वरमाला के बाद शादी टूटी: कुल देवता पर अटकी बात, बरात बिना दुल्हन लौटी
UP News | उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां एक शादी के दौरान वरमाला और सात फेरे लेने के बाद अचानक शादी टूट गई। यह घटना तब हुई जब वर-वधू पक्ष के कुल देवता अलग-अलग होने की बात सामने आई, जिसके चलते दुल्हन के परिवार ने शादी को रद्द करने का निर्णय लिया। इस अनोखी घटना ने न केवल दोनों परिवारों को बल्कि पूरे क्षेत्र को भी चौंका दिया है। UP News
यह मामला सफदरगंज थाना क्षेत्र के रुदौली गांव का है। यहां के निवासी गिरधारी की बेटी रंजना की शादी असंद्रा क्षेत्र के तेलमा मजरे पारा इब्राहिम गांव निवासी गंगाराम रावत के बेटे आशीष कुमार से तय हुई थी। शादी की तैयारियां धूमधाम से की गईं, जिसमें दोनों परिवारों ने मिलकर कई रस्में निभाईं। रविवार को बरात आई, जिसमें बैंड-बाजा, मिठाइयाँ और अन्य उत्सव का माहौल था। बरातियों का जोरदार स्वागत किया गया, और सभी ने मिलकर शादी की खुशियों का आनंद लिया।
शादी की रस्में
शादी की रस्में पूरी धूमधाम से संपन्न हुईं। जयमाल की रस्म के बाद, वर और वधू ने साथ में सात फेरे लिए, जो भारतीय विवाह की एक महत्वपूर्ण परंपरा है। इस दौरान सभी मेहमानों ने खुशियाँ मनाईं और दूल्हा-दुल्हन को आशीर्वाद दिया। लेकिन, जैसे ही विदाई का समय आया, एक अप्रत्याशित मोड़ आया।
विदाई से पहले का हंगामा
सोमवार सुबह जब विदाई का समय आया, तो अचानक एक विवाद खड़ा हो गया। किसी ने यह ध्यान दिलाया कि दोनों परिवारों के कुल देवता अलग-अलग हैं। यह सुनते ही वधू पक्ष के लोग नाराज हो गए। रंजना के मामा रामनेवाज ने कहा कि वर पक्ष ने इस महत्वपूर्ण जानकारी को छुपाया और उन्हें धोखा दिया। उन्होंने कहा, “कुल देवता की मान्यता हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अगर यह अलग हैं, तो यह शादी नहीं हो सकती।”
इस विवाद ने शादी के माहौल को पूरी तरह से बदल दिया। वधू पक्ष ने तुरंत शादी को रद्द करने का ऐलान कर दिया और वर पक्ष से खर्च की भरपाई की मांग की। यह स्थिति दोनों परिवारों के लिए बेहद तनावपूर्ण हो गई।
थाने में पंचायत का दौर
मामला बढ़ता देख दोनों पक्ष थाने पहुंचे। पुलिस ने मामले को सुलझाने के लिए पंचायत बुलाई। वर पक्ष ने आरोप लगाया कि वधू पक्ष ने शादी के दौरान दिए गए जेवर हड़प लिए हैं। वहीं, वधू पक्ष ने शादी से हुए खर्च की भरपाई की मांग रखी। पूरे दिन थाने में पंचायत चलती रही, जिसमें दोनों पक्षों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा।
पंचायत में दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी बातें रखीं। वधू पक्ष ने कहा कि उन्हें वर पक्ष की ओर से धोखा दिया गया है, जबकि वर पक्ष ने कहा कि वधू पक्ष ने बिना किसी कारण के शादी तोड़ने का निर्णय लिया। अंततः, दोनों पक्षों ने सहमति जताई और शादी को रद्द करने का निर्णय लिया।
बिन दुल्हन लौटी बरात
इस घटना के बाद, बैंड-बाजे के साथ धूमधाम से आई बरात को बिना दुल्हन के ही वापस लौटना पड़ा। यह दृश्य न केवल दुखद था, बल्कि पूरे गांव में चर्चा का विषय बन गया। लोग इस अनोखी घटना को लेकर हैरान थे कि कैसे एक छोटी सी बात ने एक बड़े समारोह को बर्बाद कर दिया।
क्षेत्र में चर्चा का विषय
इस घटना ने पूरे क्षेत्र में हलचल मचा दी है। लोग इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि कैसे कुल देवता की मान्यता ने एक शादी को तोड़ दिया। कई लोग इसे एक महत्वपूर्ण सबक मानते हैं कि शादी के लिए केवल प्रेम और समझ ही नहीं, बल्कि पारिवारिक परंपराओं और मान्यताओं का भी ध्यान रखना आवश्यक है।
कुल देवता की मान्यता
भारतीय संस्कृति में कुल देवता की मान्यता का विशेष महत्व है। यह मान्यता परिवार की पहचान और उसकी परंपराओं को दर्शाती है। कुल देवता के प्रति श्रद्धा और सम्मान न केवल परिवार के सदस्यों के लिए, बल्कि उनके रिश्तों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। इस मामले ने यह साबित कर दिया कि कभी-कभी छोटी-छोटी बातें भी बड़े फैसले का कारण बन सकती हैं। UP News
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।