10 साल के बच्चे अब खोल सकेंगे अपना बैंक खाता! RBI का नया नियम
RBI new guidelines for minor bank accounts | भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बच्चों की वित्तीय साक्षरता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब 10 साल और उससे अधिक उम्र के बच्चे बिना किसी अभिभावक (गार्जियन) की मदद के अपना बैंक खाता खोल सकेंगे और उसे स्वतंत्र रूप से संचालित कर सकेंगे। यह नया नियम बच्चों को छोटी उम्र से ही पैसे की बचत, प्रबंधन और जिम्मेदार खर्च की आदतें सिखाने की दिशा में एक बड़ा बदलाव लाएगा। पहले बच्चे गुल्लक में पैसे जमा करते थे, लेकिन अब वे बैंकिंग की दुनिया में कदम रखेंगे और सेविंग्स अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे वित्तीय शब्दों से परिचित होंगे। RBI new guidelines for minor bank accounts
यह नया नियम न केवल बच्चों को वित्तीय रूप से जागरूक बनाएगा, बल्कि माता-पिता और बैंकों को भी बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने में मदद करेगा। आइए, इस ‘जरूरत की खबर’ में विस्तार से समझते हैं कि RBI का यह क्रांतिकारी फैसला बच्चों की बैंकिंग और बचत की दुनिया में क्या बदलाव लाएगा। फाइनेंशियल एक्सपर्ट जितेंद्र सोलंकी के साथ जानें इस नियम के सभी पहलुओं को। RBI new guidelines for minor bank accounts
RBI का नया नियम: बच्चों के लिए वित्तीय आजादी की शुरुआत
RBI ने 21 अप्रैल, 2025 को एक सर्कुलर जारी कर बच्चों के लिए बैंक खाता खोलने और संचालित करने के नियमों को आसान और समावेशी बनाया। इस नियम के तहत:
- 10 साल और उससे अधिक उम्र के बच्चे: अब बच्चे बिना अभिभावक की सहायता के स्वतंत्र रूप से बचत खाता (सेविंग्स अकाउंट) या सावधि जमा (टर्म डिपॉजिट) खाता खोल सकेंगे।
- 10 साल से कम उम्र के बच्चे: इन बच्चों के लिए खाता खोला जा सकता है, लेकिन इसे उनके माता-पिता या कानूनी अभिभावक (जैसे मां या पिता) द्वारा संचालित किया जाएगा।
- लागू होने की तारीख: यह नियम 1 जुलाई, 2025 से लागू होगा। तब तक बैंकों को अपनी नीतियों को अपडेट करना होगा।
- बैंकों की जिम्मेदारी: बैंकों को बच्चों के खातों के लिए KYC (नो योर कस्टमर) प्रक्रिया को सख्ती से लागू करना होगा और खातों को सुरक्षित रखने के लिए नियम बनाना होगा।
नया नियम कब और कैसे लागू होगा?
RBI ने बैंकों को 1 जुलाई, 2025 तक का समय दिया है ताकि वे अपनी नीतियों को इस नए नियम के अनुरूप बना सकें। इस दौरान बैंकों को निम्नलिखित व्यवस्थाएं करनी होंगी:
- खाता खोलने की प्रक्रिया: बैंकों को बच्चों के लिए खाता खोलने की प्रक्रिया को सरल और सुरक्षित बनाना होगा। इसके लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों विकल्प उपलब्ध होंगे।
- लेन-देन की सीमा: प्रत्येक बैंक अपनी जोखिम प्रबंधन नीति (रिस्क मैनेजमेंट पॉलिसी) के आधार पर बच्चों के खातों में जमा और निकासी की सीमा तय करेगा। उदाहरण के लिए, कुछ बैंक प्रति दिन 2,000 रुपये की लेन-देन सीमा तय कर सकते हैं, जैसा कि SBI के ‘पहला कदम’ और ‘पहली उड़ान’ खातों में देखा गया है।
- अतिरिक्त सुविधाएं: बैंक बच्चों को इंटरनेट बैंकिंग, डेबिट कार्ड, ATM कार्ड और चेकबुक जैसी सुविधाएं दे सकते हैं, लेकिन यह उनकी नीतियों और बच्चे की उम्र पर निर्भर करेगा।
- 18 साल पूरे होने पर: जब बच्चा 18 साल का हो जाएगा, तो बैंक को उससे नए ऑपरेटिंग निर्देश और हस्ताक्षर लेने होंगे। अगर खाता अभिभावक द्वारा संचालित था, तो शेष राशि की पुष्टि की जाएगी।
RBI ने यह फैसला क्यों लिया?
