PM मोदी क्यों देखेंगे फ्रांस की न्यूक्लियर साइट?

PM मोदी क्यों देखेंगे फ्रांस की न्यूक्लियर साइट?

PM Modi France Visit | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस के अपने दौरे के दौरान इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) साइट का दौरा करेंगे। यह परियोजना परमाणु संलयन (Nuclear Fusion) ऊर्जा के विकास के लिए एक वैश्विक प्रयास है, जिसमें भारत एक प्रमुख भागीदार है, इस दौरे का उद्देश्य भारत को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक नेता बनाने की दिशा में आगे बढ़ना है।

ITER परियोजना: भारत की भूमिका

ITER दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु संलयन परियोजना है, जिसका उद्देश्य सूरज की ऊर्जा उत्पादन प्रक्रिया को पृथ्वी पर दोहराना है, यह परियोजना फ्रांस के कैडारशे में स्थित है और इसमें 35 देश शामिल है, भारत ने इस परियोजना में 2 बिलियन डॉलर (लगभग 17,300 करोड़ रुपये) का निवेश किया है और इसके लिए मेड इन इंडिया क्रायोस्टेट जैसे महत्वपूर्ण उपकरणो का योगदान दिया है।

भारत की परमाणु ऊर्जा महत्वाकांक्षा

भारत का लक्ष्य 2047 तक 100 गीगावाट की परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करना है, यह लक्ष्य देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • भारत में वर्तमान में परमाणु ऊर्जा से केवल 3% बिजली उत्पादन होता है।
  • देश का लक्ष्य 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करना है। जो लगभग 6 करोड़ घरों को एक साल तक बिजली दे सकती है।
  • भारत ने परमाणु ऊर्जा अनुसंधान और विकास मे 2 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश करने का वादा किया है।

परमाणु ऊर्जा का महत्व

  1. जलवायु परिवर्तन से लड़ाई:
    परमाणु ऊर्जा से बिजली उत्पादन के दौरान शून्य कार्बन उत्सर्जन होता है, जो जलवायु परिवर्तन को रोकने में मदद करता है।
  2. ऊर्जा सुरक्षा:
    परमाणु ऊर्जा भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ाने में मदद करेगी और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करेगी।
  3. लगातार ऊर्जा आपूर्ति:
    सौर और पवन ऊर्जा के विपरीत, परमाणु ऊर्जा 24×7 उपलब्ध होती है और मौसम पर निर्भर नहीं होती।

चुनौतियां

  1. उच्च लागत:
    परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना में भारी निवेश और लंबा समय लगता है। एक परमाणु संयंत्र को स्थापित करने में 6-10 साल लग सकते हैं, जबकि सौर ऊर्जा संयंत्र को केवल 1 साल में बनाया जा सकता है।
  2. सार्वजनिक विरोध:
    परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं को लेकर स्थानीय लोगों में सुरक्षा और पर्यावरणीय चिंताएं हैं। उदाहरण के लिए, तमिलनाडु के कुडनकुलम और महाराष्ट्र में प्रस्तावित परमाणु संयंत्रों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं।
  3. रेडियोधर्मी कचरा:
    परमाणु ऊर्जा उत्पादन के दौरान रेडियोधर्मी कचरा उत्पन्न होता है, जिसके निपटान की चुनौती है।

अमेरिका और फ्रांस के साथ सहयोग

  • फ्रांस: ITER परियोजना में भारत और फ्रांस का सहयोग परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की क्षमताओं को बढ़ाएगा।
  • अमेरिका: प्रधानमंत्री मोदी फ्रांस के बाद अमेरिका जाएंगे, जहां वह राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात करेंगे। अमेरिका के साथ परमाणु ऊर्जा सहयोग को मजबूत करने की उम्मीद है। अमेरिकी कंपनियां छोटे और सस्ते परमाणु रिएक्टरों के विकास में अग्रणी हैं, जो भारत के लिए फायदेमंद हो सकता है।

भारत की रणनीति

  1. कानूनी सुधार:
    भारत परमाणु दायित्व कानून में बदलाव करने की योजना बना रहा है ताकि निजी क्षेत्र और विदेशी निवेशकों को आकर्षित किया जा सके।
  2. छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR):
    भारत छोटे और सस्ते परमाणु रिएक्टरों में निवेश कर रहा है, जो कम समय में बनाए जा सकते हैं और कम बिजली उत्पादन करते हैं।
  3. सार्वजनिक जागरूकता:
    परमाणु ऊर्जा के फायदों और सुरक्षा उपायों के बारे में लोगों को शिक्षित करना जरूरी है ताकि सार्वजनिक विरोध को कम किया जा सके। PM Modi France Visit

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