वृंदावन-मथुरा के अनदेखे घाट: केशी, विश्राम और वराह घाट की रहस्यमयी कहानियां जो आपको बुला रही हैं
Vrindavan Mathura ke Andekhe Ghat | वृंदावन और मथुरा, ये दो नाम सुनते ही मन में राधे-कृष्ण की भक्ति और यमुना के तट की छवि उभर आती है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां के मंदिरों में दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन इन पवित्र नगरी में यमुना के किनारे बने कुछ ऐसे घाट हैं, जिनके बारे में ज्यादातर लोग अनजान हैं। केशी घाट की राक्षसी लीला से लेकर विश्राम घाट की शांति और श्री वराह घाट की आध्यात्मिक शक्ति तक, इन घाटों की कहानियां और सुंदरता हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। आइए इन घाटों की सैर करें और जानें उनकी रोचक कहानियां, जो आपका मन वृंदावन-मथुरा की यात्रा के लिए बेकरार कर देंगी! Vrindavan Mathura ke Andekhe Ghat
केशी घाट: जहां भगवान कृष्ण ने राक्षस केशी का किया था संहार
वृंदावन का केशी घाट यमुना तट पर बसा एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जिसका नाम भगवान कृष्ण की एक प्रसिद्ध लीला से जुड़ा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, कंस ने राक्षस केशी को भगवान कृष्ण को मारने के लिए भेजा था। केशी ने घोड़े का रूप धारण कर वृंदावन में उत्पात मचाया, लेकिन भगवान कृष्ण ने इस घाट पर उसका वध कर ब्रजवासियों की रक्षा की। तभी से इस घाट का नाम केशी घाट पड़ा।
यह घाट न केवल अपनी पौराणिकता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी सुंदरता भी मनमोहक है। यमुना के शांत जल के किनारे बने इस घाट पर बैठकर श्रद्धालु और पर्यटक ध्यान और शांति का अनुभव करते हैं। सुबह और शाम के समय यहां होने वाली आरती में शामिल होना एक अलौकिक अनुभव देता है। घाट के आसपास छोटे-छोटे मंदिर और राधा-कृष्ण की मूर्तियां इसकी आध्यात्मिकता को और बढ़ाती हैं।
कैसे पहुंचें?
केशी घाट वृंदावन के मुख्य बाजार से कुछ ही दूरी पर है। आप ऑटो-रिक्शा या पैदल ही इस घाट तक आसानी से पहुंच सकते हैं।
टिप: घाट पर यमुना में स्नान करने से पहले स्थानीय नियमों का पालन करें और स्वच्छता बनाए रखें।
विश्राम घाट: जहां भगवान कृष्ण और बलराम ने लिया था विश्राम
मथुरा का विश्राम घाट यमुना तट पर सबसे प्रसिद्ध और पवित्र घाटों में से एक है। यह वही स्थान है जहां भगवान कृष्ण और उनके भाई बलराम ने कंस का वध करने के बाद विश्राम किया था। इस घाट का नाम “विश्राम” इसलिए पड़ा, क्योंकि यह शांति और सुकून का प्रतीक है। श्रद्धालु यहां यमुना में स्नान करते हैं और आसपास के मंदिरों में दर्शन करते हैं।
विश्राम घाट का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक भी है। यहां होने वाली यमुना आरती का दृश्य बेहद मनोरम होता है, जब दीपों की रोशनी यमुना के जल में प्रतिबिंबित होती है। घाट के किनारे बने मंदिरों में भगवान कृष्ण और राधा की मूर्तियां श्रद्धालुओं को आकर्षित करती हैं। यह घाट मथुरा के अन्य प्रमुख स्थलों जैसे श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से भी नजदीक है।
क्या खास है?
- यमुना में स्नान करने से पापों का नाश और मन की शांति मिलती है, ऐसा माना जाता है।
- घाट के पास कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनमें से कुछ सैकड़ों साल पुराने हैं।
- सायंकाल की आरती में शामिल होना एक अविस्मरणीय अनुभव है।
कैसे पहुंचें?
