भारत-नेपाल सीमा पर इस्लामी कट्टरपंथ का खतरनाक खेल
150 करोड़ की फंडिंग, अवैध धर्मांतरण, मस्जिद-मदरसे और डेमोग्राफी में बदलाव का षड्यंत्र
India_Nepal_Border_Islamic_Funding | भारत-नेपाल सीमा पर इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा सुनियोजित तरीके से डेमोग्राफी बदलने, अवैध धर्मांतरण कराने, और मस्जिद-मदरसों के निर्माण के लिए दक्षिण भारत से भारी फंडिंग का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। आयकर विभाग की गोपनीय जांच में ₹150 करोड़ की फंडिंग के सबूत मिले हैं, जो UPI और नकद लेनदेन के जरिए सीमावर्ती क्षेत्रों में पहुंचाए गए। इस फंडिंग का उपयोग न केवल धार्मिक ढांचों के निर्माण में, बल्कि अवैध धर्मांतरण और जनसंख्या असंतुलन पैदा करने में भी किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां इस नेटवर्क के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही हैं, जिसमें सैकड़ों अवैध ढांचों को ध्वस्त किया गया है। यह लेख इस खतरनाक षड्यंत्र, इसके प्रभाव, और सरकार की कार्रवाई पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। India_Nepal_Border_Islamic_Funding
भारत-नेपाल की खुली सीमा, जो 1,751 किलोमीटर तक फैली है, लंबे समय से तस्करी, घुसपैठ, और अन्य अवैध गतिविधियों के लिए संवेदनशील रही है। हाल ही में आयकर विभाग की एक गोपनीय जांच ने इस क्षेत्र में एक गंभीर और सुनियोजित षड्यंत्र का खुलासा किया है, जिसमें दक्षिण भारत की कुछ धार्मिक संस्थाओं से ₹150 करोड़ की फंडिंग के सबूत मिले हैं। इस फंडिंग का उपयोग अवैध धर्मांतरण, मस्जिदों, मदरसों, और मजारों के निर्माण, और सीमावर्ती जिलों में डेमोग्राफी बदलने के लिए किया जा रहा है। इस रिपोर्ट के गृह मंत्रालय को सौंपे जाने के बाद, उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने सख्त कार्रवाई शुरू की है, जिसमें सैकड़ों अवैध ढांचों को ध्वस्त किया गया और संदिग्ध व्यक्तियों की जांच तेज की गई। India_Nepal_Border_Islamic_Funding
आयकर विभाग की जांच और चौंकाने वाले खुलासे
आयकर विभाग की लखनऊ इकाई ने फरवरी 2025 में नेपाल सीमा से सटे जिलों—रक्सौल, रुपैडीहा, बढ़नी, और कोयलाबास में ₹2000 के नोटों की अवैध अदला-बदली की सूचना पर छापेमारी शुरू की। जांच में UPI के माध्यम से सैकड़ों संदिग्ध बैंक खातों में भारी मात्रा में फंड ट्रांसफर का पता चला, जिसका पैटर्न पुलवामा आतंकी हमले की फंडिंग तकनीक से मिलता-जुलता था। प्रारंभिक जांच में ₹150 करोड़ की फंडिंग के सबूत मिले, जिसमें से ₹12 करोड़ तमिलनाडु की एक धार्मिक संस्था से बलरामपुर के एक मुस्लिम व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर किए गए।
जांच में सामने आया कि इस फंडिंग का उपयोग निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है:
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अवैध धर्मांतरण: हिंदू समुदाय की महिलाओं और गरीब परिवारों को निशाना बनाकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। उदाहरण के लिए, बलरामपुर के जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा ने कई हिंदू परिवारों का धर्म परिवर्तन करवाया, जिसमें मुंबई के नवीन घनश्याम रोहरा, उनकी पत्नी नीतू, और बेटी समाले के नाम बदलकर जमालुद्दीन, नसरीन, और सबीहा रखे गए।
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मस्जिद, मदरसे, और मजारों का निर्माण: सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध रूप से मस्जिदें, मदरसे, और मزارें बनाई गई हैं। बलरामपुर में नेपाल सीमा से 15 किलोमीटर के दायरे में 150 मदरसे और 200 से अधिक मस्जिदें हैं, जिनमें से कई सरकारी जमीन पर बनी हैं।