फाइनेंशियल एक्सपर्ट जितेंद्र सोलंकी के अनुसार, इस फैसले का मुख्य उद्देश्य बच्चों में वित्तीय साक्षरता (फाइनेंशियल लिटरेसी) को बढ़ावा देना है। इसके प्रमुख कारण हैं:
- वित्तीय जिम्मेदारी: बच्चे छोटी उम्र से ही बचत, बजट बनाने और समझदारी से खर्च करने की कला सीखेंगे। उदाहरण के लिए, एक 12 साल का बच्चा अपने जन्मदिन के उपहार से मिले 5,000 रुपये को बचत खाते में जमा कर सकता है और उसका ब्याज समझ सकता है।
- आत्मनिर्भरता: खुद का खाता संचालित करने से बच्चों में आत्मविश्वास और स्वतंत्रता की भावना बढ़ेगी।
- वित्तीय समावेशन: यह नियम ग्रामीण और कम आय वाले परिवारों के बच्चों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ेगा, जिससे वे वित्तीय प्रणाली का हिस्सा बन सकेंगे।
- भविष्य की तैयारी: यह बच्चों को वित्तीय निर्णय लेने के लिए तैयार करेगा, जैसे कि पढ़ाई के लिए बचत करना या भविष्य की योजना बनाना।
जितेंद्र सोलंकी कहते हैं, “यह नया नियम बच्चों को केवल बैंक से जोड़ने का नहीं, बल्कि उन्हें जिम्मेदार और वित्तीय रूप से सशक्त नागरिक बनाने का कदम है।”
10 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए क्या व्यवस्था?
10 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए भी बैंक खाता खोला जा सकता है, लेकिन इसे उनके अभिभावक (माता, पिता या कानूनी गार्जियन) द्वारा संचालित किया जाएगा। RBI ने स्पष्ट किया है कि:
- ऐसे खातों में ओवरड्राफ्ट (खाते में जमा राशि से अधिक निकासी) की अनुमति नहीं होगी। खाता हमेशा क्रेडिट बैलेंस में रहना चाहिए।
- अभिभावक खाते में जमा और निकासी की सीमा तय कर सकते हैं ताकि बच्चे अनावश्यक खर्च से बचें।
बैंकों की क्या जिम्मेदारियां होंगी?
RBI ने बैंकों के लिए कुछ सख्त दिशानिर्देश दिए हैं ताकि बच्चों के खाते सुरक्षित और पारदर्शी रहें:
- KYC अनिवार्य: बच्चों के खाते खोलने से पहले बैंकों को बच्चे और अभिभावक (यदि लागू हो) की KYC प्रक्रिया पूरी करनी होगी। इसके लिए आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र या स्कूल आईडी जैसे दस्तावेज चाहिए होंगे।
- सुरक्षा उपाय: बैंकों को बच्चों के खातों में धोखाधड़ी और अनधिकृत लेन-देन को रोकने के लिए नियमित निगरानी करनी होगी।
- पारदर्शिता: बच्चों को खाते की शर्तों, जैसे जमा सीमा, निकासी सीमा और ब्याज दर, के बारे में स्पष्ट रूप से बताया जाएगा।
- 18 साल की उम्र पर बदलाव: जब बच्चा 18 साल का होगा, तो बैंक को खाते को वयस्क खाते में बदलने के लिए नए निर्देश और हस्ताक्षर लेने होंगे।
बच्चे कितना लेन-देन कर सकेंगे?
