डिप्टी CM जगदीश देवड़ा का विवादित बयान, देश की सेना को बताया PM मोदी के चरणों में नतमस्तक

डिप्टी CM जगदीश देवड़ा का विवादित बयान, देश की सेना को बताया PM मोदी के चरणों में नतमस्तक

Jagdish Devda Controversial Statement | जबलपुर, मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता जगदीश देवड़ा द्वारा हाल ही में दिया गया एक बयान ने देश भर में तीखी बहस और विवाद को जन्म दिया है। जबलपुर में सिविल डिफेंस वॉलेंटियर्स के प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान देवड़ा ने कहा, “पूरा देश, देश की सेना और सैनिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चरणों में नतमस्तक हैं।” इस बयान ने न केवल भारतीय सेना की गरिमा और स्वतंत्रता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक संस्थाओं की निष्ठा को लेकर भी गंभीर चर्चा छेड़ दी है। Jagdish Devda Controversial Statement

यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के तनावों, विशेष रूप से पहलगाम हमले और उसके बाद शुरू हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के कारण देश की सेना और सरकार की कार्रवाइयों पर सभी की निगाहें टिकी हैं। देवड़ा ने अपने बयान में यह भी उल्लेख किया कि पहलगाम हमले का बदला लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने निर्णायक कदम उठाए, जिसके लिए देश और सेना उनकी प्रशंसा करती है। हालांकि, उनके इस दावे ने कि सेना “प्रधानमंत्री के चरणों में नतमस्तक” है, ने विपक्षी दलों, सामाजिक संगठनों और आम नागरिकों की कड़ी आलोचना को आमंत्रित किया है।

कांग्रेस पार्टी ने इस बयान को “घटिया और शर्मनाक” करार देते हुए इसे भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम का अपमान बताया। कांग्रेस के आधिकारिक एक्स हैंडल पर पोस्ट में कहा गया, “जगदीश देवड़ा का यह बयान बेहद ही घटिया और शर्मनाक है। ये सेना के शौर्य और पराक्रम का अपमान है। जब पूरा देश आज सेना के सामने नतमस्तक है, तब बीजेपी के नेता सेना को अपमानित कर रहे हैं।” Jagdish Devda Controversial Statement

सेना की निष्पक्षता पर सवाल

भारतीय सेना को हमेशा से एक निष्पक्ष और पेशेवर संस्था के रूप में देखा जाता रहा है, जो संविधान के प्रति निष्ठा रखती है, न कि किसी राजनीतिक दल या व्यक्ति के प्रति। संविधान के तहत, सेना का संचालन रक्षा मंत्रालय और राष्ट्रपति के अधीन होता है, जो देश के सर्वोच्च कमांडर होते हैं। देवड़ा का यह बयान कि सेना किसी व्यक्ति विशेष के प्रति “नतमस्तक” है, सेना की इस संवैधानिक भूमिका को कमजोर करने वाला माना जा रहा है।

सामाजिक कार्यकर्ता और रक्षा विशेषज्ञ मेजर (रिटायर्ड) अनिल शर्मा ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा, “सेना का काम देश की रक्षा करना है, न कि किसी नेता की प्रशंसा करना। ऐसे बयान सेना के मनोबल को ठेस पहुँचाते हैं और उनकी निष्पक्ष छवि को धूमिल करते हैं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक जिम्मेदार पद पर बैठा व्यक्ति इस तरह की टिप्पणी कर रहा है।”

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और बीजेपी की चुप्पी

विपक्षी दलों ने इस बयान को बीजेपी की “संस्थाओं को कमजोर करने की नीति” का हिस्सा बताया है। समाजवादी पार्टी के नेता और एक्स यूजर @snp_inc ने लिखा, “यह बयान न सिर्फ सेना की गरिमा का अपमान है, बल्कि लोकतंत्र की मूल आत्मा पर भी हमला है। पहले मंत्री विजय शाह, अब डिप्टी सीएम देवड़ा… क्या अब हर संस्था की निष्ठा संविधान के बजाय व्यक्तियों के प्रति होगी?”