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डेमोग्राफी में बदलाव: श्रावस्ती, बहराइच, बलरामपुर, और सिद्धार्थनगर जैसे जिलों में मुस्लिम आबादी में असामान्य वृद्धि देखी गई है, जबकि हिंदू आबादी में कमी आई है। यह बदलाव पिछले 15 वर्षों से योजनाबद्ध तरीके से हो रहा है।
डेमोग्राफी में बदलाव: एक सुनियोजित षड्यंत्र
आयकर विभाग और गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, भारत-नेपाल सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के सात जिलों—बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, पीलीभीत, और लखीमपुर खीरी—में मुस्लिम आबादी में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए:
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सिद्धार्थनगर: 1990 में 16 मदरसे थे, जो 2023 तक बढ़कर 597 हो गए।
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बलरामपुर: नेपाल सीमा से 15 किलोमीटर के दायरे में 150 मदरसे और 200 मस्जिदें हैं।
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श्रावस्ती: कई गांवों में हिंदू आबादी घट रही है, जबकि मुस्लिम आबादी बढ़ रही है।
नेपाल की ओर भी स्थिति चिंताजनक है। नेपाल के सांसद अभिषेक प्रताप शाह ने 2022 में बताया कि पिछले 20 वर्षों में नेपाल में मुस्लिम आबादी 4.5% से बढ़कर 9% हो गई है। उन्होंने आशंका जताई कि अगले 20 वर्षों में यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। शाह ने यह भी दावा किया कि नेपाल की वामपंथी पार्टियां और विदेशी फंडिंग, विशेष रूप से पाकिस्तान से, इस वृद्धि को बढ़ावा दे रही हैं।
छांगुर बाबा: अवैध धर्मांतरण का मास्टरमाइंड
बलरामपुर के जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा इस नेटवर्क का प्रमुख सरगना निकला। वह साइकिल पर ताबीज और अंगूठियां बेचने वाला सूफी संत बनकर अवैध धर्मांतरण और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों का संचालन कर रहा था। एटीएस की पूछताछ में उसने कबूल किया कि वह पिछले 15 वर्षों से धर्मांतरण के धंधे में शामिल था। उसके बैंक खातों में ₹100 करोड़ से अधिक की विदेशी फंडिंग की पुष्टि हुई, जिसमें मध्य पूर्व के देशों से ₹500 करोड़ की फंडिंग की बात सामने आई।
छांगुर की कोठी, जो सरकारी जमीन पर बनी थी, को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उसके और उसके सहयोगियों के 40 बैंक खातों की जांच शुरू की, और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) टेरर फंडिंग के एंगल से पूछताछ कर रही है।
योगी सरकार और केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस खतरे के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू की है। 2025 में, नेपाल सीमा से सटे सात जिलों में सैकड़ों अवैध मस्जिदों, मदरसों, और मजारों को ध्वस्त किया गया। प्रमुख कार्रवाइयों में शामिल हैं:
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श्रावस्ती: 33 मदरसे सील किए गए, और एक मस्जिद को हटाया गया।
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महाराजगंज: 11 मदरसे सील किए गए, और एक मजार पर बुलडोजर चलाया गया।
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सिद्धार्थनगर: 3 मस्जिदों और 14 मदरसों को नोटिस जारी किया गया।
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बहराइच: 41 अवैध ढांचों को ध्वस्त किया गया।
2022 में, योगी सरकार ने गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण शुरू किया, जिसमें 8,449 मदरसों को बंद करने की सिफारिश की गई। गृह मंत्रालय के अधीन सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने भी सीमा से 15 किलोमीटर के दायरे में मस्जिदों और मदरसों की संख्या में वृद्धि की चेतावनी दी।