विश्राम घाट मथुरा के मुख्य शहर में स्थित है। मथुरा रेलवे स्टेशन से ऑटो या रिक्शा लेकर आसानी से पहुंचा जा सकता है।
टिप: घाट पर फोटोग्राफी के लिए अनुमति लें और भीड़भाड़ के समय सावधानी बरतें।
श्री वराह घाट: वराह अवतार की शक्ति का केंद्र
मथुरा का श्री वराह घाट एक कम जाना-माना, लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह घाट द्वारकाधीश मंदिर के नजदीक यमुना तट पर स्थित है और भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस घाट पर स्नान करने और मंदिर में दर्शन करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। साथ ही, इस मंदिर की 11 परिक्रमा करने से संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा का पुण्य प्राप्त होता है।
वराह घाट का शांत वातावरण और यमुना का पवित्र जल इसे एक आदर्श स्थान बनाता है। स्थानीय लोग इस घाट के महत्व को अच्छी तरह जानते हैं, लेकिन पर्यटकों के बीच यह अभी भी कम प्रसिद्ध है। घाट के पास बने वराह मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति और प्राचीन स्थापत्य कला देखने लायक है।
क्या खास है?
- वराह घाट पर स्नान और दर्शन से आध्यात्मिक शांति और पुण्य की प्राप्ति होती है।
- मंदिर की परिक्रमा का विशेष महत्व है जो श्रद्धालुओं के बीच लोकप्रिय है।
- घाट का शांत और कम भीड़भाड़ वाला माहौल इसे ध्यान और चिंतन के लिए आदर्श बनाता है।
कैसे पहुंचें?
वराह घाट मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर के पास है। आप ऑटो या पैदल मार्ग से इसे आसानी से ढूंढ सकते हैं।
टिप: घाट और मंदिर में फोटोग्राफी से पहले स्थानीय पुजारियों से अनुमति लें।
क्यों जाएं इन घाटों पर?
वृंदावन और मथुरा के ये घाट न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि इनकी कहानियां और शांत वातावरण हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं ये घाट भगवान कृष्ण और विष्णु की लीलाओं से जुड़े हैं, जो इन्हें और भी खास बनाते हैं। चाहे आप आध्यात्मिक यात्रा पर हों या इतिहास और संस्कृति के शौकीन हों इन घाटों की सैर आपको एक अनूठा अनुभव देगी।
- केशी घाट: भगवान कृष्ण की राक्षस संहार लीला को जीवंत करता है।
- विश्राम घाट: मथुरा की आत्मा, जहां यमुना आरती का नजारा मन मोह लेता है।
- वराह घाट: वराह अवतार की शक्ति और शांति का केंद्र।
वृंदावन-मथुरा की यात्रा के लिए टिप्स
- सही समय: अक्टूबर से मार्च तक का समय इन घाटों की सैर के लिए आदर्श है, जब मौसम सुहावना होता है।
- स्थानीय गाइड: घाटों की कहानियों और महत्व को समझने के लिए स्थानीय गाइड की मदद लें।
- स्वच्छता: यमुना में स्नान करते समय स्वच्छता का ध्यान रखें और कचरा न फैलाएं।
- फोटोग्राफी: मंदिरों और घाटों में फोटो खींचने से पहले अनुमति लें।
- स्थानीय भोजन: मथुरा का पेड़ा और वृंदावन की खास मिठाइयों का स्वाद जरूर लें।
वृंदावन और मथुरा के घाट सिर्फ यमुना के किनारे बने ढांचे नहीं हैं; ये भगवान कृष्ण और विष्णु की लीलाओं के साक्षी हैं। केशी घाट की वीरता, विश्राम घाट की शांति और वराह घाट की आध्यात्मिक शक्ति हर यात्री को एक अनूठा अनुभव देती है। अगली बार जब आप वृंदावन-मथुरा की यात्रा करें तो इन घाटों को अपनी सूची में जरूर शामिल करें। इनकी कहानियां और सुंदरता आपके मन को भक्ति और शांति से भर देगी। Vrindavan Mathura ke Andekhe Ghat
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।