नॉन-वेज दूध: भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में क्यों बना विवाद का केंद्र
What is non-veg milk in India-US trade dispute | भारत और अमेरिका के बीच 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक बढ़ाने की महत्वाकांक्षी योजना है, लेकिन डेयरी आयात को लेकर बातचीत एक अनोखे मुद्दे पर अटक गई है—‘नॉन-वेज दूध’। यह शब्द सुनकर आमतौर पर लोग चौंक जाते हैं, क्योंकि दूध को परंपरागत रूप से शाकाहारी उत्पाद माना जाता है। लेकिन अमेरिका जैसे देशों में गायों को दिए जाने वाले मांस-आधारित चारे ने भारत में धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक चिंताओं को जन्म दिया है। भारत ने इस मुद्दे को “गैर-परक्राम्य रेड लाइन” करार दिया है, जिसके चलते अमेरिकी डेयरी उत्पादों के आयात पर सहमति नहीं बन पा रही है। What is non-veg milk in India-US trade dispute
आइए, इस विस्तृत लेख में समझते हैं कि ‘नॉन-वेज दूध’ क्या है, अमेरिका में गायों को क्या खिलाया जाता है, भारत में इसे लेकर विवाद क्यों है, और इससे जुड़े धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक पहलुओं का क्या महत्व है What is non-veg milk in India-US trade dispute
‘नॉन-वेज दूध’ क्या है?
‘नॉन-वेज दूध’ कोई वैज्ञानिक शब्द नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा शब्द है जो भारत में उस दूध को संदर्भित करता है, जो उन गायों से प्राप्त होता है जिन्हें मांस, हड्डियों, मछली या अन्य पशु-आधारित चारा खिलाया जाता है। भारत में, जहाँ 38% आबादी शाकाहारी है और दूध को धार्मिक अनुष्ठानों में पवित्र माना जाता है, गायों का शाकाहारी चारा खाना अनिवार्य माना जाता है।
अमेरिका, ब्राज़ील, चीन, यूरोप, रूस, मैक्सिको, थाईलैंड और फिलीपींस जैसे देशों में डेयरी और बीफ उत्पादन के लिए गायों को पशु-आधारित चारा देना आम बात है। इसमें शामिल हैं:
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मृत जानवरों की हड्डियों और मांस का चूर्ण (Meat and Bone Meal): प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने के लिए।
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मछली चूर्ण (Fish Meal): प्रोटीन और ओमेगा फैटी एसिड प्रदान करने के लिए।
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पोल्ट्री वेस्ट (Poultry Litter): मुर्गियों की बीट, पंख, बिस्तर सामग्री और बचे हुए चारे का मिश्रण, जो सस्ता और पोषक होता है।
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पशु चर्बी (Tallow): सुअर या गाय की चर्बी, जो कैलोरी सप्लीमेंट के रूप में दी जाती है।
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रक्त चूर्ण (Blood Meal): सुअर या घोड़ों के खून से बना, जो प्रोटीन का स्रोत है।
ये प्रथाएँ लागत कम करने और दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए अपनाई जाती हैं। हालांकि, भारत में यह धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के खिलाफ है, क्योंकि हिंदू और जैन समुदाय गाय को पवित्र मानते हैं और उसके दूध को शुद्ध शाकाहारी उत्पाद के रूप में देखते हैं। What is non-veg milk in India-US trade dispute
भारत में विवाद क्यों?
