्जेंडर युनाशेव ने बताया कि यह प्रक्रिया इतनी सटीक थी मानो कोई फोरेंसिक टीम अपराध स्थल से सबूत मिटा रही हो।
यह पहली बार नहीं था जब किम की टीम ने ऐसा किया। 2019 में हनोई में डोनाल्ड ट्रंप के साथ शिखर सम्मेलन के दौरान भी उनकी टीम ने सिगरेट के टुकड़े, माचिस की तीलियां, और अन्य छोटी-छोटी चीजों को सावधानी से इकट्ठा किया था। किम की हर विदेश यात्रा में उनकी टीम यह सुनिश्चित करती है कि उनके DNA, लार, बाल, या उंगलियों के निशान कहीं न रह जाएं। Why World Leaders Hide Their DNA
किम का निजी शौचालय और सिगरेट बट कलेक्शन
किम जोंग उन अपनी हर विदेश यात्रा में एक निजी शौचालय साथ ले जाते हैं। चाहे वह उनकी बख्तरबंद ट्रेन हो या कोई अन्य वाहन, एक विशेष बाथरूम हमेशा उनके साथ होता है। यहां तक कि फैक्ट्री या सैन्य ठिकानों के दौरे के दौरान भी उनके लिए विशेष शौचालय की व्यवस्था की जाती है। इसका उद्देश्य उनके मल, मूत्र, या अन्य जैविक पदार्थों को विदेशी एजेंसियों के हाथों में जाने से रोकना है। उनकी टीम सिगरेट के बट, इस्तेमाल किए गए टिश्यू, और यहां तक कि उनके द्वारा छुए गए दस्तावेजों को भी सावधानी से इकट्ठा करती है।
2019 की हनोई यात्रा के दौरान, किम की टीम ने उनके द्वारा छोड़े गए हर निशान को हटाने के लिए विशेष प्रोटोकॉल अपनाया था। उनकी अपनी कलम का उपयोग करना, होटल के कमरों की गहन सफाई, और उनके द्वारा छुई गई हर वस्तु को इकट्ठा करना उनकी रणनीति का हिस्सा है। दक्षिण कोरियाई खुफिया सूत्रों के अनुसार, यह प्रोटोकॉल उत्तर कोरिया के शासक की शारीरिक स्थिति को गुप्त रखने के लिए बनाया गया है, क्योंकि उनकी सेहत का शासन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। Why World Leaders Hide Their DNA
पुतिन की ‘पूप सूटकेस’ रणनीति
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी अपने जैविक निशानों को लेकर उतने ही सतर्क हैं। 15 अगस्त 2025 को अलास्का में डोनाल्ड ट्रंप के साथ मुलाकात के दौरान, पुतिन की टीम ने उनके मल को विशेष बैग में इकट्ठा कर मॉस्को वापस भेजा। यह प्रथा 2017 से चली आ रही है, जब पुतिन ने फ्रांस की यात्रा के दौरान भी ऐसा ही किया था।
रिपोर्ट्स के अनुसार, पुतिन के अंगरक्षक उनके मूत्र और मल को सीलबंद बैग में इकट्ठा करते हैं, जिन्हें विशेष सूटकेस में रखकर रूस लाया जाता है। इसका उद्देश्य उनकी सेहत से जुड़ी कोई भी जानकारी—जैसे थायराइड कैंसर, पार्किंसन, या हृदय रोग की अफवाहों—को दुश्मन देशों तक पहुंचने से रोकना है। 1999 में राष्ट्रपति बनने के बाद से पुतिन ने इस प्रोटोकॉल को सख्ती से लागू किया है। Why World Leaders Hide Their DNA
DNA सुरक्षा क्यों है महत्वपूर्ण?
DNA और जैविक जानकारी की सुरक्षा आज के दौर में राष्ट्रीय सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि DNA से किसी व्यक्ति की आनुवंशिक बीमारियों, शारीरिक कमजोरियों, या स्वास्थ्य स्थिति का पता लगाया जा सकता है। ऐसी जानकारी का उपयोग न केवल ब्लैकमेलिंग के लिए हो सकता है, बल्कि इसे राजनयिक दबाव या प्रचार के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए, यदि किसी नेता की स्वास्थ्य स्थिति कमजोर साबित होती है, तो इसे उनके देश की राजनीतिक स्थिरता को कमजोर करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। दक्षिण कोरियाई खुफिया अधिकारियों के अनुसार, किम जोंग उन की शारीरिक स्थिति का उत्तर कोरिया के शासन पर गहरा प्रभाव पड़ता है, यही कारण है कि उनकी जैविक जानकारी को गुप्त रखने के लिए इतने कड़े कदम उठाए जाते हैं।
हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि DNA का उपयोग सीधे तौर पर किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए अभी तक संभव नहीं है। फिर भी, यह जानकारी जासूसी, प्रचार, या मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए पर्याप्त हो सकती है। यही कारण है कि जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मेर्ज़ और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने 2022 में रूस की ओर से प्रस्तावित कोविड टेस्ट को अस्वीकार कर दिया था, ताकि उनके नाक के स्वैब से DNA न लिया जा सके। Why World Leaders Hide Their DNA
वैश्विक नेताओं में DNA सुरक्षा की बढ़ती चिंता
किम और पुतिन अकेले नहीं हैं जो अपने जैविक निशानों को लेकर सतर्क हैं। दुनिया भर के कई नेता इस तरह की सावधानियां बरतते हैं। उदाहरण के लिए, 2017 में पुतिन और डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात के दौरान भी रूसी सुरक्षा कर्मियों ने इसी तरह के प्रोटोकॉल का पालन किया था। Why World Leaders Hide Their DNA
यह प्रथा अब एक सामान्य सुरक्षा प्रोटोकॉल बन चुकी है, खासकर उन देशों में जहां नेताओं की स्वास्थ्य जानकारी को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ा जाता है। रूस और उत्तर कोरिया जैसे देशों में, जहां नेतृत्व की छवि को अजेय और मजबूत दिखाना महत्वपूर्ण है, जैविक जानकारी का लीक होना राजनीतिक अस्थिरता का कारण बन सकता है। Why World Leaders Hide Their DNA
जैविक जानकारी की सुरक्षा अब केवल व्यक्तिगतगोपनीयता का मामला नहीं, बल्कि राष्ट्रीय और वैश्विक सुरक्षा का एक नया क्षेत्र बन गया है। जैसे-जैसे तकनीक विकसित हो रही है, DNA और जैविक डेटा का दुरुपयोग एक गंभीर खतरा बन सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में DNA आधारित जासूसी या जैविक हथियारों का विकास एक नई चुनौती बन सकता है। Why World Leaders Hide Their DNA
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किम जोंग उन और पुतिन जैसे नेताओं की यह सतर्कता दिखाती है कि जैविकजानकारी को अब एक ‘हथियार’ के रूप में देखा जा रहा है। उनकी यह रणनीति न केवल उनकीव्यक्तिगत सुरक्षा को सुनिश्चित करती है, बल्किउनके देशों की रणनीतिकस्थिति को भी मजबूत रखने का प्रयास है। Why World Leaders Hide Their DNA
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।