1 अक्टूबर से बदल रहे हैं इनकम टैक्स के 6 नियम: जानिए क्या होगा असर

1 अक्टूबर से बदल रहे हैं इनकम टैक्स के 6 नियम: जानिए क्या होगा असर

Income Tax New Rules | एक अक्टूबर 2024 से इनकम टैक्स से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियमों में बदलाव होने जा रहा है। चाहे आप नौकरीपेशा हों, बिजनसमैन हों या फ्रीलांसर, इन बदलावों का असर सभी पर दिखाई देगा। सरकार ने इनकम टैक्स सुधार के जरिए टैक्स सिस्टम को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने का प्रयास किया है। जुलाई 2024 में पेश हुए बजट में इन बदलावों की घोषणा की गई थी, और अब ये 1 अक्टूबर से लागू हो रहे हैं। आइए, इन बदलावों पर एक नजर डालते हैं और समझते हैं कि ये आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।

1. सिक्यूरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (STT) में बदलाव

फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग करने वाले लोगों के लिए सिक्यूरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (STT) में बदलाव महत्वपूर्ण है। बजट 2024 में यह प्रस्ताव किया गया था कि F&O पर STT बढ़ा दिया जाएगा। फ्यूचर्स पर यह टैक्स 0.02% और ऑप्शंस पर 0.1% तक बढ़ाया गया है। इसका सीधा असर उन निवेशकों पर होगा जो ट्रेडिंग में सक्रिय हैं। इसके साथ ही, शेयर बायबैक पर होने वाली आय पर भी टैक्स लगाया गया है, जिससे निवेशकों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा।

एसटीटी में वृद्धि का उद्देश्य सरकार की राजस्व आय बढ़ाने के साथ-साथ बाजार में अधिक स्थिरता लाना है। फाइनेंशियल मार्केट्स में होने वाले तेज उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए यह कदम उठाया गया है, ताकि अधिक सतर्क निवेशक बाजार में शामिल हो सकें।

2. आधार से जुड़े नियमों में बदलाव

आधार कार्ड के दुरुपयोग और डुप्लिकेशन को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। 1 अक्टूबर 2024 से आधार संख्या की जगह आधार नामांकन आईडी का इस्तेमाल आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने और पैन आवेदन के लिए नहीं किया जा सकेगा। इससे पैन कार्ड और आधार कार्ड की यूनिक आइडेंटिफिकेशन प्रक्रिया को और मजबूत किया जाएगा।

इस बदलाव से उन लोगों को सतर्क रहना होगा जो पहली बार टैक्स रिटर्न फाइल करने जा रहे हैं या पैन बनवाने की सोच रहे हैं। अब यह सुनिश्चित करना होगा कि उनका आधार कार्ड और पैन सही ढंग से जुड़ा हुआ है। आधार और पैन की इस एकीकरण प्रक्रिया का उद्देश्य है कि टैक्सपेयर की पहचान को और सटीक और सुरक्षित बनाया जा सके, जिससे टैक्स सिस्टम में किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी को रोका जा सके।

3. शेयर बायबैक पर टैक्स

1 अक्टूबर 2024 से शेयरों की पुनर्खरीद (बायबैक) पर भी नए टैक्स नियम लागू होंगे। पहले जहां बायबैक टैक्स कंपनी स्तर पर लगता था, अब यह शेयरहोल्डर स्तर पर भी लागू होगा। इससे शेयरहोल्डर्स पर टैक्स का बोझ बढ़ेगा, क्योंकि उन्हें अब बायबैक से होने वाली आय पर टैक्स देना होगा। इसके अलावा, शेयरहोल्डर की अधिग्रहण लागत को भी ध्यान में रखा जाएगा, जिससे कैपिटल गेंस और लॉसेस की गणना करने में सहूलियत होगी।

इस बदलाव से निवेशक पहले से अधिक सतर्क रहेंगे क्योंकि बायबैक के जरिए मिलने वाले रिटर्न्स पर अब अतिरिक्त कर लगेगा। जो लोग इक्विटी मार्केट्स में निवेश कर रहे हैं, उन्हें इस नियम के लागू होने के बाद अपनी निवेश रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।

