हिंदू धर्म को गाली देने वाले वजाहत खान को सुप्रीम कोर्ट की फटकार
सभी FIR एक साथ करने से इनकार, अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब अपमान नहीं : सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court Slams Wajahat Khan for Insulting Hinduism | सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया पर हिंदू धर्म और देवी-देवताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों के लिए वजाहत खान को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। वजाहत खान ने अपनी याचिका में चार राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज FIR को एक साथ जोड़ने की मांग की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कोई राहत नहीं दी। कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि सोशल मीडिया पर गैर-जिम्मेदाराना पोस्ट से मुकदमेबाजी बढ़ रही है, जिससे न्यायिक प्रणाली पर बोझ पड़ता है। आइए, इस मामले को विस्तार से समझते हैं और जानते हैं कि कोर्ट ने क्या कहा और वजाहत खान के विवादास्पद पोस्ट क्या थे। Supreme Court Slams Wajahat Khan for Insulting Hinduism
वजाहत खान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने वजाहत खान की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें उन्होंने पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, असम, और एक अन्य राज्य में उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को एक साथ जोड़ने की मांग की थी। ये मामले उनके द्वारा सोशल मीडिया पर हिंदू धर्म और देवी-देवताओं के खिलाफ किए गए अपमानजनक पोस्ट से संबंधित हैं। कोर्ट ने उनकी मांग पर कोई फैसला नहीं सुनाया और उनकी टिप्पणियों की कड़ी आलोचना की। Supreme Court Slams Wajahat Khan for Insulting Hinduism
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा,
“अभिव्यक्ति की आजादी एक मौलिक अधिकार है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप दूसरों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाएं। सोशल मीडिया पर गैर-जिम्मेदाराना पोस्ट से मुकदमेबाजी बढ़ रही है, जिससे अदालतों पर अनावश्यक बोझ पड़ता है। नागरिकों को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और भाईचारा बनाए रखना चाहिए।”
कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि अभिव्यक्ति की आजादी के साथ जिम्मेदारी भी आती है। यदि इसका दुरुपयोग होता है, तो यह सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाता है और न्यायिक प्रणाली को धीमा करता है।
वजाहत खान के विवादास्पद पोस्ट
वजाहत खान के खिलाफ कई राज्यों में FIR दर्ज होने का कारण उनके सोशल मीडिया पोस्ट हैं, जिनमें उन्होंने हिंदू धर्म, देवी-देवताओं, और हिंदू संस्कृति के खिलाफ अपमानजनक और भड़काऊ टिप्पणियां की थीं। कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
- कामाख्या देवी मंदिर पर टिप्पणी:
वजाहत ने लिखा, “कामाख्या देवी मंदिर में ब्राह्मण को अन्य हिंदुओं से कटी हुई योनि की पूजा करवानी पड़ती है। इसमें अंतर करना बहुत मुश्किल है कि यह अंधभक्ति है या कोई मानसिक बीमारी।”
इस पोस्ट को हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला माना गया। - हिंदुओं के खिलाफ अपशब्द:
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा, “तुझ जैसी रं* पेट की औलाद रसूल के बारे में मेरी बात करे ये जेब नहीं देता… तू इसकी बात कर, तेरा कृष्णा कैसा रंगीला था देख… सच्चाई देख वहम में मत जी… झं$% सा&% तूने जो भी कहा वो सब तो झूठ और बहुत है लेकिन ये तेरे ही किताब का है सच पढ़, सु& के पि%$।”
यह टिप्पणी भगवान कृष्ण और हिंदू धर्मग्रंथों के खिलाफ थी, जिसे अत्यंत आपत्तिजनक माना गया। - हिंदू संस्कृति पर हमला:
वजाहत ने एक अन्य पोस्ट में लिखा, “एक हिंदू अपनी साली को अंग-अंग पर रंग लगाते हुए और अपने दोस्तों को भी उसके साथ ऐसा करने का निमंत्रण देते हुए… हिंदू… यहीं है इनकी असलियत… बलात्कारी संस्कृति।”
