सभी पापों का नाश करने वाली अपरा एकादशी की संपूर्ण कथा और शुभ योग, पढ़ें और पाएं मोक्ष का आशीर्वाद
Apara Ekadashi Vrat Katha | 23 मई 2025 को पड़ने वाली अपरा एकादशी हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी मानी जाती है। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की इस एकादशी को अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, साथ ही उसे नरक से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन विशेष शुभ योग बन रहे हैं, जो इस व्रत के महत्व को और बढ़ाते हैं। आइए, जानते हैं अपरा एकादशी की संपूर्ण व्रत कथा, पूजा विधि, शुभ योग और इसके अद्भुत फल। Apara Ekadashi Vrat Katha
अपरा एकादशी का महत्व
पद्म पुराण के अनुसार, अपरा एकादशी का व्रत करने से ब्रह्महत्या, गोत्र हत्या, गर्भस्थ शिशु की हत्या, परनिंदा, और परस्त्रीगमन जैसे महापाप भी नष्ट हो जाते हैं। यह व्रत न केवल जीवित व्यक्तियों के लिए, बल्कि प्रेतात्माओं को भी मुक्ति प्रदान करता है। इस व्रत का पुण्य माघ मास में प्रयाग स्नान, शिवरात्रि व्रत गया में पिंडदान, गोदावरी स्नान, बद्रीनाथ दर्शन, और सूर्यग्रहण के समय कुरुक्षेत्र में दान के समान है। यह व्रत भगवान वामन की पूजा और उपवास से सभी पापों से मुक्ति दिलाता है और श्रीविष्णु लोक की प्राप्ति करवाता है।
आज के शुभ योग (23 मई 2025)
आज अपरा एकादशी के दिन विशेष शुभ योग बन रहे हैंजो इस व्रत के प्रभाव को और बढ़ाते हैं:
- नक्षत्र: उत्तराभाद्रपद (शाम 4:02 बजे तक)
- योग: प्रीति योग (शाम 6:36 बजे तक), उसके बाद आयुष्मान योग
- तिथि: एकादशी
- करण: तैतिल
- चंद्र राशि: मीन
- शुभ समय: सुबह 9:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
इन शुभ योगों में अपरा एकादशी की कथा का पाठ और पूजा करना अत्यंत फलदायी है।
अपरा एकादशी की संपूर्ण व्रत कथा
युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा, “हे जनार्दन! ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष में कौन सी एकादशी होती है? कृपया इसका माहात्म्य और कथा विस्तार से बताएं।”
श्रीकृष्ण बोले, “हे राजन! तुमने लोक कल्याण के लिए उत्तम प्रश्न किया है। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम अपरा एकादशी है। यह अत्यंत पुण्यदायी और सभी पापों का नाश करने वाली है।”
कथा का सार
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पापों का नाश: अपरा एकादशी का व्रत ब्रह्महत्या, गोत्रहत्या, गर्भपात, परनिंदा और परस्त्रीगमन जैसे महापापों को नष्ट करता है।
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पापियों का उद्धार: जो व्यक्ति झूठी गवाही देता है, माप-तोल में धोखा देता है, बिना ज्ञान के नक्षत्र गणना करता है, या कूटनीति से वैद्य बनता है, वह नरक में जाता है। लेकिन अपरा एकादशी का व्रत उसे इन पापों से मुक्त कर देता है।
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क्षत्रिय और शिष्य के लिए: युद्ध से भागने वाला क्षत्रिय और गुरु की निंदा करने वाला शिष्य भी इस व्रत से पापमुक्त होकर सद्गति प्राप्त करता है।
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पुण्य की तुलना: इस व्रत का फल माघ में प्रयाग स्नान, शिवरात्रि व्रत, गया में पिंडदान, गोदावरी स्नान, बद्रीनाथ दर्शन, और सूर्यग्रहण में कुरुक्षेत्र दान के बराबर है।
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मोक्ष की प्राप्ति: भगवान वामन की पूजा और उपवास करने से मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर श्रीविष्णु लोक में स्थान प्राप्त करता है। इस कथा को पढ़ने या सुनने से सहस्र गोदान का फल मिलता है Apara Ekadashi Vrat Katha
वेदव्यास जी का उपदेश
जब युधिष्ठिर ने ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी के बारे में पूछा, तो श्रीकृष्ण ने कहा कि इस विषय में वेदव्यास जी वर्णन करेंगे। वेदव्यास जी ने कहा, “दोनों पक्षों की एकादशियों को भोजन नहीं करना चाहिए। द्वादशी को स्नान, पूजा, और ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद स्वयं भोजन करें। जननाशौच या मरणाशौच में भी एकादशी का व्रत नहीं तोड़ा जाता।”
भीमसेन ने कहा, “हे पितामह! युधिष्ठिर, कुन्ती, द्रौपदी, अर्जुन, नकुल, और सहदेव एकादशी को भोजन नहीं करते और मुझसे भी यही कहते हैं। लेकिन मुझसे भूख सहन नहीं होती।” वेदव्यास जी ने उन्हें समझाया कि अपरा एकादशी का व्रत विशेष रूप से महत्वपूर्ण है और इसे अवश्य करना चाहिए।
अपरा एकादशी व्रत विधि
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प्रातः स्नान: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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पूजा की तैयारी: भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति स्थापित करें। पूजा स्थान को फूलों, दीप, और धूप से सजाएं।
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व्रत संकल्प: व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु को प्रणाम करें।
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मंत्र जाप: ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
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भजन-कीर्तन: भगवान विष्णु के भजन और कीर्तन करें। अपरा एकादशी की कथा पढ़ें या सुनें।
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दान-पुण्य: गरीबों को अन्न, वस्त्र, या धन का दान करें। विशेष रूप से अन्न दान का महत्व है।
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व्रत नियम: सत्य बोलें, अहिंसा का पालन करें, और किसी का दिल न दुखाएं।
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पारण: द्वादशी तिथि पर सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं और फिर स्वयं भोजन ग्रहण करें। Apara Ekadashi Vrat Katha
अपरा एकादशी के लाभ
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सभी प्रकार के पापों का नाश।
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नरक से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति।
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प्रेतात्माओं का उद्धार।
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मान-सम्मान और पुण्य की प्राप्ति।
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श्रीविष्णु लोक में स्थान।
आज का विशेष उपाय
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माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा: आज माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें। तुलसी पत्र, चंदन, और फूल अर्पित करें।
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अन्न दान: गरीबों को अन्न दान करें, इससे आर्थिक समृद्धि और सुख-शांति प्राप्त होगी।
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रात्रि जागरण: रात में भगवान विष्णु के भजन और कीर्तन करें।
आज का पंचांग (23 मई 2025)
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तिथि: एकादशी
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नक्षत्र: उत्तराभाद्रपद (शाम 4:02 बजे तक)
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योग: प्रीति योग (शाम 6:36 बजे तक), फिर आयुष्मान योग
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करण: तैतिल
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सूर्योदय: प्रातः 5:30 बजे
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सूर्यास्त: सायं 7:00 बजे
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चंद्र राशि: मीन
अपरा एकादशी का व्रत और कथा न केवल आपके जीवन से पापों का नाश करती है, बल्कि आपको आध्यात्मिक और सांसारिक सुख भी प्रदान करती है। आज के शुभ योगों का लाभ उठाए भगवान विष्णु की पूजा करें और इस पवित्र दिन को अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का अवसर बनाएं। Apara Ekadashi Vrat Katha
मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।