ट्रम्प का रूस को 50 दिन का अल्टीमेटम: यूक्रेन के साथ शांति समझौता करें, वरना 100% टैरिफ का सामना करें
Trump_Ukraine_Russia_Ultimatum | अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए एक सख्त रुख अपनाया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को 50 दिनों का अल्टीमेटम देते हुए ट्रम्प ने चेतावनी दी है कि यदि रूस इस अवधि में यूक्रेन के साथ शांति समझौता नहीं करता, तो रूस और उसके व्यापारिक साझेदारों पर 100% सेकेंड्री टैरिफ लगाए जाएंगे। यह धमकी ट्रम्प के उस दृष्टिकोण को दर्शाती है, जिसमें वे वैश्विक संघर्षों को समाप्त करने के लिए आर्थिक और सैन्य दबाव का उपयोग कर रहे हैं। साथ ही, ट्रम्प ने नाटो के माध्यम से यूक्रेन को अत्याधुनिक हथियारों की आपूर्ति की घोषणा की है, जिसमें पैट्रियट मिसाइल सिस्टम और अन्य उन्नत सैन्य उपकरण शामिल हैं। यह लेख ट्रम्प की इस नई रणनीति, इसके वैश्विक प्रभाव, और भारत जैसे देशों पर इसके संभावित परिणामों पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। Trump_Ukraine_Russia_Ultimatum
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए एक नई और सख्त रणनीति अपनाई है। 14 जुलाई 2025 को व्हाइट हाउस में नाटो के महासचिव मार्क रुटे के साथ मुलाकात के दौरान ट्रम्प ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को 50 दिनों का अल्टीमेटम दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि रूस इस अवधि में यूक्रेन के साथ शांति समझौता नहीं करता, तो रूस और उसके व्यापारिक साझेदारों पर 100% सेकेंड्री टैरिफ लगाए जाएंगे। इसके साथ ही, ट्रम्प ने नाटो के माध्यम से यूक्रेन को अरबों डॉलर के अत्याधुनिक हथियारों की आपूर्ति की घोषणा की, जिसमें पैट्रियट मिसाइल सिस्टम, ड्रोन टेक्नोलॉजी, और अन्य उन्नत सैन्य उपकरण शामिल हैं। यह कदम ट्रम्प की उस महत्वाकांक्षा को दर्शाता है, जिसमें वे वैश्विक शांति स्थापित करने के लिए आर्थिक और सैन्य दबाव का उपयोग कर रहे हैं।
ट्रम्प का रूस को अल्टीमेटम
ट्रम्प ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में रूस के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, “मैं पुतिन से बहुत निराश हूं। मैंने सोचा था कि हम महीनों पहले एक समझौता कर लेंगे। मैं उनसे बात करता हूं, और हर बार लगता है कि यह एक अच्छी बातचीत थी, लेकिन फिर कीव या अन्य शहरों पर मिसाइलें दागी जाती हैं।” ट्रम्प ने रूस को 50 दिनों का समय दिया है, जिसके बाद यदि कोई शांति समझौता नहीं हुआ, तो रूस और उसके व्यापारिक साझेदारों पर 100% सेकेंड्री टैरिफ लागू किए जाएंगे। सेकेंड्री टैरिफ का मतलब उन देशों पर टैरिफ लगाना है जो रूस से तेल, गैस, या अन्य सामान आयात करते हैं। इन देशों में भारत, चीन, ब्राजील, और तुर्की जैसे देश शामिल हैं, जो रूस के प्रमुख व्यापारिक साझेदार हैं।
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि ये टैरिफ रूस की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं, क्योंकि तेल और गैस रूस की आय का लगभग एक-तिहाई हिस्सा और निर्यात का 60% से अधिक हिस्सा हैं। हालांकि, इन टैरिफ को लागू करना आसान नहीं होगा, क्योंकि रूस ने पहले भी कई प्रतिबंधों को चकमा देने में सफलता हासिल की है। ट्रम्प ने यह भी कहा, “मैं व्यापार को कई चीजों के लिए उपयोग करता हूं, और युद्ध रोकने के लिए इससे बेहतर कोई तरीका नहीं है।”
नाटो के जरिए यूक्रेन को हथियार
ट्रम्प ने नाटो के साथ एक समझौता किया है, जिसके तहत अमेरिका अरबों डॉलर के सैन्य उपकरण नाटो देशों को बेचेगा, और ये देश इन हथियारों को यूक्रेन को प्रदान करेंगे। ट्रम्प ने इसे “अमेरिका के लिए एक बड़ा सौदा” बताया, क्योंकि नाटो देश इन हथियारों की पूरी लागत चुकाएंगे। इन हथियारों में पैट्रियट मिसाइल डिफेंस सिस्टम, ड्रोन टेक्नोलॉजी, और अन्य उन्नत सैन्य उपकरण शामिल हैं, जो यूक्रेन को रूसी हमलों से बचाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। ट्रम्प ने कहा, “हम सबसे अच्छे हथियार बनाते हैं, और अब हम इन्हें नाटो को भेज रहे हैं, जो यूक्रेन को युद्धक्षेत्र में मजबूत करेगा।”