4. फ्लोटिंग रेट बॉन्ड्स पर टीडीएस

फ्लोटिंग रेट बॉन्ड्स में निवेश करने वाले लोगों के लिए एक अहम बदलाव आया है। 1 अक्टूबर 2024 से फ्लोटिंग रेट बॉन्ड्स और कुछ अन्य केंद्रीय एवं राज्य सरकार द्वारा जारी बॉन्ड्स पर 10% की दर से टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) कटौती की जाएगी। हालांकि, यदि पूरे साल में अर्जित आय 10,000 रुपये से कम है, तो कोई TDS नहीं काटा जाएगा।

यह कदम उन निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण है, जो बॉन्ड्स में लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं। फ्लोटिंग रेट बॉन्ड्स पर टीडीएस की कटौती से इनकम टैक्स के क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ेगी और टैक्स की चोरी को रोका जा सकेगा।

5. टीडीएस दरों में बदलाव

कई तरह के भुगतान पर लागू होने वाली TDS दरों में भी 1 अक्टूबर से बदलाव होने जा रहा है। धारा 19DA, 194H, 194IB और 194M के तहत होने वाले भुगतान पर अब TDS की दर 5% से घटाकर 2% कर दी गई है। इसके साथ ही, ई-कॉमर्स ऑपरेटर्स के लिए भी TDS दर में कमी की गई है। पहले यह दर 1% थी, जिसे अब घटाकर 0.1% कर दिया गया है।

यह बदलाव उन लोगों के लिए राहत लेकर आया है, जो इनकम के कई स्रोतों से जुड़े हुए हैं और विभिन्न सर्विस प्रोवाइडर्स के जरिए भुगतान करते हैं। TDS की दरों में कमी का मतलब है कि अब टैक्स कटौती कम होगी और आपको इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय अधिक आसानी होगी।

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6. डायरेक्ट टैक्स विवाद से विश्वास योजना 2024

आयकर से जुड़े विवादों के समाधान के लिए सरकार ने डायरेक्ट टैक्स विवाद से विश्वास योजना 2024 की घोषणा की है। यह योजना 1 अक्टूबर से लागू होगी और इसे DTVSV 2024 के नाम से भी जाना जाता है। इस योजना का उद्देश्य लंबित अपीलों का निपटारा करना है, जिससे टैक्सपेयर्स को राहत मिल सके।

इस योजना के तहत पुराने अपीलकर्ताओं की तुलना में नए अपीलकर्ताओं को कम निपटान राशि का भुगतान करना होगा, जिससे टैक्स विवादों का जल्द निपटान संभव हो सकेगा। इस योजना का मुख्य उद्देश्य है कि इनकम टैक्स अपीलों को तेज और प्रभावी ढंग से निपटाया जा सके, ताकि टैक्सपेयर और सरकार दोनों के बीच का बोझ कम हो।

क्यों जरूरी हैं ये बदलाव?

इनकम टैक्स नियमों में ये बदलाव सिर्फ टेक्निकल नहीं हैं, बल्कि इनका उद्देश्य टैक्स सिस्टम को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाना है। सरकार की इनकम टैक्स रिफॉर्म्स की कोशिश है कि टैक्स के क्षेत्र में धोखाधड़ी कम हो, रेवेन्यू में वृद्धि हो, और सभी टैक्सपेयर्स को एक समान अवसर मिले।

टैक्स सुधार से जुड़े ये नियम न केवल बाजार को स्थिर करेंगे, बल्कि छोटे और मध्यम निवेशकों को भी फाइनेंशियल प्लानिंग में मदद करेंगे। टीडीएस दरों में कमी से निवेशकों को राहत मिलेगी और नए नियमों के जरिए सरकार की कोशिश है कि टैक्सपेयर्स को बेहतर सुविधाएं मिलें और उन्हें अपने इन्वेस्टमेंट्स पर सही रिटर्न मिल सके।

1 अक्टूबर 2024 से लागू होने वाले इनकम टैक्स नियमों में बदलाव आपकी आर्थिक स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं। चाहे आप शेयर बाजार में निवेश करते हों, फ्यूचर्स और ऑप्शंस में ट्रेडिंग करते हों, या फिर सरकारी बॉन्ड्स में पैसा लगाते हों, इन नियमों के बारे में जानना और अपनी फाइनेंशियल स्ट्रैटेजी को इन बदलावों के अनुसार अपडेट करना जरूरी है।

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