ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद मिडल ईस्ट से लैटिन अमेरिका तक 17 देशों की नजर, लखनऊ में 3600 KM/h की सुपरसोनिक मिसाइल का प्रोडक्शन शुरू
BrahMos Missile Demand Surge | भारत की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ने मई 2025 में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान अपनी अभूतपूर्व युद्धक क्षमता का प्रदर्शन कर वैश्विक रक्षा बाजार में तहलका मचा दिया। इसकी मैक 3 (3600 किमी/घंटा) की रफ्तार, सटीक निशाना, और हर मौसम में काम करने की ताकत ने इसे दुनिया के सबसे घातक हथियारों में शुमार कर दिया। ऑपरेशन सिंदूर में इसकी सफलता के बाद, मध्य पूर्व, दक्षिण-पूर्व एशिया, और लैटिन अमेरिका के 17 देशों ने इस मिसाइल की मांग की है। भारत अब लखनऊ में नए ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन एंड टेस्टिंग फैसिलिटी के साथ बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू कर रहा है, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। साथ ही, 800 किमी रेंज और हाइपरसोनिक ब्रह्मोस-II के विकास ने वैश्विक रक्षा समीकरण बदलने की शुरुआत कर दी है। आइए, इस मिसाइल की विशेषताओं, ऑपरेशन सिंदूर की भूमिका, और भारत की भविष्य की योजनाओं को विस्तार से समझें। BrahMos Missile Demand Surge
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, भारत और रूस की संयुक्त तकनीकी उपलब्धि, ने मई 2025 में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान अपनी विनाशकारी क्षमता का प्रदर्शन कर वैश्विक रक्षा समुदाय का ध्यान खींचा। इस ऑपरेशन में ब्रह्मोस ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिसके बाद मध्य पूर्व, दक्षिण-पूर्व एशिया, और लैटिन अमेरिका के 17 देशों ने इस मिसाइल की खरीद में रुचि दिखाई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ में ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन एंड टेस्टिंग फैसिलिटी के उद्घाटन के दौरान कहा, “ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की सफलता ने दुनिया को भारत की रक्षा तकनीक की ताकत दिखाई। यह मिसाइल न केवल हमारी सेना की रीढ़ है, बल्कि वैश्विक रक्षा बाजार में भारत का गौरव भी है।” लखनऊ का नया प्लांट भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा और हजारों नौकरियां पैदा करेगा। यह लेख ब्रह्मोस की विशेषताओं , ऑपरेशन सिंदूर की भूमिका, और भारत की भविष्य की योजनाओं पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। BrahMos Missile Demand Surge
ब्रह्मोस मिसाइल: एक अविनाशी हथियार
ब्रह्मोस, भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मॉस्कवा नदी के नाम पर, भारत के डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन) और रूस के एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया द्वारा संयुक्त रूप से विकसित सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। 1998 में शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट भारत के पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की दूरदर्शिता का परिणाम है। 2001 में चांदीपुर तट पर इसका पहला परीक्षण सफल रहा, और तब से यह भारतीय सेना, नौसेना, और वायुसेना का अभिन्न अंग बन चुका है। ब्रह्मोस की प्रमुख विशेषताएं इसे दुनिया के सबसे घातक हथियारों में से एक बनाती हैं:
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सुपरसोनिक रफ्तार: ब्रह्मोस की गति मैक 2.8 से मैक 3 (लगभग 3600 किमी/घंटा) है, जो ध्वनि की गति से तीन गुना अधिक है। यह रफ्तार इसे अमेरिका की टॉमहॉक (सबसोनिक) जैसी मिसाइलों से कहीं अधिक प्रभावी बनाती है, क्योंकि दुश्मन को प्रतिक्रिया देने का समय नहीं मिलता।
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फायर एंड फॉरगेट: यह मिसाइल स्वतंत्र रूप से लक्ष्य को भेद सकती है, बिना किसी अतिरिक्त मार्गदर्शन के। यह इसे सुरक्षित और त्वरित हमले के लिए आदर्श बनाता है।
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स्टील्थ डिजाइन: इसका छोटा रडार क्रॉस-सेक्शन और स्टील्थ सामग्री इसे दुश्मन के रडार से बचाने में मदद करती है।
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मल्टी-प्लेटफॉर्म क्षमता: ब्रह्मोस को जमीन (मोबाइल लॉन्चर), समुद्र (युद्धपोत, पनडुब्बी), और हवा (सुखोई-30 MKI, राफेल) से लॉन्च किया जा सकता है।
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हर मौसम में सक्षम: भारी बारिश, धुंध, या रात के समय भी यह सटीक निशाना लगाती है।
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उच्च सटीकता: 1-2 मीटर की सटीकता के साथ यह लक्ष्य को पिनपॉइंट सटीकता से भेद सकती है।
