दवाओं की एक्सपायरी डेट पढ़ना होगा अब आसान, सरकार ला रही वॉयस असिस्टेड QR कोड और ब्रेल कार्ड
Medicine Expiry Date Readability Initiative 2025 | दवाओं की पैकेजिंग पर छोटे अक्षरों में छपी एक्सपायरी डेट और चमकदार सतह के कारण होने वाली पढ़ने की असुविधा अब जल्द ही अतीत की बात हो सकती है। भारत सरकार ने दवाओं की लेबलिंग को सरल और सभी के लिए सुलभ बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की है। सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) के तहत गठित एक विशेषज्ञ समिति दवाओं की पैकेजिंग और लेबलिंग में सुधार के लिए काम कर रही है, ताकि मरीजों की सुरक्षा, पारदर्शिता और पहुंच में वृद्धि हो। इस पहल में वॉयस असिस्टेड QR कोड और ब्रेल कार्ड जैसे नवाचार शामिल हैं, जो विशेष रूप से दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए लाभकारी होंगे। आइए जानते हैं इस सरकारी पहल के बारे में विस्तार से। Medicine Expiry Date Readability Initiative 2025
दवाओं की लेबलिंग में क्या है समस्या?
दवाओं की स्ट्रिप्स पर छोटे अक्षरों में छपी जानकारी, जैसे एक्सपायरी डेट, बैच नंबर और अन्य विवरण, पढ़ना आम लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। चमकदार फॉयल या कागज की सतह के कारण यह और भी मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए दवाओं की जानकारी प्राप्त करना लगभग असंभव होता है। उपभोक्ताओं की ओर से बार-बार इस तरह की शिकायतें मिलने के बाद, सरकार ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है। इसके साथ ही, जेनेरिक दवाओं को ब्रांडेड दवाओं से अलग करने के लिए एक विशेष प्रतीक (सिंबल) लगाने की मांग भी जोर पकड़ रही है, ताकि उपभोक्ता आसानी से अंतर समझ सकें।
सरकार की नई पहल
सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) के तहत ड्रग्स कंसल्टेटिव कमिटी (DCC) ने जून 2025 में इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श किया। इस बैठक में उपभोक्ताओं की शिकायतों, जैसे छोटे अक्षरों में छपी एक्सपायरी डेट, चमकदार पैकेजिंग और दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए लेबल पढ़ने में कठिनाई, पर विशेष ध्यान दिया गया। DCC ने एक सब-कमिटी गठित करने का फैसला किया, जिसमें पैकेजिंग विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा। यह सब-कमिटी निम्नलिखित बिंदुओं पर काम करेगी:
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लेबलिंग में सुधार: एक्सपायरी डेट और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी को बड़े और स्पष्ट अक्षरों में छापने के लिए दिशानिर्देश तैयार करना।
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पैकेजिंग सामग्री का नियमन: प्रिंटेड फॉयल और अन्य पैकेजिंग सामग्री सप्लायर्स के लिए ड्रग्स रूल्स, 1945 के तहत उपयुक्त नियमों का मूल्यांकन करना।
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वॉयस असिस्टेड QR कोड: दवाओं की स्ट्रिप्स पर QR कोड लगाने की योजना, जो स्कैन करने पर दवा की जानकारी, जैसे एक्सपायरी डेट, बैच नंबर और निर्माता विवरण, को आवाज के माध्यम से बता सके।
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ब्रेल कार्ड: 10 से अधिक यूनिट वाली दवाओं की सेकेंडरी पैकेजिंग पर ब्रेल कार्ड शामिल करना, ताकि दृष्टिबाधित लोग दवा की जानकारी आसानी से समझ सकें।
वॉयस असिस्टेड QR कोड और ब्रेल कार्ड का महत्व
सरकार की यह पहल विशेष रूप से दृष्टिबाधित और बुजुर्ग मरीजों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है। वॉयस असिस्टेड QR कोड के जरिए उपभोक्ता अपने स्मार्टफोन से दवा की स्ट्रिप को स्कैन करके जानकारी सुन सकेंगे। यह तकनीक न केवल उपयोग में आसान है, बल्कि तेजी से जानकारी उपलब्ध कराने में भी सक्षम है। उदाहरण के लिए, QR कोड में निम्नलिखित जानकारी शामिल हो सकती है:
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दवा का नाम
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निर्माता का विवरण
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बैच नंबर
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निर्माण और एक्सपायरी डेट
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उपयोग के निर्देश
ब्रेल कार्ड का समावेश दृष्टिबाधित व्यक्तियों को स्वतंत्र रूप से दवाओं की जानकारी प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा। यह सुविधा विशेष रूप से उन दवाओं के लिए होगी, जिनमें 10 से अधिक टैबलेट या कैप्सूल होते हैं। यह कदम भारत में दवाओं की पैकेजिंग को अधिक समावेशी और मरीज-अनुकूल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
जेनेरिक और ब्रांडेड दवाओं की पहचान
उपभोक्ताओं की मांग के आधार पर, सरकार जेनेरिक दवाओं को ब्रांडेड दवाओं से अलग करने के लिए एक विशेष प्रतीक (सिंबल) लागू करने पर भी विचार कर रही है। यह कदम उपभोक्ताओं को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाओं को आसानी से चुनने में मदद करेगा। यह पहल न केवल पारदर्शिता बढ़ाएगी, बल्कि नकली दवाओं के खतरे को भी कम करेगी।
पहले से लागू QR कोड नियम
भारत सरकार ने पहले ही 1 अगस्त 2023 से 300 प्रमुख दवा ब्रांडों के लिए QR कोड अनिवार्य कर दिया था। इस नियम के तहत, प्राइमरी या सेकेंडरी पैकेजिंग पर QR कोड में दवा का नाम, बैच नंबर, निर्माण और एक्सपायरी डेट जैसी जानकारी शामिल करना जरूरी है। अब CDSCO इस सूची को और विस्तार देने की योजना बना रहा है, ताकि अधिक से अधिक दवाएं इस नियम के दायरे में आएं। यह कदम नकली दवाओं से निपटने और आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता लाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है।
मरीजों की सुरक्षा और पारदर्शिता पर जोर
यह सरकारी पहल मरीजों की सुरक्षा और दवाओं की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। छोटे अक्षरों और चमकदार सतहों की समस्या को हल करने के साथ-साथ, यह दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए दवाओं को अधिक सुलभ बनाएगी। इसके अलावा, QR कोड और ब्रेल कार्ड जैसे नवाचार न केवल उपभोक्ताओं को सशक्त बनाएंगे, बल्कि फार्मास्युटिकल आपूर्ति श्रृंखला में जवाबदेही और ट्रेसबिलिटी को भी बढ़ाएंगे।
भविष्य की योजनाएं
CDSCO ने इस सब-कमिटी की रिपोर्ट को जल्द ही सार्वजनिक करने और उस पर जनता के सुझाव मांगने की योजना बनाई है। इसके आधार पर अंतिम नियम और दिशानिर्देश तैयार किए जाएंगे। यह पहल भारत के 60 बिलियन डॉलर के फार्मास्युटिकल उद्योग को और अधिक विश्वसनीय और उपभोक्ता-अनुकूल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
नोट: यह पहल उपभोक्ताओं के लिए दवाओं की जानकारी को अधिक सुलभ और सुरक्षित बनानेकी दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। अगर आपके पास इस संबंध में कोई सुझाव हैं, तो CDSCO की आधिकारिकवेबसाइट पर अपनी राय साझा करें।
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।