इस पोस्ट में हिंदू संस्कृति को बलात्कारी कहकर बदनाम करने की कोशिश की गई। - अश्लील टिप्पणियां:
इंस्टाग्राम पर उन्होंने लिखा, “अबे भो, ब… अपनी बहन से जाकर सीख तेरा धर्म ला, तेरा धर्म जो तेरी बहन कोठे में बैठ कर सिखाती है… या फिर वही धर्म तेरे घर पे आकर सिखाती है… सुन रं पेट का जाना… मेरे अबाओ अजदाद कन्वर्ट हुए भी ते ना तो हमें उनपर फक्र है… के गंदा धर्म शैतानों का पूजा करने वाला, लिंग का पूजा करने वाला धर्म चो* कर… पाक साफ धर्म अपना और हक धर्म अपना… फखर है उनपे… जा तू लिंगम पूजा कर…”
इस पोस्ट में हिंदू धर्म को “गंदा” और “शैतानों का” कहकर अपमानित किया गया। - हिंदू धर्मग्रंथों पर टिप्पणी:
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा, “नहीं वो उसकी बात कर रहा है जिसकी 16108 रखैलों के साथ रंग रसिया मनाता था… या चुपके-चुपके लड़कियों को नहाते हुए देखता था…”
यह भगवान कृष्ण के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी थी। - हिंदुओं को अपमानित करने वाली पोस्ट:
“मेरे पास तुम्हारे लिए कुछ है… पहले अपने धर्म के बारे में पढ़ो। मूत्र पीने वाले बदमाश।”
इस पोस्ट में हिंदू धर्म की प्रथाओं को अपमानित करने की कोशिश की गई।
इन पोस्ट्स के कारण वजाहत खान के खिलाफ कई राज्यों में धार्मिक भावनाएं भड़काने और अपमान करने के आरोप में FIR दर्ज की गईं।
वजाहत खान का पक्ष और माफी
सुप्रीम कोर्ट में वजाहत खान के वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किल ने पुराने ट्वीट्स में की गई टिप्पणियों के लिए माफी मांग ली है। वकील ने कहा, “ये ट्वीट पुराने थे और कुछ अन्य पोस्ट्स की प्रतिक्रिया में किए गए थे। मेरे मुवक्किल को अपनी गलती का एहसास है, और उन्होंने माफी मांग ली है।”
हालांकि, कोर्ट ने इस पर सवाल उठाया और कहा, “आपने वही गलती दोहराई, जिसका आरोप आपने दूसरों पर लगाया था। सोशल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट करने से पहले जिम्मेदारी बरतनी चाहिए।”
न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने टिप्पणी की, “शब्दों से किया गया घाव कभी नहीं भरता। आपको यह समझना होगा कि अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब दूसरों को अपमानित करना नहीं है।”
वजाहत खान और शर्मिष्ठा पनोली का विवाद
वजाहत खान का मामला तब सुर्खियों में आया जब उन्होंने सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली के खिलाफ मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भड़काऊ पोस्ट करने की शिकायत की थी। उनकी शिकायत पर पश्चिम बंगाल पुलिस ने शर्मिष्ठा को गिरफ्तार किया था। शर्मिष्ठा को दो सप्ताह जेल में बिताने पड़े, और उनकी जमानत याचिका भी खारिज कर दी गई थी।
इसके बाद, वजाहत खान के पुराने ट्वीट्स सामने आए, जिनमें उन्होंने हिंदू धर्म और देवी-देवताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां की थीं। इसके परिणामस्वरूप, उनके खिलाफ भी कई राज्यों में FIR दर्ज की गईं। वजाहत ने शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी का जश्न मनाया था, जिसके बाद उनके पोस्ट्स की जांच शुरू हुई। Supreme Court Slams Wajahat Khan for Insulting Hinduism
सुप्रीम कोर्ट का रुख और सामाजिक संदेश
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में न केवल वजाहत खान को फटकार लगाई, बल्कि सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर भी चिंता जताई। कोर्ट ने कहा कि नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी का सम्मान करना चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे दूसरों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाएं। कोर्ट ने सरकार से सोशल मीडिया पर भड़काऊ और अपमानजनक सामग्री को नियंत्रित करने के लिए दिशानिर्देश बनाने पर विचार करने को कहा।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अभिव्यक्ति की आजादी एक मौलिक अधिकार है, लेकिन यह पूर्ण नहीं है। इसके साथ कुछ उचित प्रतिबंध भी हैं, खासकर जब यह सामाजिक सौहार्द को प्रभावित करता है। कोर्ट ने नागरिकों से अपील की कि वे अपने कर्तव्यों का पालन करें और भाईचारा बनाए रखें। Supreme Court Slams Wajahat Khan for Insulting Hinduism
