सांड लाल रंग देखकर भड़कता है या नहीं: मिथक और विज्ञान का सच

सांड लाल रंग देखकर भड़कता है या नहीं: मिथक और विज्ञान का सच

Saand laal rang dekhkar bhadakta hai | बचपन से ही हम सभी ने फिल्मों, कहानियों, और यहां तक कि टीवी विज्ञापनों में भी यह सुना है कि सांड लाल रंग देखकर भड़क जाते हैं। इस धारणा का सबसे अधिक प्रचार “बुलफाइटिंग” या “बैलफाइटिंग” की परंपरा में हुआ है, जहाँ एक मैटाडोर (बैलफाइटर) लाल कपड़े (जिसे “म्यूलेटा” कहा जाता है) का प्रयोग करके सांड को अपने ओर आकर्षित करता है। इस प्रक्रिया ने लोगों के मन में यह विचार बैठा दिया कि लाल रंग सांड को उग्र बना देता है। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा होता है, या यह सिर्फ एक मिथक है? इस लेख में हम इस सवाल का गहन विश्लेषण करेंगे और विज्ञान की मदद से इसका उत्तर जानने का प्रयास करेंगे।

सांड की दृष्टि और रंगों की पहचान का विज्ञान

सांड (या बैल) दरअसल एक विशेष प्रकार के रंगबोध के साथ जन्मते हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो सांड, जैसे अन्य जानवर, रंगों की पहचान में हमसे भिन्न होते हैं। वे “डाइक्रोमैटिक” दृष्टि रखते हैं, जिसका मतलब है कि वे केवल दो रंगों को देख सकते हैं, जैसे कि नीला और हरा। इसका मतलब यह हुआ कि सांडों को लाल रंग वैसे भी साफ नजर नहीं आता।

मनुष्यों में तीन प्रकार की शंकु कोशिकाएं होती हैं, जो उन्हें रंग पहचानने में मदद करती हैं। इन्हीं कोशिकाओं के कारण हम लाल, नीला, और हरा रंग देख पाते हैं। परंतु सांडों में केवल दो प्रकार की शंकु कोशिकाएं होती हैं। इससे यह साबित होता है कि सांड लाल रंग नहीं देख सकते। उनके लिए लाल रंग एक धूसर रंग जैसा प्रतीत होता है।

बैलफाइटिंग में लाल कपड़े का उपयोग और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

बैलफाइटिंग की परंपरा, विशेषकर स्पेन में, काफी पुरानी है। इसमें मैटाडोर एक लाल रंग का कपड़ा लहराता है और सांड उस ओर आकर्षित होकर हमला करता है। लोगों के बीच यह धारणा फैल गई कि सांड लाल रंग देखकर गुस्से में आ जाते हैं। असल में, लाल कपड़े का उपयोग केवल परंपरा और प्रदर्शन के उद्देश्य से होता है।

मैटाडोर लाल कपड़ा इसलिए लहराते हैं ताकि दर्शकों का ध्यान उस पर रहे और उन्हें एक रोमांचक अनुभव मिले। इसके अलावा, जब सांड की लड़ाई होती है, तो उसके अंत में लाल कपड़ा खून के धब्बों को छिपाने में भी सहायक होता है। इससे सांड को आक्रामक दिखाने में मदद मिलती है, और दर्शक इसे एक आकर्षक दृश्य के रूप में देखते हैं।

सांड का स्वभाव और आक्रामकता की वास्तविक वजह

सांड एक प्राकृतिक रूप से रक्षक प्रवृत्ति वाला जानवर है, जो बाहरी आक्रामकता या किसी भी चुनौती पर प्रतिक्रिया देता है। यह उनकी सहज वृत्ति होती है, न कि किसी विशेष रंग को देखकर पैदा हुई आक्रामकता। जब कोई मैटाडोर लाल कपड़े को लहराता है, तो सांड के लिए यह कपड़ा केवल एक हिलता हुआ वस्तु प्रतीत होता है और उसकी ओर आकर्षित होकर वह प्रतिक्रिया देता है।

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दरअसल, सांड के गुस्से या आक्रामकता का कारण यह नहीं होता कि कपड़ा लाल है। यह कपड़ा लाल न होकर किसी भी अन्य रंग का हो सकता है, सांड की प्रतिक्रिया फिर भी वैसी ही होगी। यह कपड़ा हिलने की वजह से सांड को उत्तेजित करता है, और वह इसे अपनी ओर से एक चुनौती मानता है। यह उस जानवर के स्वभाव का एक हिस्सा है, जिससे वह अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करता है।

मिथक का उदय और विज्ञान द्वारा इसके खंडन की कहानी

लोगों ने लंबे समय तक यह मान लिया कि सांड लाल रंग देखकर उत्तेजित हो जाते हैं। किंतु जैसे-जैसे विज्ञान ने इस क्षेत्र में अनुसंधान किया, यह धारणा धीरे-धीरे टूटने लगी। 20वीं शताब्दी में हुए कुछ प्रयोगों ने इस मिथक को गलत साबित किया।

एक प्रसिद्ध प्रयोग में, वैज्ञानिकों ने तीन अलग-अलग रंगों के कपड़े सांड के सामने लहराए – एक लाल, एक नीला, और एक सफेद। यह पाया गया कि सांड ने सभी कपड़ों पर समान आक्रामकता दिखाई, बिना रंग के किसी अंतर का फर्क किए। इससे यह सिद्ध हुआ कि लाल रंग का सांड के गुस्से से कोई संबंध नहीं है।

सांड और मनुष्यों के बीच के अन्य मिथक

सांडों से जुड़े कई मिथक और भ्रांतियां हैं, जिनमें सबसे आम है कि वे स्वभाव से ही आक्रामक होते हैं। वास्तविकता यह है कि सांड का व्यवहार उसके आसपास के माहौल और परिस्थितियों पर निर्भर करता है। जब उसे खतरा महसूस होता है, तो वह आक्रामकता दिखा सकता है। इसलिए यह सोचना कि सांड हमेशा ही हिंसक होते हैं, पूरी तरह गलत है।

इसी तरह, सांडों के बारे में यह भी मान्यता है कि वे अपनी झुंड प्रवृत्ति के कारण हमेशा समूह में रहते हैं, जबकि यह भी उनकी नस्ल और परिवेश पर निर्भर करता है। कुछ सांड व्यक्तिगत रूप से शांत होते हैं और कुछ सांड ज्यादा आक्रामक।

“सांड लाल रंग देखकर भड़कता है” इस धारणा का मुख्य कारण मानव कल्पना और अन्वेषण में गहराई से बैठी हुई मानसिकता है। वास्तविकता यह है कि सांड लाल रंग से आक्रामक नहीं होते; बल्कि उनकी आक्रामकता का कारण वस्त्र का हिलना और उसके प्रति प्राकृतिक प्रतिक्रिया होती है।

यह जानना जरूरी है कि किसी भी जानवर के स्वभाव और व्यवहार को सही तरीके से समझा जाए और मिथकों और भ्रांतियों से दूरी बनाई जाए। विज्ञान के इस युग में, हमारे पास पर्याप्त अनुसंधान और जानकारी है, जो हमें इस तरह की बातों की सच्चाई तक पहुँचाने में मदद करती है।

अंततः, सांड का आक्रामकता दिखाना उसके प्राकृतिक स्वभाव और प्रतिक्रिया का हिस्सा है, न कि लाल रंग का परिणाम। इसलिए अगली बार जब कोई कहे कि सांड लाल रंग देखकर भड़कता है, तो आप उन्हें विज्ञान द्वारा सिद्ध तथ्य से अवगत करा सकते हैं।

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