जातिगत जनगणना 2027: मोदी सरकार की ऐतिहासिक घोषणा, कॉन्ग्रेस का भ्रामक प्रचार बेनकाब
Caste Census 2027 Controversy | भारत में जनगणना न केवल जनसंख्या का आंकड़ा जुटाने का माध्यम है, बल्कि यह सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक नीतियों को आकार देने का आधार भी है। 2027 में होने वाली जनगणना में पहली बार सभी जातियों की गणना शामिल होगी, जो सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। केंद्र सरकार ने चार बार स्पष्ट किया है कि जनगणना 2027 में जातिगत गणना होगी, लेकिन कॉन्ग्रेस पार्टी ने गजट नोटिफिकेशन के आधार पर भ्रामक प्रचार शुरू कर दिया, इसे सरकार का ‘यू-टर्न’ बताकर। यह लेख कॉन्ग्रेस के झूठ को बेनकाब करता है, जनगणना की प्रक्रिया को विस्तार से समझाता है, और तेलंगाना-बिहार के सर्वे व राष्ट्रीय जनगणना के बीच अंतर को स्पष्ट करता है। आइए, इस मुद्दे के हर पहलू को आसान भाषा में समझते हैं। Caste Census 2027 Controversy
जनगणना 2027 स्वतंत्र भारत में पहली बार सभी जातियों की गणना करेगी, जो सामाजिक न्याय, आरक्षण, और कल्याणकारी योजनाओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह जनगणना देश की जनसंख्या, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, और सांस्कृतिक विविधता का सटीक आंकड़ा प्रदान करेगी। इससे सरकार को शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, और बुनियादी सुविधाओं की नीतियां बनाने में मदद मिलेगी। विशेष रूप से, अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की सटीक संख्या जानने से उनके लिए आरक्षण और विकास योजनाओं को बेहतर ढंग से लागू किया जा सकेगा। Caste Census 2027 Controversy
केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता
केंद्र सरकार ने चार बार स्पष्ट रूप से घोषणा की है कि जनगणना 2027 में जातिगत गणना शामिल होगी। नीचे प्रमुख घोषणाएं और तथ्य दिए गए हैं:
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30 अप्रैल 2025: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स (CCPA) की बैठक के बाद ऐलान किया कि जनगणना 2027 में जातिगत गणना होगी। उन्होंने इसे सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के लिए ऐतिहासिक कदम बताया।
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शाह ने कहा, “कॉन्ग्रेस ने दशकों तक सत्ता में रहते हुए जातिगत जनगणना का विरोध किया, लेकिन अब विपक्ष में रहकर इसे मुद्दा बना रही है।”
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4 जून 2025: गृह मंत्रालय ने प्रेस रिलीज में पुष्टि की कि जनगणना दो चरणों में होगी, और इसमें जातिगत गणना शामिल होगी।
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15 जून 2025: अमित शाह ने दोहराया कि जनगणना डिजिटल होगी, जिसमें 34 लाख गणनाकर्ता और 1.3 लाख कर्मचारी तैनात होंगे। उन्होंने डेटा सुरक्षा के लिए सख्त नियमों का भी जिक्र किया।
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16 जून 2025: कॉन्ग्रेस के भ्रामक प्रचार के जवाब में गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि 30 अप्रैल, 4 जून, और 15 जून की प्रेस रिलीज में जातिगत गणना की पुष्टि हो चुकी है।
ये सभी प्रेस रिलीज प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) की वेबसाइट (www.pib.gov.in) पर उपलब्ध हैं।
कॉन्ग्रेस का भ्रामक प्रचार
कॉन्ग्रेस ने 16 जून 2025 के गजट नोटिफिकेशन में ‘जातिगत जनगणना’ शब्द न होने को आधार बनाकर दावा किया कि सरकार ने अपने वादे से यू-टर्न लिया है। पार्टी के नेताओं ने इसे सोशल मीडिया और प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए प्रचारित किया। कुछ प्रमुख बयान:
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सुप्रिया श्रीनेत (कॉन्ग्रेस प्रवक्ता): “गजट नोटिफिकेशन में जातिगत जनगणना का जिक्र नहीं है। यह सरकार का एक और यू-टर्न है।”