उल्लेखनीय है कि हाल ही में मध्य प्रदेश के ही एक अन्य बीजेपी नेता और मंत्री विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी, जिसकी व्यापक निंदा हुई थी। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने शाह के बयान को “शर्मनाक” और “अस्वीकार्य” बताया था। अब देवड़ा का बयान इस कड़ी में एक और विवाद के रूप में देखा जा रहा है।

हालांकि, बीजेपी की ओर से इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी इस मुद्दे को ठंडा करने की कोशिश कर रही है, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा और सेना जैसे संवेदनशील विषय से जुड़ा है। लेकिन पार्टी की चुप्पी ने विपक्ष को और हमलावर बना दिया है।
लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों पर बहस

देवड़ा का बयान केवल सेना तक सीमित नहीं है; यह व्यापक रूप से लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक संस्थाओं की स्वतंत्रता पर भी सवाल उठाता है। भारत का लोकतंत्र इस सिद्धांत पर टिका है कि कोई भी व्यक्ति या संस्था संविधान से ऊपर नहीं है। सेना, न्यायपालिका और अन्य स्वायत्त संस्थाएँ देश की सेवा में अपनी भूमिका निभाती हैं, न कि किसी व्यक्ति या राजनीतिक दल की।

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रमेश ठाकुर ने इस बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा, “ऐसे बयान न केवल संस्थाओं की स्वायत्तता को कमजोर करते हैं, बल्कि जनता के बीच यह गलत संदेश भी देते हैं कि सत्ता का केंद्र अब संविधान नहीं, बल्कि व्यक्ति विशेष है। यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक प्रवृत्ति है।” Jagdish Devda Controversial Statement

सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएँ

सोशल मीडिया, विशेष रूप से एक्स, पर इस बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएँ देखने को मिली हैं। कई यूजर्स ने इसे “सेना का राजनीतिकरण” करने की कोशिश बताया, जबकि कुछ ने इसे बीजेपी की “चाटुकारिता की संस्कृति” का हिस्सा करार दिया। @shahnawazsadiqu ने अपने पोस्ट में लिखा, “जबलपुर: डिप्टी CM जगदीश देवड़ा का विवादित बयान, देश की सेना को बताया PM मोदी के चरणों में नतमस्तक।”

दूसरी ओर, कुछ बीजेपी समर्थकों ने इस बयान का बचाव करने की कोशिश की, उनका तर्क था कि देवड़ा ने केवल प्रधानमंत्री के नेतृत्व की प्रशंसा की है, जिसके तहत सेना ने हाल के ऑपरेशनों में सफलता हासिल की। लेकिन यह बचाव व्यापक आलोचना के सामने कमजोर पड़ गया।

यह पहली बार नहीं है जब किसी राजनेता के बयान ने सेना की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं। अतीत में भी, विभिन्न दलों के नेताओं द्वारा सेना को राजनीतिक संदर्भों में शामिल करने की कोशिशों की आलोचना हुई है। 2019 में, कुछ नेताओं द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने की कोशिशों पर भी विवाद हुआ था।

देवड़ा का बयान इस तरह के विवादों की एक और कड़ी के रूप में देखा जा रहा है। यह बयान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के हाल के बयानों से भी तुलना किया जा रहा है, जिन्होंने न्यायपालिका की भूमिका पर सवाल उठाए थे। दोनों ही मामलों में, संवैधानिक संस्थाओं की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर बहस छिड़ी है

इस बयान के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। क्या बीजेपी इस बयान से खुद को अलग करेगी, या इसे नेतृत्व की प्रशंसा के रूप में पेश करने की कोशिश करेगी? क्या जगदीश देवड़ा अपने बयान पर माफी माँगेंगे, जैसा कि अतीत में कुछ नेताओं ने किया है? और सबसे महत्वपूर्ण, यह बयान सेना और जनता के बीच विश्वास को कैसे प्रभावित करेगा?

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के बयानों से बचने के लिए नेताओं को अधिक जिम्मेदारी और संवेदनशीलता दिखानी होगी। रक्षा मामलों के जानकार कर्नल (रिटायर्ड) राजेश मेहरा ने कहा, “सेना को राजनीति से दूर रखना हमारी लोकतांत्रिक परंपरा का हिस्सा रहा है। नेताओं को अपने शब्दों का चयन सावधानी से करना चाहिए।” Jagdish Devda Controversial Statement

जगदीश देवड़ा का यह बयान न केवल एक राजनीतिक विवाद बन गया है, बल्कि यह देश की सबसे सम्मानित संस्था—भारतीय सेना—के सम्मान और लोकतांत्रिक मूल्यों पर भी एक गंभीर सवाल है। जब पूरा देश अपनी सेना के साहस और बलिदान का सम्मान कर रहा है, ऐसे में इस तरह के बयान न केवल अनावश्यक हैं, बल्कि खतरनाक भी हैं। यह समय है कि राजनीतिक दल और नेता अपनी जिम्मेदारी समझें और ऐसी टिप्पणियों से बचें जो देश की एकता और संस्थाओं की गरिमा को कमजोर करती हों। Jagdish Devda Controversial Statement


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