भगवान शिव की कृपा पाने के लिए जानें सावन के नियम, क्या करें और क्या नहीं
Sawan Ke Niyam | श्रावण मास, जिसे सावन के नाम से जाना जाता है, भगवान शिव की भक्ति और आध्यात्मिक साधना का सबसे पवित्र महीना माना जाता है। यह महीना 11 जुलाई 2025 से शुरू हो रहा है और यह शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। सावन का महीना न केवल धार्मिक अनुष्ठानों और व्रत-उपवास का समय है, बल्कि यह आत्म-संयम, सात्त्विक जीवनशैली, और आध्यात्मिक शुद्धि का भी प्रतीक है। मान्यता है कि इस महीने में भगवान शिव की पूजा, जप, और दान-पुण्य से कई गुना फल प्राप्त होता है। साथ ही, कुछ विशेष नियमों और सावधानियों का पालन करना भी जरूरी है, ताकि भगवान शिव की कृपा बनी रहे और कोई दोष न लगे। इस लेख में हम सावन 2025 के नियमों, क्या करें और क्या न करें, के बारे में विस्तार से बताएंगे, ताकि आप इस पवित्र महीने का अधिकतम लाभ उठा सकें। Sawan Ke Niyam
हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित सबसे पवित्र महीना है। इस महीने में प्रकृति अपनी हरियाली के साथ जीवन में नई ऊर्जा भरती है, और भक्त अपने मन, वचन, और कर्म से भगवान शिव की आराधना करते हैं। मान्यता है कि सावन में की गई पूजा, व्रत, और साधना से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य, और आध्यात्मिक शांति प्रदान करते हैं। सावन के सोमवार विशेष रूप से महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि सोमवार भगवान शिव का प्रिय दिन माना जाता है। इस महीने में कांवड़ यात्रा, रुद्राभिषेक, और शिव मंत्रों का जाप करने की परंपरा भी प्रचलित है। Sawan Ke Niyam
सावन 2025 में, 11 जुलाई से शुरू होने वाला यह महीना भक्तों के लिए ए क सुनहरा अवसर है, जिसमें वे भगवान शिव के साथ अपने आध्यात्मिक संबंध को मजबूत कर सकते हैं। नीचे दिए गए नियमों और सावधानियों का पालन करके आप इस महीने को और भी शुभ और फलदायी बना सकते हैं। Sawan Ke Niyam
सावन में क्या करें
1. रोजाना शिव पूजा और रुद्राभिषेक
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प्रातः स्नान: हर दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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रुद्राभिषेक: शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, और शक्कर से अभिषेक करें। बेलपत्र, धतूरा, और कनेर के फूल अर्पित करें।
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मंत्र जाप: “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। इसके अलावा, महामृत्युंजय मंत्र (“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे…”) का जाप भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
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ईशान कोण में दीपक: घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में प्रतिदिन घी या तिल के तेल का दीपक जलाएं। यह भगवान शिव की कृपा को आकर्षित करता है।
2. सावन के सोमवार का व्रत
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सावन के सभी सोमवार को व्रत रखें, क्योंकि यह भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है।
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सोलह सोमवार व्रत: यदि आप सोलह सोमवार व्रत की शुरुआत सावन से करते हैं, तो यह विशेष फलदायी होता है।
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व्रत में सात्त्विक भोजन, जैसे फल, दूध, और साबूदाना, लें। कुछ लोग निर्जला व्रत भी रखते हैं।
3. सात्त्विक आहार और जीवनशैली
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हरी वस्तुएं: सावन में हरी चीजों का उपयोग करें, जैसे हरी सब्जियां, तुलसी, और बेलपत्र।
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महिलाओं के लिए: हरी चूड़ियां, हरी साड़ी, या हरा बिंदी पहनें। यह सावन की हरियाली का प्रतीक है।
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आहार: सात्त्विक भोजन लें। हल्दी, जीरा, सेंधा नमक जैसे शुद्ध मसालों का उपयोग करें। फलाहार या हल्का भोजन करें।
4. दान-पुण्य
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जरूरतमंदों, ब्राह्मणों, और गौ-सेवा के लिए दान करें।
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दान की वस्तुएं: अन्न, वस्त्र, जल, छाता, तुलसी, धार्मिक पुस्तकें, या जूते-चप्पल दान करें।
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यह पुण्य कार्य भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद दिलाता है।
5. कांवड़ियों का सम्मान
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सावन में कांवड़ यात्रा करने वाले शिव भक्तों का स्वागत करें।
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कांवड़ियों को जल, भोजन, या अन्य सहायता प्रदान करें। यह अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है।
6. आध्यात्मिक साधना
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रोजाना ध्यान और योग करें।
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शिव चालीसा, रुद्राष्टक, या शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें।
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किसी शिव मंदिर में जाकर दर्शन करें और वहां की शांति को आत्मसात करें।
सावन में क्या न करें
1. तामसिक भोजन और पदार्थों से बचें
