महाराष्ट्र में बीजेपी गठबंधन की सुनामी: महायुति को 200+ सीटें, महाविकास अघाड़ी धराशायी

महाराष्ट्र में बीजेपी गठबंधन की सुनामी: महायुति को 200+ सीटें, महाविकास अघाड़ी धराशायी

Maharashtra Vidhan Sabha Election Result | महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के रुझान (Trends) ने यह साफ कर दिया है कि राज्य में महायुति (Mahayuti) गठबंधन की सरकार बनना तय है। बीजेपी, शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) के गठबंधन ने 288 सीटों में से 200 से ज्यादा सीटों पर बढ़त बनाकर विपक्ष को हाशिये पर ला दिया है। दूसरी ओर, कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और एनसीपी (शरद पवार गुट) का महाविकास अघाड़ी (Maha Vikas Aghadi) महज 50 सीटों पर सिमटता नजर आ रहा है।

इस चुनाव में कई खास मुद्दे और नारे काम कर गए, जिनकी वजह से यह परिणाम आया है। आइए, विस्तार से समझते हैं कि कैसे बीजेपी (BJP) और उसकी सहयोगी पार्टियों ने यह प्रचंड जीत हासिल की।


बढ़े मतदान और बदलता राजनीतिक समीकरण

महाराष्ट्र की 288 सीटों पर 20 नवंबर को मतदान हुआ, जिसमें 65.11% वोटिंग दर्ज की गई। यह 2019 के मुकाबले करीब 4% ज्यादा है। 2019 में 61.4% मतदान हुआ था। इस बार के अधिक मतदान (Increased Voter Turnout) को बीजेपी के पक्ष में देखा जा रहा है।

पिछले विधानसभा चुनाव (2019) में बीजेपी को 105 सीटें मिली थीं, लेकिन शिवसेना (अविभाजित) ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। हालांकि, यह गठबंधन ज्यादा समय तक टिक नहीं पाया। 2022 में शिवसेना में विभाजन हुआ और एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। इसी बीच, एनसीपी भी दो गुटों में बंट गई, जिसमें अजित पवार का गुट बीजेपी के साथ आ गया।


योगी-मोदी के नारों ने साधा समीकरण

इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नारा “बंटेंगे तो कटेंगे” (Bantenge To Katenge) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का “एक हैं तो सेफ हैं” (Ek Hain To Safe Hain) बेहद प्रभावी साबित हुआ।

  • योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र में हिंदुत्व (Hindutva) का आक्रामक प्रचार किया, जिससे ध्रुवीकरण (Polarization) हुआ।
  • पीएम मोदी के “एक हैं तो सेफ हैं” नारे ने एकजुटता (Unity) का संदेश देकर मतदाताओं को महायुति के पक्ष में लामबंद किया।

महायुति का संगठित प्रदर्शन

महायुति में शामिल तीनों पार्टियों (बीजेपी, शिवसेना-शिंदे गुट, एनसीपी-अजित पवार गुट) ने रणनीतिक रूप से काम किया।

  1. शिवसेना-शिंदे गुट (Shiv Sena Shinde Faction) ने पारंपरिक शिवसेना वोटरों को बीजेपी के पक्ष में खड़ा किया।
  2. एनसीपी-अजित पवार गुट (NCP Ajit Pawar Faction) ने मराठा वोटरों को साधने में मदद की।
  3. बीजेपी ने हिंदुत्व और विकास के मुद्दों को जोर-शोर से उठाया।

महिला मतदाताओं (Women Voters) को साधने के लिए महाराष्ट्र सरकार की ‘मुख्यमंत्री मेरी लाडली बहन योजना’ (Mukhyamantri Meri Ladli Behna Yojana) बेहद कारगर साबित हुई। इस योजना के तहत पात्र महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये दिए जा रहे हैं।

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महाविकास अघाड़ी के लिए नकारात्मक फैक्टर