बच्चों के खातों में लेन-देन की सीमा हर बैंक की अपनी नीति पर निर्भर करेगी। कुछ उदाहरण:
- SBI के पहला कदम और पहली उड़ान खाते: इन खातों में प्रति दिन 2,000 रुपये की लेन-देन सीमा है।
- अन्य बैंक: कुछ बैंक अधिकतम 1 लाख रुपये तक की जमा सीमा और न्यूनतम 10,000 रुपये का बैलेंस अनिवार्य कर सकते हैं।
- बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चे की उम्र, वित्तीय समझ और जोखिम को ध्यान में रखते हुए उचित सीमा तय की जाए।
इसके अलावा, माता-पिता या अभिभावक बच्चों के लिए निकासी सीमा तय कर सकते हैं ताकि वे अनावश्यक खर्च से बचें। उदाहरण के लिए, एक अभिभावक अपने 11 साल के बच्चे के लिए प्रति माह 1,000 रुपये की निकासी सीमा तय कर सकता है।
बच्चों और माता-पिता के लिए क्या फायदे?
इस नए नियम से बच्चों और उनके परिवारों को कई लाभ होंगे:
- वित्तीय शिक्षा: बच्चे बचत, ब्याज और बजट जैसे वित्तीय कॉन्सेप्ट्स को प्रैक्टिकली समझेंगे।
- स्वतंत्रता और आत्मविश्वास: खुद का खाता संचालित करने से बच्चों में जिम्मेदारी और आत्मविश्वास बढ़ेगा।
- सुरक्षित वातावरण: बैंकों की निगरानी और सीमित लेन-देन की वजह से बच्चे सुरक्षित तरीके से पैसे मैनेज करना सीखेंगे।
- ग्रामीण और कम आय वाले परिवारों के लिए अवसर: यह नियम ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ेगा, जिससे वे छोटी राशि से बचत शुरू कर सकेंगे।
- माता-पिता के लिए आसानी: माता-पिता अपने बच्चों के लिए भविष्य की बचत शुरू कर सकते हैं, जैसे कि पढ़ाई या अन्य बड़े खर्चों के लिए।
कैसे खोलें बच्चे का बैंक खाता?
माता-पिता या बच्चे निम्नलिखित कदमों के साथ खाता खोल सकते हैं:
- बैंक चुनें: SBI, HDFC, ICICI जैसे बैंक बच्चों के लिए विशेष खाते प्रदान करते हैं। बैंक से उनकी नीतियों की जानकारी लें।
- दस्तावेज तैयार करें: बच्चे का आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल आईडी और अभिभावक का KYC दस्तावेज (यदि लागू हो)।
- ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन: बैंक की वेबसाइट पर ऑनलाइन फॉर्म भरें या नजदीकी शाखा में जाएं।
- न्यूनतम जमा: कुछ बैंकों में न्यूनतम जमा राशि (जैसे 10,000 रुपये) की आवश्यकता हो सकती है।
- शर्तें समझें: बैंक से लेन-देन सीमा, ब्याज दर और अन्य सुविधाओं की जानकारी लें।
RBI का यह नया नियम बच्चों को वित्तीय साक्षरता और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। 10 साल और उससे अधिक उम्र के बच्चे अब स्वतंत्र रूप से अपने बैंक खाते खोल और संचालित कर सकेंगे, जबकि 10 साल से कम उम्र के बच्चों के खाते उनके अभिभावकों द्वारा चलाए जाएंगे। यह नियम न केवल बच्चों को पैसे की समझ सिखाएगा, बल्कि ग्रामीण और कम आय वाले परिवारों को भी बैंकिंग सिस्टम से जोड़ेगा। बैंकों को 1 जुलाई, 2025 तक अपनी नीतियों को अपडेट करना होगा ताकि बच्चों के खाते सुरक्षित और पारदर्शी तरीके से संचालित हो सकें।
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।