भारत में ‘नॉन-वेज दूध’ को लेकर विवाद के कई कारण हैं:
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धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलता:
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भारत में दूध और घी का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों, जैसे पूजा और प्रसाद, में किया जाता है। हिंदू और जैन समुदायों में गाय को माता के रूप में पूजा जाता है, और उसका दूध पवित्र माना जाता है। अगर गाय को मांस-आधारित चारा खिलाया गया हो, तो उसका दूध धार्मिक रूप से अशुद्ध माना जाता है।
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ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंस्टीट्यूट (GTRI) के अजय श्रीवास्तव ने कहा, “कल्पना करें कि आप उस गाय का घी खा रहे हैं, जिसे दूसरी गाय का मांस और खून खिलाया गया हो। भारत इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा।”
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आर्थिक चिंताएँ:
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भारत विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक और उपभोक्ता देश है, जिसका डेयरी क्षेत्र 80 मिलियन से अधिक छोटे और सीमांत किसानों को रोजगार देता है। 2023-24 में भारत ने 239.30 मिलियन टन दूध का उत्पादन किया।
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स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के एक विश्लेषण के अनुसार, अगर अमेरिकी डेयरी आयात की अनुमति दी गई, तो भारतीय दूध की कीमतें कम से कम 15% तक गिर सकती हैं, जिससे डेयरी किसानों को प्रति वर्ष 1.03 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।
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महाराष्ट्र के किसान महेश साकुंडे कहते हैं, “सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि सस्ते आयात से हम प्रभावित न हों। अगर ऐसा हुआ, तो पूरी डेयरी इंडस्ट्री और हम जैसे किसान प्रभावित होंगे।”
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उपभोक्ता विश्वास और खाद्य सुरक्षा:
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भारतीय उपभोक्ता दूध को शाकाहारी और सुरक्षित मानते हैं। अगर नॉन-वेज चारे से प्राप्त दूध बाजार में आता है, तो यह उपभोक्ताओं के विश्वास को तोड़ सकता है।
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भारत का खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने 2021-22 में प्रस्ताव दिया कि अगर दूध पशु-आधारित चारे से आता है, तो उसे ‘नॉन-वेज’ चिह्न (🔴) के साथ लेबल करना होगा। इस प्रस्ताव पर अमेरिकी कंपनियों ने आपत्ति जताई, उनका तर्क था कि दूध गाय के शरीर से बनता है, न कि चारे से।
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अमेरिका और अन्य देशों में गायों को नॉन-वेज चारा क्यों?
अमेरिका, ब्राज़ील, चीन, यूरोप, रूस, मैक्सिको, थाईलैंड और फिलीपींस जैसे देशों में गायों को पशु-आधारित चारा देने की प्रथा लागत कम करने और दूध व मांस उत्पादन बढ़ाने के लिए अपनाई जाती है।
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प्रोटीन और पोषण: मृत जानवरों की हड्डियाँ और मांस का चूर्ण प्रोटीन का सस्ता स्रोत है। मछली चूर्ण ओमेगा फैटी एसिड और प्रोटीन प्रदान करता है।
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कैलोरी सप्लीमेंट: सुअर या गाय की चर्बी (टैलो) और रक्त चूर्ण (ब्लड मील) गायों को अतिरिक्त कैलोरी और प्रोटीन देते हैं, जिससे दूध उत्पादन बढ़ता है।
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लागत में कमी: पोल्ट्री वेस्ट, जैसे मुर्गियों की बीट, पंख और बचे हुए चारे का मिश्रण, सस्ता और पोषक होता है।
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नियमों की कमी: इन देशों में पशु-आधारित चारे पर सख्त नियम नहीं हैं, सिवाय इसके कि गायों को गायों के ही शरीर के हिस्से खिलाने पर प्रतिबंध है (मैड काउ डिजीज रोकने के लिए)।
भारत में गायों को क्या खिलाया जाता है?
भारत में गायों को मुख्य रूप से शाकाहारी चारा दिया जाता है, जैसे:
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सूखा भूसा (Dry Fodder): गेहूं, धान या अन्य अनाज का भूसा।
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हरा चारा (Green Fodder): घास, बरसीम, मक्का या ज्वार।
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दाना (Grains): मक्का, गेहूं, जौ और चना।
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खल (Oilseed Cake): सरसों, मूंगफली या तिल की खल।
कुछ बड़े डेयरी फार्म विदेशी तकनीकों को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं के कारण नॉन-वेज चारा भारत में स्वीकार्य नहीं है।
शुद्ध शाकाहारी दूध की पहचान कैसे करें?
शुद्ध शाकाहारी दूध की पहचान के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
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लेबलिंग की जाँच करें: ब्रांडेड दूध पर “100% Vegetarian Feed”, “Organic Vegetarian Feed” या “Goshala-Based Milk” जैसे लेबल देखें।
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गौशाला से दूध: गौशालाओं से प्राप्त दूध, विशेष रूप से A2 नस्ल की देसी गायों का दूध, शुद्ध शाकाहारी माना जाता है। अखिल भारतीय गौसेवा संघ और पंचगव्य आधारित डेयरियाँ इसके अच्छे उदाहरण हैं।
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रेंडर्ड फीड फ्री: कुछ डेयरियाँ अपने उत्पादों पर “Rendered Feed Free” का लेबल लगाती हैं, जिसका मतलब है कि उनकी गायों को पशु-आधारित चारा नहीं दिया जाता।
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स्थानीय डेयरी से पूछताछ: अगर स्थानीय डेयरी से दूध ले रहे हैं, तो पूछें कि गायों को क्या खिलाया जाता है।
क्या लैब टेस्ट से नॉन-वेज दूध की पहचान हो सकती है?
