षट्तिला एकादशी आज : मोक्ष का द्वार और तिल का दान का अद्भुत महत्व

षट्तिला एकादशी : मोक्ष का द्वार और तिल का अद्भुत महत्व

षट्तिला एकादशी (Shattila Ekadashi) माघ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाला एक ऐसा पुण्यदायी व्रत है, जिसे भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की असीम कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ अवसर माना जाता है। यह व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह भक्त को आध्यात्मिक उन्नति (Spiritual Growth) प्रदान करता है और मोक्ष के मार्ग को प्रशस्त करता है।

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शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भक्त के लिए तिल (Sesame Seeds) का उपयोग अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। तिल का उपयोग छह प्रकार के कार्यों में किया जाता है, जिसके कारण इस एकादशी को “षट्तिला” नाम दिया गया है। इस दिन दान (Charity), सेवा, भक्ति और पूजा (Worship) का विशेष महत्व होता है।

षट्तिला एकादशी का महत्व

पौराणिक ग्रंथ पद्म पुराण (Padma Purana) में इस एकादशी का वर्णन मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने युधिष्ठिर को बताया कि माघ मास के कृष्ण पक्ष की यह एकादशी “षट्तिला” या “पापहारिणी” के नाम से प्रसिद्ध है। यह व्रत समस्त पापों का नाश करता है और आत्मा को शुद्धि (Purification) प्रदान करता है।
श्रीकृष्ण ने यह भी कहा कि इस व्रत से मिलने वाला पुण्य कन्या दान, हजारों वर्षों की तपस्या और स्वर्ण दान से भी अधिक है। इस व्रत को करने से परिवार में सुख-शांति (Peace), समृद्धि और जीवन में सकारात्मकता आती है।

इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) अपने भक्तों के समर्पण से प्रसन्न होकर उन्हें सुख, शांति और अक्षय पुण्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। मान्यता है कि यह व्रत भक्त के तीनों तापों—दैहिक, दैविक और भौतिक—को समाप्त करता है।


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षट्तिला एकादशी की पूजा विधि (Rituals of Shattila Ekadashi)

  1. स्नान (Bath): प्रातःकाल जल्दी उठकर जल में तिल (Sesame) और गंगा जल (Ganga Water) मिलाकर स्नान करें।
  2. भगवान विष्णु की पूजा (Worship of Lord Vishnu): पंचामृत, पुष्प, तुलसी, चंदन, कपूर और तिल से बने नैवेद्य के साथ भगवान विष्णु की पूजा करें।
  3. मंत्र जप (Chanting of Mantras): इस दिन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें और विष्णुसहस्रनाम (Vishnu Sahasranama) का पाठ करें।
  4. अर्घ्य (Offering): भगवान विष्णु को पेठा (Petha), नारियल, सीताफल और सुपारी सहित अर्घ्य दें।
  5. रात्रि जागरण (Night Vigil): रातभर भगवान विष्णु के नाम का कीर्तन और भजन करें।

तिल दान का महत्व (Significance of Sesame Donation)

मत्स्य पुराण (Matsya Purana) के अनुसार, इस दिन तिल से बने मिष्ठान, जल का घड़ा, छाता, जूता और गरम वस्त्र दान करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।
तिल के दान का महत्व इस प्रकार है:

  • तिल से बना भोजन दान करें।
  • तिल मिश्रित जल से स्नान करें।
  • तिल का उबटन लगाएं।
  • तिल से हवन करें।
  • तिल से भरा पात्र ब्राह्मणों को दान करें।

शास्त्रों में वर्णित है कि तिल के दान से स्वर्ग में हजारों वर्षों तक वास करने का अवसर मिलता है।

षट्तिला एकादशी का आध्यात्मिक लाभ

यह व्रत भक्त के जीवन को शांति, समृद्धि और सकारात्मकता से भर देता है। इस दिन का व्रत व्यक्ति के मन और आत्मा को शुद्ध करता है। यह व्रत मोक्ष (Salvation) का मार्ग प्रशस्त करता है और सभी प्रकार के पापों को नष्ट करता है।

षट्तिला एकादशी और तिल के छह उपयोग

षट्तिला एकादशी में तिल का छह रूपों में उपयोग किया जाता है:

  1. स्नान (Bathing with Sesame)
  2. हवन (Homa with Sesame)
  3. उबटन (Application of Sesame Paste)
  4. पान (Drinking Sesame Mixed Water)
  5. भोजन (Eating Sesame Foods)
  6. दान (Donation of Sesame)

इन छह कार्यों के कारण इस एकादशी को “षट्तिला” कहा जाता है। यह व्रत भक्त को दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से मुक्त करता है।

षट्तिला एकादशी केवल व्रत और पूजा तक सीमित नहीं है। यह दिन भक्त के लिए दान (Charity), भक्ति और सेवा का अनमोल संगम है। इस व्रत का पालन करने से भक्त भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करता है और जीवन में शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

यदि आप अपने जीवन को पापों से मुक्त और आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करना चाहते हैं, तो षट्तिला एकादशी का व्रत अवश्य करें। भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की कृपा आपके जीवन को सुख, शांति और सकारात्मकता से भर देगी।


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