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लंबी रेंज: वर्तमान में 290-450 किमी की रेंज, जिसे 800 किमी तक बढ़ाने की योजना है।
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जैमिंग और मार्ग परिवर्तन: उन्नत सेंसर (INS, GPS) और जैमिंग तकनीक इसे दुश्मन के डिफेंस सिस्टम से बचाती है।
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दो-चरणीय इंजन: सॉलिड प्रणोदक बूस्टर और लिक्विड रैमजेट इंजन इसे लंबी दूरी तक सुपरसोनिक गति प्रदान करते हैं।
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विनाशकारी वॉरहेड: 200-300 किलो का वॉरहेड, जो बंकर और किलेबंद ठिकानों को नष्ट कर सकता है।
ऑपरेशन सिंदूर: ब्रह्मोस की युद्धक क्षमता का प्रदर्शन
10 मई 2025 को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारतीय वायुसेना ने ब्रह्मोस मिसाइल का उपयोग कर पाकिस्तान के प्रमुख सैन्य ठिकानों पर सटीक हमले किए। इनमें रफीकी, मुरिद, नूर खान, रहीम यार खान, सुक्कुर, चुनियाँ, स्कर्दू, भोलारी, जैकोबाबाद, और सरगोधा जैसे हवाई अड्डे और सियालकोट व पासरूर के रडार स्टेशन शामिल थे। ब्रह्मोस ने फ्रांस की SCALP और Hammer मिसाइलों के साथ मिलकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया, जिसने पाकिस्तानी रक्षा तंत्र को हिलाकर रख दिया।
इस ऑपरेशन की सफलता ने ब्रह्मोस को वैश्विक मंच पर एक सिद्ध हथियार के रूप में स्थापित किया। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी सटीकता और तेज रफ्तार ने इसे ‘गेम-चेंजर’ बनाया। ऑपरेशन के बाद, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “ब्रह्मोस ने न केवल दुश्मन के ठिकानों को ध्वस्त किया, बल्कि भारत की रक्षा तकनीक की ताकत को दुनिया के सामने लाया।” इस प्रदर्शन के बाद, 17 देशों ने ब्रह्मोस की खरीद में रुचि दिखाई, जिसमें सऊदी अरब, यूएई, कतर, ओमान, वियतनाम, थाईलैंड, सिंगापुर, ब्रुनेई, ब्राजील, चिली, अर्जेंटीना, वेनेजुएला, मिस्र, इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण अफ्रीका, और फिलीपींस शामिल हैं।
लखनऊ में ब्रह्मोस का प्रोडक्शन: आत्मनिर्भर भारत की नई मिसाल
11 मई 2025 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ-कानपुर हाईवे पर ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन एंड टेस्टिंग फैसिलिटी का उद्घाटन किया। यह सुविधा भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इस प्लांट की विशेषताएं हैं:
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बड़े पैमाने पर उत्पादन: यह सुविधा प्रति वर्ष सैकड़ों ब्रह्मोस मिसाइलों का उत्पादन कर सकती है, जो भारतीय सशस्त्र बलों और निर्यात की मांग को पूरा करेगी।
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रोजगार सृजन: यह प्लांट उत्तर प्रदेश में 10,000 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा करेगा।
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आधुनिक तकनीक: उन्नत रोबोटिक्स, ऑटोमेशन, और डिजिटल टेस्टिंग सिस्टम से लैस यह सुविधा मिसाइल की गुणवत्ता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करेगी।
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इंफ्रास्ट्रक्चर विकास: लखनऊ का बेहतर कनेक्टिविटी (एक्सप्रेसवे, मेट्रो, और चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा) इसे रक्षा उत्पादन का केंद्र बनाता है।
राजनाथ सिंह ने कहा, “यह प्लांट उत्तर प्रदेश को रक्षा उत्पादन का हब बनाएगा और भारत को वैश्विक रक्षा निर्यात में अग्रणी बनाएगा।” योगी आदित्यनाथ ने जोड़ा, “उत्तर प्रदेश की मजबूत कानून-व्यवस्था और निवेश-अनुकूल नीतियों ने ब्रह्मोस जैसे प्रोजेक्ट्स को आकर्षित किया है।”
ब्रह्मोस के विभिन्न वेरिएंट्स
ब्रह्मोस के कई वेरिएंट्स इसे हर तरह की युद्धक जरूरतों के लिए उपयुक्त बनाते हैं:
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जहाज-आधारित वेरिएंट: भारतीय नौसेना के युद्धपोतों (जैसे INS राजपूत, INS विशाखापट्टनम) पर तैनात। यह समुद्र और जमीन दोनों पर हमला कर सकता है। एक सैल्वो में 8 मिसाइलें लॉन्च की जा सकती हैं।
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जमीन-आधारित वेरिएंट: सेना के पास ब्लॉक I, II, और III कॉन्फिगरेशन में मोबाइल लॉन्चर हैं, जो सटीक हमले, सुपरसोनिक डाइव, और पहाड़ी इलाकों में हमले के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
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हवा-आधारित वेरिएंट: सुखोई-30 MKI और राफेल विमानों से लॉन्च किया जाता है। इसका पहला सफल परीक्षण 2017 में हुआ।
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पनडुब्बी-आधारित वेरिएंट: 2013 में विशाखापट्टनम तट पर 50 मीटर गहराई से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।
