मध्यप्रदेश में 2024 में 13.41 करोड़ पर्यटक पहुंचे। साल 2023 की तुलना में यह संख्या 19.6% अधिक रही। महाकाल की नगरी उज्जैन सबसे आगे रही जहां 7.32 करोड़ श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचे।
उज्जैन बना धार्मिक पर्यटन की राजधानी उज्जैन में महाकाल दर्शन के साथ-साथ महाकाल लोक ने भी सैलानियों को आकर्षित किया। यहां 2023 के मुकाबले 39% ज्यादा लोग पहुंचे। अकेले उज्जैन ने पूरे एमपी के टूरिज्म ग्रोथ को नई ऊंचाई दी।
विदेशी पर्यटकों की पसंद – खजुराहो 2024 में 1.67 लाख विदेशी पर्यटकों ने एमपी की सैर की। खजुराहो में सबसे ज्यादा 33,131 विदेशी पर्यटक पहुंचे। ओरछा और ग्वालियर जैसे शहरों को भी विदेशी सैलानियों ने खूब पसंद किया।
धार्मिक स्थलों की बढ़ती आस्था प्रदेश के धार्मिक स्थलों ने 10.7 करोड़ यात्रियों को आकर्षित किया। चित्रकूट, मैहर, अमरकंटक, ओंकारेश्वर जैसे स्थलों में लाखों श्रद्धालु पहुंचे। सरकार की धार्मिक लोक परियोजनाएं आकर्षण का केंद्र रहीं।
विरासत पर्यटन की दमदार वापसी इतिहास और धरोहरों को देखने 80 लाख पर्यटक पहुंचे। ग्वालियर में 3 गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई। खजुराहो, भोजपुर और महेश्वर जैसे ऐतिहासिक स्थलों को घरेलू और विदेशी पर्यटकों का बड़ा सपोर्ट मिला।
जंगल, बाघ और रोमांच का प्रदेश एमपी को अब टाइगर, लेपर्ड, चीता और वल्चर स्टेट कहा जाने लगा है। बाधवगढ़, कान्हा, पन्ना और पेंच जैसे टाइगर रिजर्व में हजारों विदेशी-घरेलू पर्यटक रोमांच का अनुभव लेने पहुंचे।
प्राकृतिक सौंदर्य का खजाना पचमढ़ी, भेड़ाघाट, गांधीसागर, तामिया और हनुवंतिया जैसे प्राकृतिक पर्यटन स्थलों पर लाखों लोग पहुंचे। ट्रेकिंग, एडवेंचर और वाटर स्पोर्ट्स ने युवाओं को आकर्षित किया।
गांवों में भी बसा टूरिज्म का भविष्य 63 पर्यटन ग्रामों और 470 होम स्टे के ज़रिए ग्रामीण पर्यटन ने नई पहचान बनाई। प्राणपुर जैसे गांव भारत के पहले हैंडलूम विलेज बने और गोंड, भील पेंटिंग जैसे जनजातीय कला विदेशी सैलानियों को लुभा रही है।