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मांस, मछली, अंडा, मदिरा, लहसुन, और प्याज जैसी तामसिक चीजों का सेवन पूरी तरह वर्जित है।
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सावन में सात्त्विकता को अपनाना भगवान शिव को प्रसन्न करता है।
2. क्रोध और अपशब्दों से बचें
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सावन में वाणी पर संयम रखें। क्रोध, झूठ, और अपशब्दों का प्रयोग न करें।
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भगवान शिव शांति और सच्चाई के प्रतीक हैं, इसलिए मन और वचन की शुद्धता बनाए रखें।
3. वर्जित चीजें शिवलिंग पर न चढ़ाएं
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तुलसी, केतकी, और चंपा के फूल शिव पूजा में वर्जित हैं।
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टूटा हुआ बेलपत्र भी शिवलिंग पर न चढ़ाएं। हमेशा ताजा और साबुत बेलपत्र का उपयोग करें।
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कुमकुम या हल्दी का प्रयोग शिवलिंग पर न करें।
4. लोहे के बर्तन से अभिषेक न करें
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शिवलिंग पर अभिषेक के लिए हमेशा तांबे, पीतल, या मिट्टी के पात्र का उपयोग करें।
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लोहे के बर्तन का प्रयोग भगवान शिव की पूजा में वर्जित है।
5. व्रत तोड़ने का समय
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व्रत का पारण (व्रत तोड़ना) सूर्यास्त से पहले करें। रात में व्रत तोड़ने से बचें।
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यदि अगले दिन पारण करना हो, तो ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से पहले) में करें।
6. बाल और नाखून न काटें
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन में बाल कटवाना और नाखून काटना वर्जित है।
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यह शारीरिक शुद्धता और संयम का हिस्सा माना जाता है।
7. विवाद और नकारात्मकता से बचें
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सावन में किसी से विवाद, आलोचना, या मनमुटाव न करें।
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भगवान शिव शांति और करुणा के देवता हैं, इसलिए इस महीने में सकारात्मक और शांत व्यवहार अपनाएं।
8. शिवलिंग को स्पर्श करने के नियम
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बिना स्नान किए शिवलिंग को स्पर्श न करें।
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महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान शिवलिंग को छूने से बचना चाहिए।
सावन में विशेष अनुष्ठान
कांवड़ यात्रा
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सावन में लाखों भक्त कांवड़ यात्रा करते हैं, जिसमें वे गंगाजल लेकर शिव मंदिरों में चढ़ाते हैं।
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यदि आप कांवड़ यात्रा नहीं कर सकते, तो घर पर गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें।
रुद्राभिषेक और रुद्राष्टक
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रुद्राभिषेक एक विशेष पूजा है, जिसमें शिवलिंग पर विभिन्न द्रव्यों से अभिषेक किया जाता है।
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रुद्राष्टक का पाठ करने से मानसिक शांति और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
महामृत्युंजय जाप
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इस मंत्र का जाप स्वास्थ्य, दीर्घायु, और कष्टों से मुक्ति के लिए किया जाता है।
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सावन में रोजाना 108 बार इस मंत्र का जाप करें।
सावन के शुभ कार्य
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विवाह और सगाई: सावन में विवाह और सगाई जैसे शुभ कार्य किए जा सकते हैं, बशर्ते मुहूर्त शुभ हो।
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गृह प्रवेश: नए घर में प्रवेश के लिए सावन का महीना शुभ माना जाता है।
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नया व्यवसाय शुरू करना: सावन में नया कारोबार या प्रोजेक्ट शुरू करने से सफलता मिलती है।
सावन में सेहत का ध्यान
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सावन में बारिश के कारण नमी बढ़ती है, इसलिए सेहत का विशेष ध्यान रखें।
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ताजा और हल्का भोजन करें।
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पानी उबालकर पिएं और बासी भोजन से बचें।
सावन 2025 भगवान शिव की भक्ति और साधना के लिए एक विशेष अवसर है। इस महीने में नियमों का पालन, सात्त्विक जीवनशैली, और भक्ति से भगवान शिव को प्रसन्न किया जा सकता है। रोजाना शिवपूजा, मंत्रजाप, और दानपुण्य से न केवल आध्यात्मिक शांति मिलती है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि, और स्वास्थ्य की प्राप्ति भी होती है। सावन के नियमों का पालन करें, तामसिक चीजों से बचें, और अपने जीवन को शिव तत्व से जोड़ें। Sawan Ke Niyam
शुभ समय: सुबह 5:00 से 7:00 बजे (ब्रह्म मुहूर्त) और शाम 6:00 से 8:00 बजे।
शुभ रंग: सफेद, हरा, और नीला।
डिस्क्लेमर: यह लेख धार्मिक और आध्यात्मिकमान्यताओं पर आधारित है। किसी भी धार्मिकअनुष्ठान या नियम का पालन करने से पहले अपने गुरु या पंडित से सलाह लें। Sawan Ke Niyam
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।