“One Nation One Election: मोदी कैबिनेट की मंजूरी, भारत में चुनाव सुधार की दिशा में बड़ा कदम”

“One Nation One Election: मोदी कैबिनेट की मंजूरी, भारत में चुनाव सुधार की दिशा में बड़ा कदम”

नई दिल्ली: भारत में चुनाव प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट ने ‘One Nation One Election’ की योजना को आज मंजूरी दे दी। यह पहल भारतीय लोकतंत्र में एक नया अध्याय जोड़ने की तैयारी में है। ‘One Nation One Election’ की अवधारणा के तहत देशभर में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे, जिससे बार-बार होने वाले चुनावों से जनता और प्रशासन दोनों को राहत मिलेगी।

इस योजना के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया था, जिसकी अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद कर रहे थे। उनकी अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट मोदी सरकार को सौंप दी थी। इसके बाद, आज कैबिनेट ने सर्वसम्मति से इस रिपोर्ट को मंजूरी दी। हालांकि, इस योजना को लागू करने के लिए संविधान संशोधन और राज्यों की सहमति भी जरूरी होगी।

संसद के शीतकालीन सत्र में पेश हो सकता है बिल

कैबिनेट की मंजूरी के बाद यह संभावना है कि ‘One Nation One Election’ के प्रस्ताव को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। यह एक संविधान संशोधन बिल होगा, जिसे पारित कराने के लिए राज्यों की सहमति भी आवश्यक होगी। यह भारतीय संविधान में महत्वपूर्ण बदलावों की मांग करता है। 2024 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस विचार को प्रमुख स्थान दिया था। अब इसे वास्तविकता में बदलने के लिए सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

पिछले संकेत और सरकार का दृष्टिकोण

बीते दिनों से यह साफ हो गया था कि सरकार इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। 17 सितंबर को ही गृह मंत्री अमित शाह ने संकेत दिया था कि मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल के भीतर ‘One Nation One Election’ को लागू करने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा था, “यह कदम भारतीय लोकतंत्र को अधिक सशक्त बनाने और विकास की गति को बढ़ाने में मदद करेगा।”

इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने संबोधन में भी इस विषय का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि बार-बार होने वाले चुनाव देश की विकास प्रक्रिया को धीमा कर रहे हैं। ऐसे में ‘One Nation One Election’ न केवल चुनावी प्रक्रिया को आसान बनाएगा, बल्कि इससे देश का समय और संसाधन भी बचेगा।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

जहां बीजेपी के सहयोगी दल जैसे जनता दल यूनाइटेड (JDU) और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) ने इस कदम का समर्थन किया है, वहीं विपक्षी दलों ने इसे लेकर विरोध जताया है। JDU के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने इस योजना का समर्थन करते हुए कहा, “One Nation One Election से देश को बार-बार होने वाले चुनावों से मुक्ति मिलेगी और सरकार नीतियों के कार्यान्वयन पर ज्यादा ध्यान दे सकेगी।”

विपक्षी दलों का मानना है कि यह प्रस्ताव संविधान की मूल संरचना के खिलाफ है। उनका तर्क है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने से राज्यों की स्वायत्तता प्रभावित होगी। इसके साथ ही, वे इसे संघीय ढांचे पर हमला मानते हैं। हालांकि, केंद्र सरकार का कहना है कि यह प्रणाली लोकतंत्र को मजबूत करेगी और चुनावी खर्चों में भी कटौती करेगी।

क्या है ‘One Nation One Election’ की जरूरत?

‘One Nation, One Election’ के पीछे मुख्य उद्देश्य देशभर में बार-बार होने वाले चुनावों से होने वाली समस्याओं को कम करना है। मौजूदा समय में भारत में विभिन्न राज्यों और केंद्र सरकार के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं, जिसके कारण न केवल प्रशासनिक कामकाज प्रभावित होता है, बल्कि इससे चुनावी खर्चों में भी अत्यधिक वृद्धि होती है।

चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण विकास कार्य ठप हो जाते हैं। हर बार के चुनाव के साथ सरकारों को अपने कार्यक्रमों और योजनाओं पर रोक लगानी पड़ती है। इसके अलावा, बार-बार चुनाव होने से सियासी दलों का ध्यान जनता के मुद्दों की बजाय चुनावी रणनीतियों पर केंद्रित हो जाता है।

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संविधान में संशोधन की जरूरत

‘One Nation, One Election’ को लागू करने के लिए संविधान के अनुच्छेदों में बदलाव करना आवश्यक है। मौजूदा संविधान में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना अनिवार्य नहीं है। इसके लिए संसद को संविधान संशोधन विधेयक पारित करना होगा, जिसके लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होगी।

इसके अलावा, राज्य विधानसभाओं की सहमति भी अनिवार्य होगी। संविधान के अनुच्छेद 83(2) और अनुच्छेद 172(1) में बदलाव करके ही यह संभव हो पाएगा। इन अनुच्छेदों में संसद और विधानसभाओं की कार्यकाल अवधि का प्रावधान है, जिसे एक साथ लाने के लिए संशोधन करना जरूरी होगा।

जनता को क्या होगा फायदा?

‘One Nation, One Election’ के लागू होने से सबसे बड़ा फायदा जनता को होगा। बार-बार होने वाले चुनावों से लोगों पर चुनावी खर्च और राजनीतिक प्रचार के दबाव में कमी आएगी। इसके साथ ही, देश के विभिन्न हिस्सों में विकास कार्यों की गति तेज होगी।

वहीं, इससे चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता भी सुनिश्चित होगी। चुनाव आयोग को एक बार में चुनाव कराने से योजना बनाने में भी आसानी होगी, जिससे चुनावी धांधलियों की संभावना भी कम होगी।

क्या होगा आगे का रास्ता?

अब जबकि मोदी सरकार ने ‘One Nation One Election’ को मंजूरी दे दी है, इसके आगे का रास्ता चुनौतीपूर्ण हो सकता है। संविधान संशोधन के साथ-साथ राज्यों की सहमति प्राप्त करना सबसे बड़ी चुनौती होगी। साथ ही, विपक्षी दलों के विरोध को भी सरकार को ध्यान में रखना होगा।

हालांकि, बीजेपी और उसके सहयोगी दल इसे लागू करने के लिए प्रतिबद्ध दिख रहे हैं। अगर यह योजना सफल होती है, तो यह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है।

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