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ब्रह्मोस-NG (नेक्स्ट जेनरेशन): हल्का, छोटा, और अधिक स्टील्थ वेरिएंट, जो राफेल और नौसैनिक जरूरतों के लिए बन रहा है।
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हाइपरसोनिक ब्रह्मोस-II: मैक 8 की रफ्तार और 1500 किमी रेंज के साथ यह भविष्य में दुनिया की सबसे तेज मिसाइल होगी। इसका विकास 2030 तक पूरा होने की उम्मीद है।
वैश्विक मांग और निर्यात की संभावनाएं
मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) के नियमों के तहत, भारत 290 किमी रेंज वाले ब्रह्मोस को निर्यात करता है, जो मुख्य रूप से एंटी-शिप भूमिका के लिए है। हालांकि, भारत अपने लिए 450 किमी और भविष्य में 800 किमी रेंज वाले वेरिएंट्स रखता है। रूस की सहमति के साथ, भारत ने फिलीपींस को $375 मिलियन में ब्रह्मोस मिसाइलें निर्यात करने का सौदा किया, जो 2022 में पूरा हुआ। अन्य देशों में वियतनाम, थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, ब्रुनेई, सऊदी अरब, यूएई, कतर, ओमान, ब्राजील, चिली, अर्जेंटीना, वेनेजुएला, मिस्र, और दक्षिण अफ्रीका ने भी इसकी खरीद में रुचि दिखाई है।
ऑपरेशन सिंदूर ने इन देशों का भरोसा बढ़ाया, क्योंकि ब्रह्मोस ने वास्तविक युद्ध में अपनी सटीकता और विश्वसनीयता साबित की। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रह्मोस का निर्यात भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में चीन और रूस जैसे देशों के साथ प्रतिस्पर्धी बनाएगा।
भारत की भविष्य की योजनाएं
भारत ब्रह्मोस को और उन्नत बनाने और वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाओं पर काम कर रहा है:
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800 किमी रेंज वेरिएंट: डीआरडीओ 800 किमी रेंज वाले ब्रह्मोस का परीक्षण कर रहा है, जो भारत की रणनीतिक पहुंच को बढ़ाएगा।
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हाइपरसोनिक ब्रह्मोस-II: मैक 8 की रफ्तार और 1500 किमी रेंज के साथ यह मिसाइल 2030 तक तैयार हो सकती है।
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पनडुब्बी वेरिएंट का विस्तार: P75I प्रोजेक्ट के तहत पनडुब्बी से लॉन्च होने वाले वेरिएंट का और विकास होगा।
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ब्रह्मोस-NG: राफेल और नौसैनिक विमानों के लिए हल्का और स्टील्थ वेरिएंट 2027 तक तैयार होने की उम्मीद है।
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निर्यात वृद्धि: भारत ने अगले पांच वर्षों में $5 बिलियन के रक्षा निर्यात का लक्ष्य रखा है, जिसमें ब्रह्मोस का बड़ा योगदान होगा।
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लखनऊ में मास प्रोडक्शन: नया प्लांट प्रति वर्ष 100-150 मिसाइलों का उत्पादन करेगा, जिससे भारत आत्मनिर्भर बनेगा और वैश्विक मांग को पूरा करेगा।
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स्वदेशीकरण: ब्रह्मोस में 65% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग हो रहा है, और डीआरडीओ इसे 90% तक बढ़ाने की योजना बना रहा है।
वैश्विक रक्षा बाजार में ब्रह्मोस की स्थिति
ब्रह्मोस की सुपरसोनिक रफ्तार, स्टील्थ डिजाइन, और सटीकता इसे रूस की P-800 ओनिक्स, अमेरिका की टॉमहॉक, और चीन की YJ-12 जैसी मिसाइलों से कहीं अधिक प्रभावी बनाती है। इसकी मल्टी-प्लेटफॉर्म क्षमता और परमाणु हथियार ले जाने की संभावना इसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद, कई देशों ने इसे अपने नौसैनिक और वायुसेना बेड़े में शामिल करने की इच्छा जताई है। BrahMos Missile Demand Surge
विश्लेषकों का मानना है कि ब्रह्मोस का निर्यात भारत की कूटनीतिक और आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा। उदाहरण के लिए, वियतनाम और फिलीपींस जैसे देश दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए ब्रह्मोस को एक रणनीतिक हथियार के रूप में देख रहे हैं। मध्य पूर्व के देश, जैसे सऊदी अरब और यूएई, इसे क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं। BrahMos Missile Demand Surge
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में अपनी विनाशकारी क्षमता साबित कर वैश्विक रक्षा बाजार में भारत का कद बढ़ाया है। 17 देशों की मांग और लखनऊ में नए उत्पादन संयंत्र ने भारत को रक्षा आत्मनिर्भरता और निर्यात के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई दी है। 800 किमी रेंज और हाइपरसोनिक ब्रह्मोस-II के विकास के साथ, भारत वैश्विक रक्षा समीकरण को बदलने की ओर अग्रसर है। यह मिसाइल न केवल भारत की सैन्य ताकत का प्रतीक है, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ का जीवंत उदाहरण भी है। BrahMos Missile Demand Surge
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।