हाँ, कुछ लैब टेस्ट से दूध में पशु-आधारित चारे के प्रभाव की जाँच हो सकती है:
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फैटी एसिड प्रोफाइल: मछली चूर्ण या पशु चर्बी से आए फैटी एसिड दूध में ट्रेस हो सकते हैं।
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कार्निटीन स्तर: पशु-आधारित चारे से कार्निटीन का स्तर बढ़ सकता है।
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फिश आयल ट्रेस: मछली चूर्ण के उपयोग को ट्रेस किया जा सकता है।
हालांकि, ये टेस्ट महंगे हैं और अभी तक कोई विश्वसनीय, सस्ता टेस्ट उपलब्ध नहीं है जो सामान्य उपभोक्ता के लिए दूध की शुद्धता की जाँच कर सके।
नॉन-वेज फीड से दूध का स्वास्थ्य पर प्रभाव
वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, नॉन-वेज फीड से प्राप्त दूध पोषण के दृष्टिकोण से सुरक्षित है और इसका स्वाद या स्वास्थ्य पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ता। हालांकि, सूक्ष्म स्तर पर कुछ अंतर हो सकते हैं, जैसे फैटी एसिड की संरचना में बदलाव। भारत में इसका विरोध मुख्य रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक कारणों से है, न कि स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं से। What is non-veg milk in India-US trade dispute
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में डेयरी विवाद
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में डेयरी क्षेत्र सबसे बड़ा विवाद का केंद्र है। भारत ने निम्नलिखित मांगें रखी हैं:
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कठोर प्रमाणन: आयातित दूध और डेयरी उत्पादों के लिए पशु चिकित्सा प्रमाणन अनिवार्य है, जिसमें यह सुनिश्चित हो कि गायों को मांस, हड्डी, रक्त या अन्य पशु-आधारित चारा नहीं खिलाया गया।
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उच्च आयात शुल्क: भारत ने डेयरी आयात पर भारी शुल्क लगाए हैं—पनीर पर 30%, मक्खन पर 40%, और दूध पाउडर पर 60%—जो अमेरिकी उत्पादों को भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धी बनने से रोकते हैं।
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किसानों की सुरक्षा: भारत का डेयरी क्षेत्र 2.5-3% जीडीपी में योगदान देता है और 80 मिलियन से अधिक किसानों को रोजगार देता है। सस्ते अमेरिकी आयात से इनका अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।
अमेरिका ने भारत की इन शर्तों को “अनावश्यक व्यापार अवरोध” करार दिया है और विश्व व्यापार संगठन (WTO) में इसकी शिकायत की है। डोनाल्ड ट्रंप ने 1 अगस्त 2025 तक व्यापार समझौते की समय सीमा दी है, अन्यथा भारत पर उच्च शुल्क लगाने की धमकी दी है।
वैश्विक परिदृश्य: कहाँ-कहाँ गायों को नॉन-वेज चारा?
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ब्राज़ील: पोल्ट्री वेस्ट, मछली चूर्ण और पशु चर्बी का उपयोग लागत कम करने के लिए।
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चीन: औद्योगिक फार्मिंग में मिक्स्ड पशु-आधारित चारा आम है।
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यूरोप, रूस, मैक्सिको, थाईलैंड, फिलीपींस: स्थानीय नियम कम सख्त होने के कारण पशु-आधारित चारा प्रचलित है।
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अमेरिका: गायों को मांस, रक्त, मछली चूर्ण, और पोल्ट्री वेस्ट खिलाया जाता है, हालांकि गायों को गायों के हिस्से खिलाने पर प्रतिबंध है।
‘नॉन-वेज दूध’ भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में एक जटिलमुद्दा बन गया है, जो न केवल आर्थिक बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों से भी जुड़ा है। भारत अपनी सांस्कृतिक मान्यताओं और छोटे डेयरी किसानों की आजीविका को प्राथमिकता दे रहा है, जबकि अमेरिका अपने डेयरी निर्यात को बढ़ाने के लिए दबाव डाल रहा है। इ विवाद का समाधान निकालना आसान नहीं होगा, क्योंकि यह भारत की धार्मिकभावनाओं और आर्थिक हितों को गहराई से प्रभावित करता है। उपभोक्ताओं के लिए, शुद्धशाकाहारी दूध की पहचान के लिए गौशाला-आधारित या प्रमाणित उत्पादों को चुनना सबसे विश्वसनीय विकल्प है What is non-veg milk in India-US trade dispute
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।