जर्मनी ने पहले ही दो पैट्रियट सिस्टम के लिए वित्तपोषण की पेशकश की है, और अन्य यूरोपीय देशों से भी इस दिशा में सहयोग की उम्मीद है। हालांकि, जर्मन रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने कहा कि इन सिस्टम को यूक्रेन पहुंचने में कुछ महीने लग सकते हैं। ट्रम्प के विशेष दूत कीथ कैलॉग ने कीव में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से मुलाकात की और इसे “उत्पादक” बताया। जेलेंस्की ने ट्रम्प के इस कदम की सराहना करते हुए कहा, “मैं राष्ट्रपति ट्रम्प और अमेरिका के समर्थन के लिए आभारी हूं। हम शांति और सुरक्षा के लिए मिलकर काम करेंगे।”
भारत पर संभावित प्रभाव
भारत, जो रूस से कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक है, इस टैरिफ की धमकी से प्रभावित हो सकता है। भारत ने 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से रूस से तेल आयात बढ़ाया है, और यह भारत की ऊर्जा जरूरतों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ट्रम्प ने पहले भी भारत के रूस से तेल आयात पर आपत्ति जताई थी, लेकिन भारत ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए इन आपत्तियों को नजरअंदाज किया। यदि 100% सेकेंड्री टैरिफ लागू होते हैं, तो भारत को अमेरिकी बाजार में व्यापार करने में कठिनाई हो सकती है, जिसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।
हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि भारत जैसे देश, जो रूस के साथ मजबूत कूटनीतिक और व्यापारिक संबंध रखते हैं, इन टैरिफ से बचने के लिए वैकल्पिक रणनीतियांadopt कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, भारत रूस के साथ व्यापार को गैर-अमेरिकी मुद्रा में कर सकता है या अन्य बाजारों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। फिर भी, यह टैरिफ भारत के लिए एक चुनौती पेश कर सकता है, खासकर तब जब वैश्विक व्यापार पहले से ही ट्रम्प के अन्य टैरिफ नीतियों के कारण दबाव में है।
ट्रम्प की टैरिफ नीति: वैश्विक परिदृश्य
ट्रम्प की टैरिफ नीति उनकी “अमेरिका फर्स्ट” नीति का हिस्सा है, जिसके तहत उन्होंने कई देशों पर 20% से 50% तक टैरिफ लगाए हैं। 1 अगस्त 2025 से लागू होने वाली इन टैरिफ दरों में शामिल हैं:
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25% टैरिफ: जापान, मलेशिया, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस, कजाकिस्तान, ट्यूनीशिया, ब्रुनेई, माल्दोवा।
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30% टैरिफ: श्रीलंका, लीबिया, अल्जीरिया, दक्षिण अफ्रीका, इराक, हर्जेगोविना, यूरोपीय यूनियन के देश।
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32% टैरिफ: इंडोनेशिया।
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35% टैरिफ: कनाडा, बांग्लादेश, सर्बिया।
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36% टैरिफ: थाईलैंड, कंबोडिया।
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40% टैरिफ: म्यांमार, लाओस।
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50% टैरिफ: ब्राजील।
रूस को अब तक इन टैरिफ की सूची से बाहर रखा गया था, लेकिन ट्रम्प का नया अल्टीमेटम रूस और उसके व्यापारिक साझेदारों के लिए एक नई चुनौती पेश करता है। ट्रम्प ने अप्रैल 2025 में सीनेटर लिंडसे ग्राहम द्वारा पेश किए गए “सैंक्शनिंग रूस एक्ट” का भी समर्थन किया, जिसमें रूस और उसके व्यापारिक साझेदारों पर 500% तक टैरिफ लगाने का प्रावधान है। यह बिल रूस के वित्तीय संस्थानों, ऊर्जा क्षेत्र, और अन्य प्रमुख क्षेत्रों पर व्यापक प्रतिबंध लगाने की बात करता है।