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पवन खेड़ा: “तेलंगाना के सर्वे में तीन बार ‘जाति’ शब्द का जिक्र था, लेकिन केंद्र के नोटिफिकेशन में एक बार भी नहीं। यह सरकार की नीयत दिखाता है।”
कॉन्ग्रेस ने यह भी दावा किया कि सरकार SC, ST, और OBC समुदायों के हितों के खिलाफ है। लेकिन यह प्रचार तथ्यों से परे है और केवल राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है।
गजट नोटिफिकेशन का सच
कॉन्ग्रेस का गजट नोटिफिकेशन पर सवाल उठाना तकनीकी बिंदु को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करने की कोशिश है। आइए, इसे समझते हैं:
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गजट नोटिफिकेशन का उद्देश्य: जनगणना अधिनियम 1948 की धारा 3 के तहत गजट नोटिफिकेशन केवल जनगणना की घोषणा और संदर्भ तिथि (Reference Date) बताता है। इसमें सवालों की सूची या प्रक्रिया का जिक्र नहीं होता।
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16 जून 2025 का नोटिफिकेशन: इसमें कहा गया कि जनगणना 2027 में होगी। देश के अधिकांश हिस्सों के लिए संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 होगी, जबकि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, और उत्तराखंड के बर्फीले इलाकों के लिए 1 अक्टूबर 2026 होगी।
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क्यों नहीं है ‘जातिगत जनगणना’ का जिक्र?: गजट नोटिफिकेशन में कभी भी सवालों की सूची नहीं दी जाती। यह काम रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) और गृह मंत्रालय बाद में करते हैं। उदाहरण के लिए, 2011 की जनगणना के नोटिफिकेशन में भी सवालों का जिक्र नहीं था, लेकिन फिर भी SC/ST की गणना हुई थी।
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कॉन्ग्रेस का भ्रम: कॉन्ग्रेस ने यह जानते हुए भी कि नोटिफिकेशन में सवालों का जिक्र नहीं होता, इसे मुद्दा बनाकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की।
जातिगत जनगणना और जाति सर्वे में अंतर
कॉन्ग्रेस तेलंगाना और बिहार के जाति सर्वे को राष्ट्रीय जनगणना से जोड़कर भ्रम फैला रही है। इन दोनों में बड़ा अंतर है:
राष्ट्रीय जनगणना
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क्या है?: संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत केंद्र सरकार की जिम्मेदारी। हर 10 साल में होती है।
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उद्देश्य: जनसंख्या, सामाजिक-आर्थिक, और सांस्कृतिक आंकड़े जुटाना। 2027 में पहली बार सभी जातियों की गणना होगी।
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प्रक्रिया:
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चरण 1: हाउस लिस्टिंग ऑपरेशन (HLO) (अप्रैल-सितंबर 2026): घरों की स्थिति, संपत्ति, और सुविधाओं की जानकारी।
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चरण 2: जनसंख्या गणना (PE) (फरवरी 2027): व्यक्तिगत जानकारी (नाम, उम्र, लिंग, शिक्षा, रोजगार, जाति, आदि)।
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विशेषताएं: डिजिटल प्रक्रिया, मोबाइल ऐप, सेल्फ-एन्यूमरेशन, और सख्त डेटा सुरक्षा।
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उदाहरण: 2011 की जनगणना में SC/ST की गणना हुई थी।
जाति सर्वे
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क्या है?: राज्य सरकारों द्वारा स्थानीय स्तर पर किया गया सर्वे।
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उद्देश्य: स्थानीय आरक्षण और कल्याणकारी योजनाओं के लिए आंकड़े।
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प्रक्रिया: सीमित दायरे में, केवल जाति और कुछ आर्थिक जानकारी।
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उदाहरण:
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बिहार (2023): OBC/EBC 63.13%, SC 19.65%, ST 1.68%, सामान्य वर्ग 15.52%। उद्देश्य: आरक्षण को 50% से बढ़ाकर 75% करना।
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तेलंगाना (2025): BC 64.33%, SC 20.37%, ST 11.76%, सामान्य वर्ग 23.52%। उद्देश्य: स्थानीय योजनाएं।
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विवाद: डेटा की विश्वसनीयता पर सवाल। बिहार का सर्वे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती का सामना कर चुका है।
अंतर
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स्कोप: जनगणना राष्ट्रीय, सर्वे स्थानीय।
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डेटा: जनगणना में व्यापक जानकारी, सर्वे में सीमित।
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कानूनी आधार: जनगणना का आधार जनगणना अधिनियम 1948, सर्वे का आधार राज्य नीति।
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विश्वसनीयता: जनगणना का डेटा ज्यादा सटीक और एकसमान।
कॉन्ग्रेस का तेलंगाना और बिहार के सर्वे को राष्ट्रीय जनगणना से जोड़ना भ्रामक है, क्योंकि ये दोनों अलग-अलग उद्देश्यों और प्रक्रियाओं के लिए हैं।
जनगणना 2027 की प्रक्रिया
जनगणना 2027 दो चरणों में होगी और पहली बार पूरी तरह डिजिटल होगी। नीचे विस्तृत प्रक्रिया दी गई है:
चरण 1: हाउस लिस्टिंग ऑपरेशन (HLO)
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समय: अप्रैल 2026 से सितंबर 2026।
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सवाल:
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घर की स्थिति: पक्का, कच्चा, या अस्थाई। कमरों की संख्या, छत-दीवार की सामग्री।
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संपत्ति: टीवी, फ्रिज, मोबाइल, वाहन (कार, ट्रैक्टर), इंटरनेट।
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सुविधाएं: पानी (नल, कुआं), बिजली, शौचालय, रसोई, ड्रेनेज।
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उपयोग: आवासीय, व्यावसायिक, या अन्य (दुकान, स्कूल)।
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उद्देश्य: आवासीय ढांचा, जीवन स्तर, और बुनियादी सुविधाओं की जानकारी।
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प्रक्रिया: गणनाकर्ता घर-घर जाएंगे और मोबाइल ऐप में डेटा दर्ज करेंगे। लोग ऑनलाइन भी जानकारी भर सकते हैं।
चरण 2: जनसंख्या गणना (PE)
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समय: फरवरी 2027।
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सवाल:
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जनसांख्यिकी: नाम, उम्र, लिंग, वैवाहिक स्थिति, जन्म स्थान, प्रवास।
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शिक्षा: पढ़ाई का स्तर, स्कूल/कॉलेज में दाखिला।
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रोजगार: नौकरी/व्यवसाय का प्रकार, आय, बेरोजगारी।
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जातिगत जानकारी: सभी जातियों की गणना, ड्रॉप-डाउन लिस्ट के साथ।
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सामाजिक-आर्थिक स्थिति: परिवार की आय, BPL स्थिति, कल्याणकारी योजनाओं का लाभ।
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सांस्कृतिक जानकारी: मातृभाषा, धर्म, पारंपरिक रीति-रिवाज (वैकल्पिक)।
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उद्देश्य: जनसंख्या की पूरी तस्वीर, नीति निर्माण, और सामाजिक न्याय।
डिजिटल प्रक्रिया
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मोबाइल ऐप: गणनाकर्ता ऐप के जरिए डेटा दर्ज करेंगे।