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
वजाहत खान के मामले ने सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा छेड़ दी है। कुछ यूजर्स ने सुप्रीम कोर्ट के रुख की सराहना की, जबकि अन्य ने इस मामले में कथित “दोहरे मापदंड” की आलोचना की। कुछ X पोस्ट्स में दावा किया गया कि जब शर्मिष्ठा पनोली को गिरफ्तार किया गया था, तब कोर्ट ने चुप्पी साधी थी, लेकिन वजाहत खान को अंतरिम राहत दी गई। हालांकि, ये दावे व्यक्तिगत राय पर आधारित हैं और इन्हें तथ्यात्मक रूप से सत्यापित नहीं किया जा सकता।
क्या है अभिव्यक्ति की आजादी का दायरा?
भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की आजादी प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है। हालांकि, अनुच्छेद 19(2) के तहत इस पर उचित प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं, जैसे कि सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता, या किसी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने से रोकने के लिए। सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में इस बात पर जोर दिया है कि अभिव्यक्ति की आजादी का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।
उदाहरण के लिए, M.R. Vijayabhaskar (2021) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि खुली अदालतों की कार्यवाही की रिपोर्टिंग अभिव्यक्ति की आजादी का हिस्सा है, लेकिन इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। इसी तरह, वजाहत खान के मामले में कोर्ट ने स्पष्ट किया कि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली टिप्पणियां अभिव्यक्ति की आजादी के दायरे से बाहर हैं। Supreme Court Slams Wajahat Khan for Insulting Hinduism
कर्म और ज्योतिषीय दृष्टिकोण
इस मामले को ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखें तो वजाहत खान की कुंडली में संभवतः बुध या गुरु की अशुभ स्थिति के कारण वाणी से संबंधित विवाद उत्पन्न हुए होंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बुध वाणी और संचार का कारक है, और यदि यह अशुभ प्रभाव में हो, तो व्यक्ति की वाणी विवादास्पद हो सकती है। साथ ही, कर्म दोष के कारण भी शुभ योग निष्फल हो सकते हैं। वजाहत खान के मामले में, उनकी गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियां उनके कर्म दोष का परिणाम हो सकती हैं, जिसने उनके लिए कानूनी और सामाजिक परेशानियां खड़ी कीं।
ज्योतिषीय उपाय:
- गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ: वाणी से संबंधित दोषों को दूर करने के लिए।
- गायत्री मंत्र जप: मानसिक शांति और सकारात्मकता के लिए।
- सूर्य को अर्घ्य: आत्मविश्वास और सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाने के लिए।
- दान: गाय को हरा चारा या गरीबों को भोजन दान करें।
सुप्रीमकोर्ट ने वजाहत खान के मामले में स्पष्टसंदेश दिया है कि अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब दूसरों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। कोर्ट ने उनकी याचिका पर कोई राहत नहीं दी और उनकी अपमानजनक टिप्पणियों की कड़ी आलोचना की। यह मामला सोशलमीडिया पर जिम्मेदारी के साथ व्यवहार करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। नागरिकों को यह समझना होगा कि उनके शब्दों का गहरा प्रभाव पड़ता है, और गैर-जिम्मेदाराना पोस्ट न केवलसामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि कानूनीपरेशानियों का कारण भी बनते हैं। Supreme Court Slams Wajahat Khan for Insulting Hinduism
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।