रूस की प्रतिक्रिया
रूस ने ट्रम्प के इस अल्टीमेटम को फिलहाल हल्के में लिया है। रूसी सीनेटर कोन्स्टेंटिन कोसाचेव ने टेलीग्राम पर लिखा, “50 दिनों में युद्धक्षेत्र और अमेरिकी प्रशासन की मनोदशा में बहुत कुछ बदल सकता है।” क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि ट्रम्प की हथियार योजना अमेरिकी नीति का हिस्सा है और इसका रूस पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि, कुछ रूसी विश्लेषकों का मानना है कि ट्रम्प की अप्रत्याशित नीतियां रूस के लिए नई चुनौतियां पेश कर सकती हैं।
रूस के स्टॉक मार्केट में ट्रम्प की घोषणा के बाद 2.3% की वृद्धि देखी गई, जो यह दर्शाता है कि रूसी निवेशकों को 50 दिनों की अवधि के दौरान कोई समझौता होने की उम्मीद है। फिर भी, रूस ने पहले भी कई पश्चिमी प्रतिबंधों को चकमा दिया है, और यह संभव है कि वह इस बार भी वैकल्पिक रणनीतियां अपनाए।
यूक्रेन का रुख
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने ट्रम्प के इस कदम का स्वागत किया है। उन्होंने टेलीग्राम पर लिखा, “मैं राष्ट्रपति ट्रम्प और अमेरिका के समर्थन के लिए आभारी हूं। हमने रूसी हमलों से लोगों की रक्षा करने और हमारी स्थिति को मजबूत करने के लिए आवश्यक साधनों और समाधानों पर चर्चा की।” जेलेंस्की ने ट्रम्प के विशेष दूत कीथ कैलॉग के साथ कीव में हुई मुलाकात को “उत्पादक” बताया और कहा कि यूक्रेन शांति के लिए सभी ईमानदार कदमों के लिए तैयार है।
यूक्रेन के पूर्व प्रधानमंत्री आर्सेनी यात्सेन्युक ने इसे ट्रम्प की नीति में “वास्तविक बदलाव” करार दिया और कहा कि ट्रम्प ने अब रूस को आक्रामक के रूप में पहचाना है। हालांकि, यूक्रेन के कुछ अधिकारी ट्रम्प की नीतियों के प्रति सतर्क हैं, क्योंकि उन्होंने पहले भी यूक्रेन को क्षेत्रीय रियायतें देने और नाटो में शामिल होने की योजनाओं को छोड़ने के लिए दबाव डाला था।
वैश्विक और कूटनीतिक प्रभाव
ट्रम्प का यह कदम वैश्विक कूटनीति और व्यापार पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। यूरोपीय यूनियन के शीर्ष राजनयिक ने सुझाव दिया कि ट्रम्प को पुतिन को और कम समय देना चाहिए था, ताकि दबाव और प्रभावी हो। जर्मन रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने कहा कि यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति में समय लगेगा, लेकिन यह कदम यूक्रेन की रक्षा क्षमता को मजबूत करेगा।
नाटो महासचिव मार्क रुटे ने ट्रम्प के इस फैसले को “यूक्रेन के लिए शानदार खबर” बताया और कहा कि यह यूक्रेन को रूसी हमलों से बचाने में मदद करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि यदि वे पुतिन के स्थान पर होते, तो वे अब शांति वार्ता को गंभीरता से लेते।
डोनाल्ड ट्रम्प का रूस को 50 दिनों का अल्टीमेटम और नाटो के माध्यम से यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति का फैसला उनकी विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है। यह कदम न केवल रूस-यूक्रेन युद्ध को प्रभावित करेगा, बल्कि भारत, चीन, और अन्य रूसी व्यापारिकसाझेदारों पर भी असर डाल सकता है। ट्रम्प की “टैरिफ बम” रणनीति और सैन्य समर्थन का यह मिश्रण वैश्विक शांति और व्यापार के लिए एक नया परिदृश्य बना सकता है। हालांकि, रूस की प्रतिक्रिया और इस अल्टीमेटम का वास्तविक प्रभाव अगले 50 दिनों में स्पष्ट होगा। Trump_Ukraine_Russia_Ultimatum
रूस-यूक्रेन युद्ध और ट्रम्प की नीतियों से संबंधित नवीनतम अपडेट के लिए विश्वसनीयसमाचार स्रोतों जैसे बीबीसी, रॉयटर्स, और स्काई न्यूज की वेबसाइट्स का अनुसरण करें। भारत के दृष्टिकोण से, विदेशमंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट (mea.gov.in) पर नजर रखें ताकि रूस के साथ व्यापार और कूटनीति पर सरकारी रुख की जानकारी मिल सके। Trump_Ukraine_Russia_Ultimatum
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।