गंगा नदी के घाट सूखे, श्रद्धालु नहीं कर पाएंगे स्नान!
Ganga Water Crisis | हरिद्वार, 15 अक्टूबर: पवित्र गंगा नदी [Ganga river] में स्नान का सपना लिए हरिद्वार पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को इस बार गहरा झटका लगने वाला है। गंगनहर के 20 दिनों के लिए बंद होने के कारण हर की पैड़ी और आसपास के गंगा घाटों पर जल का स्तर इतना कम हो गया है कि स्नान करना लगभग असंभव हो गया है। 1 नवंबर तक गंगनहर में पानी छोड़ने की संभावना नहीं है, जिससे श्रद्धालु शरद पूर्णिमा जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर पर भी गंगा स्नान से वंचित रह सकते हैं।
सूखें घाट,श्रद्धालु निराश
हर की पैड़ी और अन्य गंगा घाट सदियों से आस्था और श्रद्धा का केंद्र रहे हैं। यहां गंगा स्नान का धार्मिक महत्व इतना अधिक है कि लोग दूर-दूर से यहां आकर पवित्र स्नान करते हैं। लेकिन गंगनहर के बंद होने से श्रद्धालुओं को गंगा में स्नान करने के लिए पर्याप्त जल नहीं मिल पा रहा है। हर की पैड़ी पर जल का स्तर इतना गिर चुका है कि घाट लगभग सूखे पड़े हैं, जिससे वहां स्नान करने पहुंचे श्रद्धालु निराश होकर लौट रहे हैं।
श्रद्धालु, जो विशेष रूप से शरद पूर्णिमा के मौके पर गंगा स्नान के लिए हरिद्वार पहुंच रहे हैं, जल संकट से प्रभावित हो रहे हैं। गंगा में स्नान न कर पाने के कारण उनकी धार्मिक आस्थाएं अधूरी रह जा रही हैं, जिससे उनमें निराशा और असंतोष फैल रहा है।
गंगनहर बंद करने कारण
उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अंतर्गत आने वाली गंगनहर को हर साल कुछ दिनों के लिए सफाई और मरम्मत के कार्य हेतु बंद किया जाता है। इस बार नहर को 20 दिनों के लिए बंद किया गया है, और 1 नवंबर को इसे फिर से खोल दिया जाएगा। नहर की मरम्मत और सफाई के इस कार्य का उद्देश्य भविष्य में जल प्रवाह को बेहतर और सुचारु बनाए रखना है।
सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह प्रक्रिया जरूरी है ताकि नहर में पानी की गुणवत्ता और मात्रा को बनाए रखा जा सके। यदि समय पर नहर की मरम्मत नहीं की गई, तो इससे भविष्य में जल प्रवाह बाधित हो सकता है। विभाग ने यह भी बताया कि इस बंदी की सूचना पहले से ही स्थानीय प्रशासन और संबंधित एजेंसियों को दी जा चुकी थी, ताकि आवश्यक व्यवस्थाएं की जा सकें।
शरद पूर्णिमा पर श्रद्धालु होंगे परेशान
इस समय का सबसे बड़ा धार्मिक पर्व, शरद पूर्णिमा, 16 अक्टूबर को है। इस शुभ अवसर पर गंगा स्नान का अत्यधिक महत्व होता है, और बड़ी संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार आकर गंगा में स्नान करते हैं। लेकिन इस बार गंगनहर में जल की कमी के चलते श्रद्धालुओं को स्नान करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। जल स्तर की कमी के कारण इस पवित्र दिन पर गंगा स्नान की योजना बनाने वाले श्रद्धालु प्रभावित होंगे।
प्रशासन का कहना है कि वे स्थिति को नियंत्रित करने और श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा से बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, 1 नवंबर से पहले गंगनहर में जल प्रवाह संभव नहीं हो सकेगा, जिससे इस समय तक जल संकट बना रहेगा।
प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण समय
हरिद्वार प्रशासन के सामने इस समय एक बड़ी चुनौती यह है कि इतने बड़े धार्मिक स्थल पर जल संकट की स्थिति से कैसे निपटा जाए। हर साल शरद पूर्णिमा के अवसर पर हजारों श्रद्धालु हर की पैड़ी आते हैं, और उनके लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक बड़ी जिम्मेदारी है। पानी की कमी न केवल श्रद्धालुओं के लिए परेशानी का कारण बन रही है, बल्कि स्थानीय व्यापारियों के लिए भी चिंता का विषय है, क्योंकि धार्मिक यात्राओं पर आधारित व्यापार में गिरावट आ रही है।
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प्रशासन ने घाटों पर साफ-सफाई और अन्य सुविधाओं का ध्यान रखते हुए विशेष कदम उठाए हैं। अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती की गई है और घाटों की स्वच्छता बनाए रखने के लिए नियमित सफाई अभियान चलाया जा रहा है। हालांकि, जल संकट के चलते स्नान करने के इच्छुक श्रद्धालुओं के लिए यह समय कठिन साबित हो रहा है।
जल संकट पर जल्द राहत की उम्मीद
1 नवंबर के बाद जब गंगनहर में फिर से जल प्रवाह शुरू होगा, तब हर की पैड़ी और अन्य गंगा घाटों पर जल स्तर सामान्य हो जाएगा। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि इसके बाद से श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी होगी, और घाटों पर एक बार फिर से चहल-पहल लौट आएगी। सिंचाई विभाग और प्रशासन ने यह भी कहा है कि भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचने के लिए बेहतर प्रबंधन योजनाएं तैयार की जाएंगी।
गंगा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है, और हरिद्वार में गंगा के जल संकट ने श्रद्धालुओं के लिए चिंताजनक स्थिति पैदा कर दी है। हालांकि, प्रशासन और सिंचाई विभाग की ओर से जल्द ही समाधान मिलने की उम्मीद है, जिससे श्रद्धालु फिर से गंगा स्नान का लाभ उठा सकेंगे।
हरिद्वार के हर की पैड़ी पर जल संकट की स्थिति ने इस समय श्रद्धालुओं के बीच निराशा फैला दी है। गंगनहर की मरम्मत और सफाई के चलते जल प्रवाह 1 नवंबर तक बंद रहेगा, जिससे शरद पूर्णिमा के शुभ अवसर पर गंगा स्नान करने आने वाले श्रद्धालु प्रभावित हो रहे हैं। प्रशासन द्वारा स्थिति को सुधारने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन तब तक श्रद्धालुओं को जल संकट का सामना करना पड़ेगा।
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।