केंद्र सरकार ने गृह मंत्रालय के निर्देश पर इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) और ईडी को इस फंडिंग नेटवर्क की गहन जांच के लिए सक्रिय किया है। गृह मंत्री अमित शाह ने सीमा सुरक्षा की समीक्षा की और नेपाल सीमा पर अतिरिक्त फोर्स तैनात करने के निर्देश दिए।
नेपाल सीमा की संवेदनशीलता
भारत-नेपाल सीमा की खुली और छिद्रपूर्ण प्रकृति इसे अवैध गतिविधियों के लिए संवेदनशील बनाती है। 579 किलोमीटर लंबी इस सीमा पर बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, पीलीभीत, और लखीमपुर खीरी जैसे जिले शामिल हैं। इन क्षेत्रों में तस्करी, जाली मुद्रा, और मानव तस्करी जैसी गतिविधियां आम हैं। हाल के वर्षों में, इस्लामिक कट्टरपंथी गतिविधियों में वृद्धि ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है।
2018 में, सीमावर्ती जिलों में मस्जिदों और मदरसों की संख्या 1,349 थी, जो 2024 तक बढ़कर 1,540 हो गई। यह वृद्धि सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि कई ढांचे सरकारी जमीन पर बने हैं और विदेशी फंडिंग से संचालित हो रहे हैं।
नेपाल में भी बढ़ती चिंता
नेपाल में भी इस्लामी कट्टरपंथ और मुस्लिम आबादी में वृद्धि ने स्थानीय नेताओं को चिंतित किया है। सांसद अभिषेक प्रताप शाह ने 2022 में बताया कि नेपाल में मुस्लिम आबादी दोगुनी हो गई है, और सरकार द्वारा मदरसों के लिए अनुदान भी जारी किया जा रहा है। उन्होंने पाकिस्तान और वामपंथी पार्टियों पर भारत-विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
नेपाल के सीमावर्ती जिलों जैसे रौताहट, परसा, कपिलवस्तु, सुनसारी, और बारा में विदेशी फंडिंग से मस्जिदें और मदरसे बन रहे हैं, जो भारत-विरोधी गतिविधियों के केंद्र बन गए हैं। पाकिस्तान के दावत-ए-इस्लामिया (DeL) जैसे संगठनों से ₹1.25 करोड़ की फंडिंग की बात भी सामने आई है। India_Nepal_Border_Islamic_Funding
सुरक्षा और कूटनीतिक चुनौतियां
यह मुद्दा न केवल भारत के लिए, बल्कि भारत-नेपाल संबंधों के लिए भी एकबड़ी चुनौती है। भारत-नेपाल सीमा सड़क परियोजना, जिसकी शुरुआत 2013 में हुई, सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने और तस्करी रोकने के लिए बनाई गई थी। हालांकि, खुली सीमा के कारण घुसपैठ और अवैध गतिविधियां रोकना चुनौतीपूर्ण है। हाल के महीनों में, ऑपरेशन सिंदूर के बाद 37 पाकिस्तानी और बांग्लादेशी घुसपैठियों की आशंका के चलते सीमा पर हाई अलर्ट जारी किया गया।
इसके अलावा, बिहार में मतदाता सूची के विशेषगहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान नेपाल, बांग्लादेश, और म्यांमार से अवैध घुसपैठियों की पहचान हुई, जो भारतीय मतदाता सूची में शामिल थे। यह स्थिति भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है। India_Nepal_Border_Islamic_Funding
भारत-नेपाल सीमा पर इस्लामी कट्टरपंथ, अवैध धर्मांतरण, और डेमोग्राफी बदलने का यह षड्यंत्र राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती है। आयकर विभाग की जांच में ₹150 करोड़ की फंडिंग और छांगुर बाबा जैसे व्यक्तियों के नेटवर्क का खुलासा इस खतरे की गंभीरता को दर्शाता है। योगी सरकार और केंद्रीय एजेंसियों की सख्त कार्रवाई इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए दीर्घकालिक रणनीति और भारत-नेपाल के बीच बेहतर कूटनीतिक सहयोग की आवश्यकता है। India_Nepal_Border_Islamic_Funding
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।