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सेल्फ-एन्यूमरेशन: लोग www.censusindia.gov.in पर या Census India App के जरिए खुद जानकारी भर सकते हैं।
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डेटा सुरक्षा: डेटा कलेक्शन, ट्रांसमिशन, और स्टोरेज के लिए साइबर सुरक्षा उपाय।
जातिगत जनगणना का महत्व
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ऐतिहासिक कदम: 1931 के बाद पहली बार सभी जातियों की गणना होगी।
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सामाजिक न्याय: SC, ST, और OBC की सटीक संख्या से आरक्षण और योजनाएं बेहतर होंगी।
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नीति निर्माण: शिक्षा, रोजगार, और स्वास्थ्य नीतियों के लिए सटीक डेटा।
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लोकसभा सीटों का पुनर्गठन: 2026 के बाद सीटों का पुनर्गठन जनगणना डेटा पर आधारित होगा।
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महिला आरक्षण: नारी शक्ति वंदन अधिनियम (33% महिला आरक्षण) के लिए डेटा।
कॉन्ग्रेस का इतिहास और राजनीतिक मकसद
कॉन्ग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में ‘जितनी आबादी, उतना हक’ का नारा देकर जातिगत जनगणना को मुद्दा बनाया। लेकिन उसका इतिहास इस मुद्दे पर विरोधाभासी रहा है:
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1951-2011: कॉन्ग्रेस की केंद्र सरकारों ने केवल SC/ST की गणना की, OBC की नहीं।
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1990 (मंडल आयोग): राजीव गांधी ने संसद में OBC आरक्षण का विरोध किया था।
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2011 (SECC): यूपीए सरकार ने सामाजिक-आर्थिक और जातिगत सर्वे शुरू किया, लेकिन डेटा अपूर्ण और गैर-पारदर्शी रहा।
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2024: राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना को वोट बैंक के लिए इस्तेमाल किया, लेकिन जब सरकार ने इसे मंजूरी दी, तो कॉन्ग्रेस ने भ्रामक प्रचार शुरू किया।
कॉन्ग्रेस की रणनीति
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वोट बैंक: SC, ST, और OBC समुदायों को लुभाने के लिए भ्रामक नारे।
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भाजपा को बदनाम करना: कॉन्ग्रेस का दावा कि भाजपा ने 2021 में सुप्रीम कोर्ट में जातिगत जनगणना का विरोध किया, आधा सच है। उस समय सरकार ने कहा था कि नीति के तहत केवल SC/ST की गणना होती है, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है।
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तेलंगाना मॉडल का गलत प्रचार: कॉन्ग्रेस तेलंगाना के सर्वे को राष्ट्रीय जनगणना का मॉडल बताकर भ्रम फैला रही है।
जनगणना 2027 भारत के लिए एक ऐतिहासिक कदम है, जो सामाजिक न्याय, समावेशी विकास, और नीति निर्माण को मजबूत करेगा। केंद्र सरकार ने चार बार स्पष्ट किया है कि इसमें जातिगतगणना शामिल होगी। कॉन्ग्रेस का गजट नोटिफिकेशन पर भ्रामक प्रचार केवल राजनीतिक लाभ के लिए है। तेलंगाना और बिहार के सर्वे को राष्ट्रीय जनगणना से जोड़ना गलत है, क्योंकि दोनों के उद्देश्य और दायरे अलग हैं।
कॉन्ग्रेस को झूठ फैलाने के बजाय इस प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए, ताकि देश को सटीक और पारदर्शी आंकड़े मिल सकें। जनगणना 2027 न केवल भारत की जनसंख्या की सही तस्वीर देगी, बल्कि सामाजिक और आर्थिक असमानता को कम करने में भी मदद करेगी। अधिक जानकारी के लिए PIB (www.pib.gov.in) या Census India (www.censusindia.gov.in) की वेबसाइट देखें। Caste Census 2027 Controversy
नोट: यह जानकारीसमाचार, प्रेस रिलीज, और सोशल मीडिया पोस्ट पर आधारित है। नवीनतमअपडेट के लिए आधिकारिक स्रोतों से संपर्क करें। Caste Census 2027 Controversy
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।