महाविकास अघाड़ी (MVA) के पास इस बार मजबूत रणनीति नहीं थी।

  • मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) और बेरोजगारी (Unemployment) जैसे मुद्दे उनके पक्ष में नहीं गए।
  • कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट), और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) में सामंजस्य की कमी दिखी।
  • बीजेपी के आक्रामक प्रचार और ध्रुवीकरण (Polarization) के चलते महाविकास अघाड़ी के मुद्दे कमजोर पड़ गए।

लाडली बहन योजना का असर

मध्य प्रदेश में बीजेपी की ‘लाडली बहना योजना’ (Ladli Behna Yojana) की सफलता के बाद महाराष्ट्र में भी इसे लागू किया गया। जून 2024 में शुरू की गई इस योजना ने महिला मतदाताओं को बड़ी संख्या में बीजेपी की ओर आकर्षित किया।


ध्रुवीकरण और हिंदुत्व का प्रभाव

महाराष्ट्र की राजनीति में इस बार ध्रुवीकरण (Polarization) ने निर्णायक भूमिका निभाई।

  • बीजेपी ने हिंदुत्व के एजेंडे को सामने रखा।
  • योगी आदित्यनाथ का “बंटेंगे तो कटेंगे” नारा महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों में असरदार रहा।
  • हालांकि, कुछ क्षेत्रों में इस नारे को लेकर तीखी प्रतिक्रिया हुई, क्योंकि महाराष्ट्र की राजनीति आमतौर पर उत्तर भारत की तुलना में अलग मानी जाती है।

महायुति की बड़ी बढ़त का कारण

  1. हिंदुत्व का मुद्दा (Hindutva Agenda): बीजेपी और योगी आदित्यनाथ ने इसे जोरदार ढंग से उठाया।
  2. ध्रुवीकरण (Polarization): धार्मिक आधार पर मतदाताओं को गोलबंद किया गया।
  3. महिला सशक्तिकरण योजनाएं (Women Empowerment Schemes): ‘लाडली बहन योजना’ इसका प्रमुख उदाहरण है।
  4. सटीक रणनीति (Strategic Alliance): महायुति ने शिवसेना और एनसीपी के बंटवारे का फायदा उठाया।

2019 बनाम 2024: बड़ा अंतर

2019 के चुनाव में बीजेपी को 105 सीटें, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं। लेकिन 2024 के चुनाव में तस्वीर पूरी तरह बदल गई।

  • शिवसेना का विभाजन और अजित पवार का बीजेपी के साथ जाना, चुनावी समीकरण को पूरी तरह से बदलने वाला साबित हुआ।
  • महाविकास अघाड़ी के लिए 2019 की तरह गठबंधन की ताकत दिखाना संभव नहीं हुआ।

क्या कह रहे हैं नेता?

  • सीएम एकनाथ शिंदे (CM Eknath Shinde): “तीनों पार्टियां मिलकर तय करेंगी कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा।”
  • देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis): “यह जीत जनता का आशीर्वाद है। हम विकास और सुरक्षा के लिए काम करेंगे।”
  • शरद पवार (Sharad Pawar): “ध्रुवीकरण और धनबल की राजनीति ने लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाया है।”

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति (Mahayuti) की प्रचंड जीत ने राज्य की राजनीति में नया दौर शुरू कर दिया है। बीजेपी और उसके सहयोगियों ने हिंदुत्व (Hindutva), ध्रुवीकरण (Polarization), और विकास योजनाओं के जरिए जनता का विश्वास जीता। दूसरी ओर, महाविकास अघाड़ी (MVA) रणनीतिक तौर पर कमजोर दिखाई दी।

यह चुनाव परिणाम यह साबित करता है कि सटीक रणनीति और मजबूत नेतृत्व के जरिए बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं। महायुति (Mahayuti) की यह सफलता बीजेपी के लिए राज्य की राजनीति में मजबूत पकड़ बनाने का प्रमाण है।


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