मध्यप्रदेश के किसानों के लिए बड़ी खबर : समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीदी को हरी झंडी

Soybean MSP in MP | मध्यप्रदेश के किसानों के लिए बड़ी खबर : समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीदी को हरी झंडी

Soybean MSP in MP | मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है। केंद्र सरकार ने राज्य के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए सोयाबीन (Soybean) की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price – MSP) पर करने का निर्णय लिया है। डॉ. मोहन यादव सरकार द्वारा 4892 रुपए प्रति क्विंटल की एमएसपी (MSP) की सिफारिश की गई थी, जिसे केंद्र ने हरी झंडी दे दी है। यह फैसला मंगलवार को राज्य कैबिनेट (State Cabinet) की बैठक के बाद केंद्र को भेजे गए प्रस्ताव के आधार पर लिया गया।

किसानों की मांग और आंदोलन

गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से किसान (Farmers) सोयाबीन की एमएसपी 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल करने की मांग कर रहे थे। इस मांग को लेकर किसान संगठनों (Farmer Organizations) और राजनीतिक दलों ने आंदोलन (Protest) शुरू कर दिया था। इसी क्रम में कांग्रेस (Congress) ने 20 सितंबर को प्रदेशभर में किसान न्याय यात्रा (Kisan Nyay Yatra) और ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) निकालने का ऐलान किया है। कांग्रेस का कहना है कि एमपी सरकार (MP Government) किसानों के हितों की अनदेखी कर रही है और उनकी मांगों को पूरा करने में असफल रही है।

शिवराज की अपील: किसानों की चिंता दूर

केंद्रीय कृषि मंत्री (Union Agriculture Minister) शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि उन्हें अब चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की सरकार के लिए किसान और कृषि (Agriculture) सर्वोच्च प्राथमिकता हैं। शिवराज ने कहा, “हमारे लिए किसानों की सेवा भगवान की पूजा के समान है।” उन्होंने यह भी कहा कि मध्यप्रदेश के किसानों (MP Farmers) को एमएसपी पर सोयाबीन खरीद (Soybean Procurement) के जरिए उनके परिश्रम का उचित मूल्य (Fair Price) मिलेगा।

अन्य राज्यों में पहले से शुरू हुई एमएसपी खरीदी

एमपी सरकार के इस कदम से पहले, महाराष्ट्र (Maharashtra), कर्नाटक (Karnataka), और तेलंगाना (Telangana) जैसे राज्यों में पीएसएस (Price Support Scheme – PSS) के तहत सोयाबीन की एमएसपी पर खरीदी की अनुमति दी जा चुकी थी। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि एमपी सरकार का प्रस्ताव मिलने के बाद उसे तुरंत मंजूरी दी गई। यह फैसला किसानों के हित में लिया गया है, जो कई दिनों से आंदोलनरत (Protesting) थे। एमपी के किसान 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल की मांग को लेकर बीते 20 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं, और अब उन्हें इसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेगा।

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कांग्रेस और विपक्ष का विरोध

हालांकि, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं। मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी (Jitu Patwari) ने कहा कि एमपी सरकार किसानों को भ्रमित करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, “सोयाबीन की जिस एमएसपी का ढिंढोरा पीटा जा रहा है, वह पहले से ही तय थी। सरकार इसमें नया कुछ भी नहीं कर रही है।” पटवारी ने यह भी मांग की कि एमपी सरकार बताए कि सोयाबीन की खरीदी कब शुरू होगी और किसानों को उनके खाते (Bank Accounts) में पैसे कब मिलेंगे।

किसानों की उम्मीदें और विपक्ष की चुनौतियाँ

कांग्रेस ने पिछले हफ्ते मंदसौर (Mandsaur) जिले के गरोठ (Garoth) विधानसभा क्षेत्र में ट्रैक्टर रैली का आयोजन किया था, जिसका नेतृत्व पीसीसी चीफ जीतू पटवारी कर रहे थे। विपक्ष का कहना है कि जब तक किसानों को वास्तविक लाभ नहीं मिलेगा, तब तक उनके आंदोलन (Farmer Protests) और विरोध जारी रहेंगे।

केंद्र की योजना और एमपी के किसानों का भविष्य

केंद्र सरकार द्वारा तीन राज्यों में पहले से लागू पीएसएस योजना के तहत सोयाबीन की एमएसपी पर खरीदी की अनुमति दी गई थी, लेकिन एमपी के किसानों को इस योजना में शामिल न करने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने आपत्ति जताई थी। अब जबकि केंद्र ने मध्यप्रदेश सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, किसानों को उम्मीद है कि उन्हें अपनी मेहनत का वाजिब दाम (Fair Compensation) मिलेगा।

एमएसपी पर खरीदी से किसानों को सीधा लाभ मिलेगा और कृषि क्षेत्र (Agriculture Sector) में स्थिरता आएगी। कृषि और किसान कल्याण (Farmer Welfare) को केंद्र सरकार की प्राथमिकता बताते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों की स्थिति सुधारने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे।

इस फैसले के बाद यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि एमपी सरकार कितनी जल्दी सोयाबीन की खरीदी शुरू करती है और किसानों को उनका भुगतान (Payment) कब तक मिलता है। विपक्षी दलों ने भी सरकार से खरीदी प्रक्रिया में पारदर्शिता (Transparency) और तेजी की मांग की है, ताकि किसानों को उनकी मेहनत का सही मूल्य (Right Price) मिल सके।


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