सावन में कालसर्प दोष से मुक्ति, जानें शिव, शनि और शेषनाग पूजन का महत्व

सावन में कालसर्प दोष से मुक्ति, जानें शिव, शनि और शेषनाग पूजन का महत्व

Kaal Sarp Dosh Remedies on Nag Panchami | सावन मास का शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला नाग पंचमी का पर्व भगवान शिव, शनि और शेषनाग से जुड़ा एक अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिन न केवल कालसर्प दोष, सर्पशाप, और राहु-केतु के अशुभ प्रभावों को शांत करने के लिए जाना जाता है, बल्कि कुंडलिनी जागरण और शिव साक्षात्कार की दिशा में भी विशेष महत्व रखता है। सावन 2025 में नाग पंचमी का यह पर्व 19 जुलाई को मनाया जाएगा, जो ज्योतिषीय और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत प्रभावशाली होगा। आइए जानते हैं इस पर्व का महत्व, पूजा विधि, और कालसर्प दोष से मुक्ति के उपाय विस्तार से। Kaal Sarp Dosh Remedies on Nag Panchami

सावन मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह पर्व भगवान शिव, शनि और शेषनाग के प्रति भक्ति का प्रतीक है। ज्योतिष शास्त्र में इस दिन को कालसर्प दोष, सर्पशाप, राहु-केतु बाधा और संतान बाधा जैसे कुयोगों को शांत करने के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इसके साथ ही, यह दिन कुंडलिनी शक्ति के जागरण और शिव साक्षात्कार के लिए भी महत्वपूर्ण है। सावन 2025 में नाग पंचमी 19 जुलाई को मनाई जाएगी, जो ग्रहों की विशेष स्थिति के कारण और भी प्रभावशाली होगी।

नाग पंचमी का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नाग पंचमी का दिन राहु और केतु के अशुभ प्रभावों को शांत करने का एक अमोघ अवसर है। कालसर्प दोष तब बनता है जब जन्मकुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं। यह दोष जीवन में बाधाएं, आर्थिक परेशानियां, और मानसिक तनाव उत्पन्न कर सकता है। नाग पंचमी पर सर्प पूजन और शिव आराधना से इस दोष का प्रभाव कम होता है।

  • कालसर्प दोष: यह दोष करियर, स्वास्थ्य, और पारिवारिक जीवन में बाधाएं लाता है। नाग पंचमी पर पूजा से यह शांत होता है।

  • राहु-केतु बाधा: राहु भ्रम और अचानक परेशानियां देता है, जबकि केतु मानसिक भटकाव का कारण बन सकता है। इनके प्रभाव को कम करने के लिए सर्प पूजा प्रभावी है।

  • संतान बाधा: जिन लोगों को संतान प्राप्ति में कठिनाई हो रही हो, उनके लिए नाग पंचमी का पूजन विशेष लाभकारी है।

नाग पंचमी का आध्यात्मिक महत्व

नाग पंचमी का आध्यात्मिक महत्व भगवान शिव और शेषनाग से जुड़ा है। शेषनाग भगवान विष्णु के सेवक और शिव के परम भक्त हैं। समुद्र मंथन के दौरान जब कालकूट विष निकला, तो भगवान शिव ने इसे अपने कंठ में धारण किया, और शेषनाग ने उनके गले में लिपटकर विष के ताप को शांत किया। इसीलिए सर्प शिव के गले का आभूषण माने जाते हैं।

  • कुंडलिनी जागरण: सर्प कुंडलिनी शक्ति का प्रतीक है, जो मूलाधार चक्र में सुप्त रहती है। नाग पूजा और शिव आराधना इस शक्ति को जागृत कर सुषुम्ना नाड़ी के माध्यम से शिव साक्षात्कार की ओर ले जाती है।

  • शिव भक्ति: सावन में शिव और शेषनाग की पूजा से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

नाग पंचमी पूजा विधि

नाग पंचमी के दिन निम्नलिखित विधि से पूजा करें:

  1. प्रातः स्नान: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  2. शिव मंदिर में पूजा: शिव मंदिर में भगवान शिव और शेषनाग की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें।

  3. नाग-नागिन जोड़ा: चांदी या तांबे से बना नाग-नागिन का जोड़ा अभिमंत्रित करें। इसे दूध, दही, घी, शहद और शक्कर के मिश्रण (पंचामृत) से स्नान कराएं।

  4. पूजन सामग्री: हल्दी, रोली, चंदन, फूल, धूप, दीप, और मिठाई अर्पित करें।

  5. मंत्र जप: “ॐ नमः शिवाय” और “ॐ नमः शेषनागाय नमः” मंत्र का 108 बार जप करें।

  6. जल प्रवाह: अभिमंत्रित नाग-नागिन के जोड़े को नदी या जलाशय में प्रवाहित करें।

  7. दान: काले तिल, नीले वस्त्र, और अन्न का दान करें।

  8. बड़ों का आशीर्वाद: परिवार के बड़ों को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लें।

कालसर्प दोष निवारण के विशेष उपाय

कालसर्प दोष को शांत करने के लिए निम्नलिखित उपाय करें:

  • चांदी का नाग-नागिन जोड़ा: इसे अभिमंत्रित कर नदी में प्रवाहित करें।

  • तांबे का सर्प: शिव मंदिर में तांबे का सर्प चढ़ाएं और नियमित पूजा करें।

  • राहु-केतु मंत्र जप: “ॐ रां राहवे नमः” और “ॐ कें केतवे नमः” मंत्र का 108 बार जप करें।

  • शनि उपाय: शनिवार को शनि मंदिर में तेल का दीपक जलाएं और शनि चालीसा का पाठ करें।

  • पितृ पूजा: पितृ दोष के निवारण के लिए पितरों को तिलांजलि दें और दान करें।

सावन में सावधानियां

  • भूमि न खोदें: सावन मास में सांप प्रजनन करते हैं, इसलिए भूमि खोदने से बचें, क्योंकि इससे नागों को चोट पहुंच सकती है।

  • सर्प का सम्मान: यदि सावन में सर्प दिखाई दे, तो उसे नमस्कार करें और नुकसान न पहुंचाएं, क्योंकि यह शुभ माना जाता है।

  • सात्विक भोजन: सावन में सात्विक भोजन करें और तामसिक भोजन (मांस, मदिरा) से बचें।

नाग पंचमी का चमत्कारी प्रभाव

नाग पंचमी के दिन भगवान शिव, शनि, और शेषनाग की पूजा से जीवन में चमत्कारी बदलाव आते हैं। यह पर्व न केवल ज्योतिषीय दोषों को शांत करता है, बल्कि मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, और सुख-समृद्धि प्रदान करता है। सावन में सर्प का दर्शन अत्यंत शुभ माना जाता है, और इसे भगवान शिव का आशीर्वाद समझा जाता है।

नागपंचमी 2025 का यह पर्व भक्तों के लिए कालसर्प दोष, राहु-केतु बाधा, और अन्य ज्योतिषीयदोषों से मुक्ति का एकसुनहरा अवसर है। भगवानशिव और शेषनाग की कृपा से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा, दान, और उपायों को पूरी श्रद्धा के साथ करें, और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा दें। Kaal Sarp Dosh Remedies on Nag Panchami


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