शराब नीतियों का काला सच: दिल्ली से तमिलनाडु तक, भ्रष्टाचार और घोटालों का जहरीला कॉकटेल”
India Liquor Policy Scam | शराब नीतियों के नाम पर भ्रष्टाचार और घोटालों का एक जहरीला कॉकटेल पूरे देश में फैला हुआ है। दिल्ली से लेकर तमिलनाडु तक, शराब उद्योग ने राज्यों के लिए एक बड़ा राजस्व स्रोत बनने के बजाय भ्रष्टाचार, काले धन और राजनीतिक-नौकरशाही गठजोड़ का केंद्र बन गया है। केंद्रीय नीति या जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के अभाव में, शरा ब उद्योग पूरी तरह से राज्यों के नियंत्रण में है, जिसके कारण यह फर्जी लाइसेंसिंग, नीतिगत हेराफेरी, काले धन और संदिग्ध सौदों का अड्डा बन गया है। India Liquor Policy Scam
दिल्ली से तमिलनाडु तक: शराब नीतियों का भ्रष्टाचार
दिल्ली, छत्तीसगढ़, झारखंड और तमिलनाडु जैसे राज्यों में शराब नीतियों के नाम पर भ्रष्टाचार और घोटालों की एक लंबी श्रृंखला सामने आई है। शराब न केवल राज्यों के लिए राजस्व का बड़ा स्रोत है, बल्कि यह राजनीतिक हथियार, नौकरशाही का खजाना और भ्रष्टाचार का केंद्र भी बन गया है। केंद्रीय एजेंसियां, जैसे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), इन राज्यों में चल रहे शराब घोटालों की जांच कर रही हैं।
- दिल्ली: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके सहयोगी मनीष सिसोदिया को शराब घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि दिल्ली सरकार ने शराब नीति में बदलाव करके निजी कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया।
- छत्तीसगढ़: यहां के पूर्व आबकारी मंत्री कवासे लकमा को ईडी ने गिरफ्तार किया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके परिवार की भी घोटाले में संलिप्तता की जांच चल रही है।
- तमिलनाडु: तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (TASMAC) से जुड़े शराब घोटाले की जांच ईडी कर रही है। राज्य के आबकारी मंत्री सेंथिल बालाजी भी जांच के दायरे में हैं।
- झारखंड: यहां भी शराब नीति में बदलाव करके निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के आरोप लगे हैं। ईडी इस मामले की जांच कर रही है।
शराब नीतियों का भ्रष्टाचार: कैसे काम करता है यह खेल?
शराब राज्य सूची में आती है, जिसका मतलब है कि हर राज्य अपनी खुद की शराब नीति बनाता है। इस विकेंद्रीकरण के कारण शराब उद्योग में पारदर्शिता की कमी है। राजनेता, नौकरशाह और व्यापारी मिलकर इसका फायदा उठाते हैं। यहां बताया गया है कि यह खेल कैसे काम करता है:
- नीतिगत हेराफेरी: राजनेता अपने हितों के अनुसार शराब नीतियों में बदलाव करते हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने शराब नीति में बदलाव करके निजी कारोबारियों को लाभ पहुंचाया, जिसमें रिश्वतखोरी के आरोप लगे।
- कर संरचना में हेराफेर: शराब पर जीएसटी नहीं लगता है, जिसके कारण राज्यों को इससे सीधा राजस्व मिलता है। यह राजस्व राज्यों के कुल राजस्व का 15-30% तक होता है। राजनेता और नौकरशाह इस राजस्व को हेराफेर करके काले धन में बदल देते हैं।
- चुनावी फंडिंग: शराब नीतियों का इस्तेमाल चुनावी फंडिंग के लिए भी किया जाता है। छत्तीसगढ़ के 4,000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में अवैध शराब सिंडिकेट चलाने का आरोप लगा, जिससे काले धन का निरंतर प्रवाह सुनिश्चित होता था।
- लाइसेंसिंग और कार्टेलीकरण: शराब व्यापार में लाइसेंसिंग प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है। चुनिंदा कंपनियों को लाइसेंस देकर उन्हें बाजार पर एकाधिकार करने दिया जाता है। इसके बदले में राजनेताओं और नौकरशाहों को रिश्वत मिलती है।
तमिलनाडु: राज्य नियंत्रण के बावजूद भ्रष्टाचार
तमिलनाडु में शराब व्यापार पूरी तरह से राज्य के नियंत्रण में है। तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (TASMAC) शराब की बिक्री और वितरण का एकमात्र अधिकारी है। लेकिन, इसके बावजूद यहां भी भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें हैं। खरीद और आपूर्ति श्रृंखला में भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। ईडी ने TASMAC से जुड़े कार्यालयों और परिसरों पर छापे मारकर इसकी जांच शुरू की है।
झारखंड: नीति बदलाव का खेल
झारखंड में भी शराब नीति में बदलाव करके निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के आरोप लगे हैं। यहां एक निजी कंपनी को शराब वितरण पर एकाधिकार देने के लिए नीति में बदलाव किया गया, जिसमें पारदर्शिता के मानदंडों को दरकिनार कर दिया गया। इस मामले में भी ईडी जांच कर रही है।
शराब नीतियों का अंधेरा सच
शराब नीतियों के नाम पर भ्रष्टाचार और घोटालों का यह खेल पूरे देश में फैला हुआ है। राजनेता, नौकरशाह और व्यापारी मिलकर इसका फायदा उठा रहे हैं। शराब न केवल राज्यों के लिए राजस्व का स्रोत है, बल्कि यह काले धन, रिश्वतखोरी और राजनीतिक हितों का जरिया भी बन गया है। जब तक शराब नीतियों में पारदर्शिता और जवाबदेही नहीं लाई जाती, तब तक यह भ्रष्टाचार का अड्डा बना रहेगा। India Liquor Policy Scam
मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।