पितृ दोष कितनी पीढ़ियों तक रहता है? गरुड़ पुराण से जानें इसके लक्षण और निवारण के उपाय
Pitra dosh kitni pidhiyon tak rahta hai | हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह वह समय है जब हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं, उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं। इस साल 2025 में पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर तक चलेगा। लेकिन अगर पूर्वजों का सम्मान न किया जाए या उनके प्रति कोई गलती हो जाए, तो पितृ दोष लग सकता है। यह दोष न केवल एक व्यक्ति को प्रभावित करता है, बल्कि कई पीढ़ियों तक परिवार को परेशान कर सकता है। आइए, गरुड़ पुराण के आधार पर जानते हैं कि पितृ दोष क्या है, यह कितनी पीढ़ियों तक रहता है, इसके लक्षण क्या हैं और इससे छुटकारा पाने के उपाय क्या हैं। Pitra dosh kitni pidhiyon tak rahta hai
पितृ दोष क्या है?
पितृ दोष एक ऐसा कर्म बंधन है, जो पूर्वजों के अधूरे कर्मों, उनकी आत्मा की अशांति या उनके प्रति की गई उपेक्षा के कारण उत्पन्न होता है। यह दोष परिवार के एक या कई सदस्यों को प्रभावित करता है और कई बार पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, अगर पूर्वजों का विधिवत श्राद्ध, तर्पण या अंतिम संस्कार न किया जाए, तो उनकी आत्मा को शांति नहीं मिलती, जिसके कारण परिवार पर पितृ दोष का प्रभाव पड़ता है।
कई मान्यताओं के अनुसार, पितृ दोष सात पीढ़ियों तक परिवार को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, कुछ शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि जब तक पितृ दोष का निवारण नहीं किया जाता, तब तक यह परिवार में किसी न किसी रूप में बना रहता है। यह जरूरी नहीं कि हर परिवार के हर व्यक्ति को यह दोष प्रभावित करे। यह व्यक्ति के पिछले जन्मों के कर्मों और वर्तमान कर्मों पर भी निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, एक ही परिवार में दो भाई-बहनों में से केवल एक को ही यह दोष प्रभावित कर सकता है, खासकर अगर उसके पिछले कर्म कमजोर हों।
पितृ दोष के लक्षण
पितृ दोष के प्रभाव से परिवार और व्यक्ति के जीवन में कई तरह की परेशानियां आ सकती हैं। निम्नलिखित कुछ प्रमुख लक्षण हैं:
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संतान सुख में बाधा: संतान प्राप्ति में देरी, संतान का बार-बार बीमार होना या उनकी पढ़ाई-करियर में असफलता।
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पारिवारिक अशांति: घर में बेवजह झगड़े, तनाव और क्लेश का माहौल।
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आर्थिक परेशानियां: धन की कमी, व्यापार में नुकसान या नौकरी में रुकावट।
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विवाह में रुकावट: शादी में देरी या रिश्ते टूटना।
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स्वास्थ्य समस्याएं: परिवार में बार-बार बीमारियां, विशेष रूप से अचानक होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं।
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मानसिक अशांति: निराशा, चिड़चिड़ापन, अवसाद या बेवजह डर का अनुभव।
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आकस्मिक हादसे: परिवार में बार-बार दुर्घटनाएं या अकाल मृत्यु का भय।
पितृ दोष के कारण
गरुड़ पुराण और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पितृ दोष के कई कारण हो सकते हैं:
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श्राद्ध और तर्पण न करना: पूर्वजों का विधिवत श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान न करना।
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पूर्वजों का अपमान: माता-पिता या बुजुर्गों का अनादर करना या उनकी इच्छाओं की उपेक्षा करना।
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पाप कर्म: परिवार के किसी सदस्य द्वारा जीव-जंतुओं, सांपों या असहाय लोगों के प्रति अत्याचार या हत्या करना।
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कुंडली में दोष: ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में सूर्य के साथ राहु या केतु का दूसरे, आठवें या दसवें भाव में होना।
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अधूरे कर्म: पूर्वजों के अधूरे धार्मिक कार्य या दान-पुण्य न करना।
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अपवित्र कार्य: घर में मांस-मदिरा का सेवन या पाप कर्मों का होना।
पितृ दोष से मुक्ति के उपाय
पितृ पक्ष पितृ दोष से मुक्ति पाने का सबसे उत्तम समय माना जाता है। गरुड़ पुराण और शास्त्रों में बताए गए निम्नलिखित उपाय अपनाकर आप पितृ दोष के प्रभाव को कम कर सकते हैं:
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श्राद्ध और तर्पण करें:
पितृ पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों की पुण्यतिथि पर विधिवत श्राद्ध और तर्पण करें। जल, तिल, जौ और कुश के साथ तर्पण अर्पित करें। ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं। -
कुलदेवता की पूजा:
अपने कुलदेवी या कुलदेवता की नियमित पूजा करें। अगर कुलदेवता नाराज हों, तो भी पितृ दोष का प्रभाव बढ़ सकता है। उन्हें वस्त्र, फूल और भोग अर्पित करें। -
महामृत्युंजय मंत्र का जप:
महामृत्युंजय मंत्र का नियमित जप करें और हवन करवाएं। इसके साथ ही पार्थिव शिवलिंग बनाकर कम से कम सवा लाख शिवलिंग की पूजा करें। -
पीपल की पूजा:
पीपल के पेड़ को पितरों का प्रतीक माना जाता है। पितृ पक्ष में दोपहर के समय पीपल के नीचे गंगाजल, काले तिल, दूध और फूल अर्पित करें। -
ब्राह्मणों को भोजन:
ब्राह्मणों को खीर, पूरी और हलवा खिलाएं। जरूरतमंदों को दान देना भी पितृ दोष को कम करने में मदद करता है। -
दक्षिण दिशा में दीपदान:
रोजाना शाम को दक्षिण दिशा में तेल का दीपक जलाएं। यह पितृ दोष को शांत करने का प्रभावी उपाय है। -
पूर्वजों की तस्वीर की पूजा:
घर की दक्षिण दिशा में पूर्वजों की तस्वीर लगाएं और उनके सामने रोजाना दीपक या अगरबत्ती जलाएं। -
शिव पूजा:
भगवान शिव की पूजा और रुद्राभिषेक पितृ दोष को कम करने में सहायक है।
पितृपक्ष 2025 न केवल अपने पूर्वजों को याद करने का समय है, बल्कि यह पितृदोष से मुक्तिपाने का भी सुनहरा अवसर है। यह दोष सात पीढ़ियों तक प्रभाव डाल सकता है, लेकिनशास्त्रों में बताए गए उपायों को अपनाकर आप इसे कम कर सकते हैं। अपने कर्मों को शुद्ध रखें, पूर्वजों का सम्मान करें और नियमित रूप से श्राद्ध-तर्पण करें। इससे न केवल पितरों की आत्मा को शांति मिलेगी, बल्कि आपके परिवार में सुख, समृद्धि और शांति भी आएगी।
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।