शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग: क्या भारत सौंपेगा बांग्लादेश को शेख हसीना… जानिए प्रत्यर्पण समझौता क्या कहता है
Sheikh Hasina Extradition | बांग्लादेश सरकार ने भारत से अपनी पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को प्रत्यर्पित करने की आधिकारिक मांग की है। बांग्लादेश के विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन ने इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने कहा, “हमने भारत सरकार को एक राजनयिक चिट्ठी भेजी है, जिसमें शेख हसीना को कानून का सामना करने के लिए वापस भेजने की मांग की गई है।”
तख्तापलट और शेख हसीना का भारत में शरण
5 अगस्त को बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद शेख हसीना ने भारत में शरण ली। यूनुस सरकार के सत्ता में आने के बाद, शेख हसीना पर हत्या, अपहरण और देशद्रोह जैसे 225 से अधिक मामलों में आरोप लगाए गए हैं। बांग्लादेश सरकार का दावा है कि भारत में रहते हुए शेख हसीना द्वारा दिए जा रहे बयान दोनों देशों के संबंधों को खराब कर रहे हैं।
बांग्लादेश के गृह मामलों के सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी ने भी पुष्टि की कि शेख हसीना के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उन्होंने कहा, “भारत और बांग्लादेश के बीच अपराधियों की अदला-बदली को लेकर समझौता है। शेख हसीना का प्रत्यर्पण इसी समझौते के तहत किया जाएगा।” Sheikh Hasina Extradition
भारत-बांग्लादेश प्रत्यर्पण समझौता
भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण समझौता 2013 में हुआ था। उस समय, भारत पूर्वोत्तर के उग्रवादी समूहों को बांग्लादेश में पनाह लेने से रोकना चाहता था। वहीं, बांग्लादेश के प्रतिबंधित संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन के सदस्य भारत में शरण ले रहे थे। दोनों देशों ने इन समस्याओं से निपटने के लिए यह समझौता किया। इस समझौते के तहत, दोनों देश एक-दूसरे के यहां छिपे भगोड़ों को लौटाने की मांग कर सकते हैं। लेकिन इसमें राजनीतिक मामलों से जुड़े मामलों में प्रत्यर्पण से इनकार का प्रावधान भी है। हालांकि, हत्या और अपहरण जैसे संगीन अपराधों में यह प्रावधान लागू नहीं होता। 2016 में इस समझौते में संशोधन किया गया। इसके मुताबिक, प्रत्यर्पण की मांग करने वाले देश को अपराध के सबूत देने की जरूरत नहीं है। वारंट ही पर्याप्त माना जाएगा। इस संशोधन के कारण शेख हसीना की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। Sheikh Hasina Extradition
भारत के इनकार के संभावित आधार
भारत-बांग्लादेश प्रत्यर्पण समझौते के अनुच्छेद 8 में प्रत्यर्पण से इनकार के प्रावधान दिए गए हैं। इनमें शामिल हैं:
- सबूतों की कमी: यदि आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं।
- सैन्य अपराध: यदि मामला सैन्य अपराध से जुड़ा हो, जो सामान्य आपराधिक कानून के तहत मान्य न हो।
- घरेलू मुकदमा: अनुच्छेद 7 के तहत, प्रत्यर्पण की मांग को नामंजूर करते हुए संबंधित व्यक्ति के खिलाफ अपने देश में मुकदमा चलाने का विकल्प दिया जा सकता है।
- भारत शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए इनकार करते हुए कह सकता है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप ठोस आधार पर नहीं हैं। हालांकि, इससे भारत और बांग्लादेश के संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
भारत-बांग्लादेश के पुराने उदाहरण
इस समझौते के तहत, 2015 में बांग्लादेश ने यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) के नेता अनूप चेतिया को भारत को सौंपा था। इसके बदले, भारत ने भी बांग्लादेश के कई भगोड़ों को वापस भेजा है।
शेख हसीना का भारत में भविष्य
भारत के सामने शेख हसीना का मामला एक बड़ी चुनौती है। यदि भारत उन्हें प्रत्यर्पित करता है, तो यह बांग्लादेश की नई सरकार के साथ संबंधों को मजबूत कर सकता है। लेकिन, अगर भारत इनकार करता है, तो इससे दोनों देशों के संबंधों में खटास आ सकती है। भारत को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि शेख हसीना के प्रत्यर्पण का फैसला अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवीय आधार पर सही हो। शेख हसीना का मामला भारत और बांग्लादेश के बीच एक संवेदनशील मुद्दा बन गया है। भारत को अपने राजनयिक और कानूनी दायित्वों को संतुलित करते हुए इस मामले में फैसला लेना होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत और बांग्लादेश के रिश्ते इस घटनाक्रम से किस दिशा में आगे बढ़ते हैं। Sheikh Hasina Extradition
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