मध्यप्रदेश में डिजिटल जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण नियम 2024 लागू: मंत्रि-परिषद के अहम निर्णय
Madhya Pradesh Digital Birth-Death Certificate | भोपाल: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक गुरुवार को मंत्रालय में संपन्न हुई। इस बैठक में राज्य के विकास और प्रशासन को डिजिटल और जनसुलभ बनाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इनमें सबसे अहम मध्यप्रदेश जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण नियम, 2024 को लागू करने की स्वीकृति शामिल है।
जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण नियम 2024: डिजिटल युग की ओर कदम
नए नियमों के तहत जन्म और मृत्यु प्रमाण-पत्रों के डिजिटल रजिस्ट्रीकरण और इलेक्ट्रॉनिक वितरण को कानूनी रूप से मान्यता दी गई है। यह कदम राज्य में जन्म और मृत्यु संबंधी डाटाबेस के राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय एकीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है।
मुख्य विशेषताएँ:
- प्रमाण-पत्र का डिजिटलकरण: जन्म और मृत्यु प्रमाण-पत्रों को अब डिजिटल माध्यम से जारी किया जाएगा।
- डाटाबेस निर्माण: राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर जन्म और मृत्यु का समग्र डाटाबेस तैयार किया जाएगा।
- विशेष श्रेणियों के लिए प्रावधान: दत्तक, सरोगेसी से जन्मे बच्चों, अनाथ, परित्यक्त और अविवाहित माता-पिता के बच्चों के लिए रजिस्ट्रीकरण प्रक्रिया को सरल बनाया गया है।
- आपदा में त्वरित रजिस्ट्रीकरण: महामारी या आपदा जैसी स्थिति में मृत्यु के तत्काल रजिस्ट्रीकरण के लिए विशेष “उप-रजिस्ट्रार” की नियुक्ति का प्रावधान है।
- विलंबित रजिस्ट्रीकरण के नए नियम: 30 दिन से अधिक विलंब होने पर अब शपथ-पत्र के स्थान पर स्व-अनुप्रमाणित दस्तावेज मान्य होंगे। एक वर्ष से अधिक विलंब पर अनुमोदन का अधिकार जिला मजिस्ट्रेट या उनके प्राधिकृत अधिकारी को दिया गया है।
यह कदम आम जनता को सुगमता प्रदान करेगा, साथ ही सरकार की कार्यप्रणाली को अधिक पारदर्शी और तकनीकी रूप से उन्नत बनाएगा।
11 के.वी. फीडर्स को सौर ऊर्जा से ऊर्जीकृत करने की स्वीकृति
राज्य में कृषकों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए 11 के.वी. फीडर्स को सौर ऊर्जा से संचालित करने का निर्णय लिया गया। इससे किसानों को दिन के समय बिजली उपलब्ध होगी, जिससे उनकी सिंचाई की व्यवस्था सुदृढ़ होगी।
योजना की मुख्य बातें:
- प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम योजना) के अंतर्गत यह कार्य किया जाएगा।
- प्रत्येक मेगावाट सौर संयंत्र के लिए केंद्र सरकार 1.05 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
- इससे विद्युत ट्रांसफार्मरों पर भार कम होगा और पावर कट जैसी समस्याओं में कमी आएगी।
क्षिप्रा नदी पर घाट निर्माण: सिंहस्थ के लिए विशेष योजना
आगामी सिंहस्थ में श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए मंत्रि-परिषद ने क्षिप्रा नदी के तट पर 29.215 किमी लंबे घाट निर्माण के लिए 778.91 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की। यह कार्य शनि मंदिर से नागदा बायपास तक किया जाएगा।
संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी लिंक परियोजना को प्रशासकीय स्वीकृति
मंत्रि-परिषद ने 28,798 करोड़ रुपये की लागत से पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी लिंक परियोजना को स्वीकृति दी। इसके तहत 4.73 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
धरती आबा-जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान को सैद्धांतिक स्वीकृति
राज्य के जनजातीय क्षेत्रों में विभिन्न विभागों की योजनाओं को 100% संतृप्ति के लिए “धरती आबा-जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान” प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया।
आयुष महाविद्यालयों के प्रशिक्षुओं और गृह चिकित्सकों के लिए वेतन वृद्धि
आयुष विभाग के अंतर्गत संचालित 9 महाविद्यालयों में प्रशिक्षुओं और गृह चिकित्सकों के वेतन को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ने का निर्णय लिया गया।
मध्यप्रदेश मंत्रि-परिषद के ये निर्णय राज्य के विकास को गति देने के साथ ही जनता की जरूरतों को केंद्र में रखकर बनाए गए हैं। विशेष रूप से जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण नियम, 2024 डिजिटल युग में प्रशासनिक सुधार का एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा।
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।