उपराष्ट्रपति चुनाव : 9 सितंबर को होगी नई शुरुआत, पूरी प्रक्रिया और नियमों का विवरण

उपराष्ट्रपति चुनाव : 9 सितंबर को होगी नई शुरुआत, पूरी प्रक्रिया और नियमों का विवरण

Vice President Election 2025 | चुनाव आयोग ने शुक्रवार, 1 अगस्त 2025 को घोषणा की कि भारत के अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव 9 सितंबर 2025 को होगा। यह चुनाव तब आवश्यक हो गया जब पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके कारण उपराष्ट्रपति का पद रिक्त हो गया। चुनाव आयोग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, नामांकन प्रक्रिया 7 अगस्त से 21 अगस्त 2025 तक चलेगी। नामांकन पत्रों की जांच 22 अगस्त को होगी, और उम्मीदवार 25 अगस्त तक अपना नामांकन वापस ले सकेंगे। मतदान 9 सितंबर को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक होगा, और  उसी दिन रात को परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे। यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 324 और राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम 1952 व 1974 के तहत निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी में संचालित होगी। Vice President Election 2025

चुनाव की पृष्ठभूमि और समयसीमा

जगदीप धनखड़ का इस्तीफा भारतीय राजनीति में एक अप्रत्याशित घटनाक्रम था, जिसने संवैधानिक प्रक्रियाओं को तुरंत सक्रिय कर दिया। संविधान के अनुच्छेद 67 के तहत, उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है, और धनखड़ का कार्यकाल अगस्त 2027 तक था। हालांकि, उनके इस्तीफे के बाद संविधान के अनुच्छेद 68 के प्रावधानों के तहत पद की रिक्ति को 60 दिनों के भीतर भरना अनिवार्य हो गया। चुनाव आयोग ने इसकी समयसीमा का पालन करते हुए तेजी से प्रक्रिया शुरू की। अधिनियम की धारा 4(3) के अनुसार, यदि कार्यकाल सामान्य रूप से  समाप्त होता, तो 60 दिन पहले अधिसूचना जारी होती, लेकिन असामान्य रिक्ति के मामले में यह प्रक्रिया यथाशीघ्र शुरू की जाती है। इस बार, 41 दिनों की सटीक समयसीमा निर्धारित की गई है, जो संवैधानिक दिशानिर्देशों के अनुरूप है।

नामांकन और प्रारंभिक प्रक्रिया

नामांकन दाखिल करने की अवधि 7 अगस्त से 21 अगस्त 2025 तक निर्धारित की गई है। प्रत्येक उम्मीदवार को नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित प्रारूप में आवेदन करना होगा, जिसमें उनके समर्थन में कम से कम 20 सांसदों के हस्ताक्षर आवश्यक हैं। नामांकन पत्रों की जांच 22 अगस्त को होगी, जहां निर्वाचन अधिकारी सभी दस्तावेजों की वैधता और अनुपालन की समीक्षा करेंगे। इसके बाद, 25 अगस्त तक उम्मीदवार अपने नामांकन वापस ले सकते हैं, जिसके बाद अंतिम उम्मीदवारों की सूची जारी की जाएगी। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि केवल गंभीर और योग्य उम्मीदवार चुनाव में भाग लें।

मतदान और परिणाम की प्रक्रिया

9 सितंबर 2025 को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान होगा, जो संसद भवन में आयोजित किया जाएगा। यह चुनाव पोस्टल बैलट पद्धति से होगा, जिसमें सांसदों को गुप्त मतदान के माध्यम से अपने वोट डालने होंगे। मतदान के लिए विशेष स्याही वाली कलम का उपयोग अनिवार्य है, जो मतदान केंद्र पर उपलब्ध होगी। किसी अन्य पेन का प्रयोग करने पर वोट अमान्य माना जाएगा। सांसदों को सभी उम्मीदवारों के लिए वरीयता क्रम (1, 2, 3 आदि) निर्धारित करना होगा, जिसमें पहली वरीयता अनिवार्य है, जबकि शेष वैकल्पिक हैं। वोटिंग के बाद मतपत्र को ठीक से मोड़कर जमा करना होगा, अन्यथा वोट अमान्य हो सकता है। परिणाम उसी दिन रात को घोषित किए जाएंगे, जो आनुपातिक प्रतिनिधित्व और एकल संक्रमणीय मत पद्धति के आधार पर गणना से प्राप्त होगा।

इलेक्टोरल कॉलेज और मतदान का ढांचा

संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों—लोकसभा और राज्यसभा—के निर्वाचित सदस्यों, साथ ही राष्ट्रपति द्वारा नामित 12 राज्यसभा सदस्यों से मिलकर बने इलेक्टोरल कॉलेज द्वारा होता है। इस कॉलेज में कुल 788 मतदाता हैं, जिनमें प्रत्येक सांसद का वोट का मूल्य 1 होता है, क्योंकि यह राज्य विधानसभाओं के सदस्यों पर आधारित प्रणाली नहीं है। मतदान में राजनीतिक दलों द्वारा ‘व्हिप’ जारी करना प्रतिबंधित है, और किसी भी रिश्वत या दबाव की स्थिति में भारतीय दंड संहिता (धारा 171B और 171C) के तहत कार्रवाई हो सकती है, जिससे चुनाव रद्द होने की संभावना भी बनी रहती है।

गुप्त मतदान और नियमों का पालन

यह एक गुप्त मतदान प्रक्रिया है, जिसमें कोई भी मतदाता अपना मतपत्र किसी अन्य को नहीं दिखा सकता। चुनाव आयोग ने यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त दिशानिर्देश जारी किए हैं कि प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी रहे। मतपत्र पर वरीयता अंक (1, 2, 3) भारतीय, रोमन या मान्यता प्राप्त भारतीय भाषाओं में दिए जा सकते हैं, लेकिन शब्दों (जैसे “पहला”, “दूसरा”) का प्रयोग वोट को अमान्य कर सकता है। मतदान के बाद गणना तुरंत शुरू होगी, और परिणाम उसी दिन घोषित होने से देश को नया उपराष्ट्रपति मिल जाएगा।

संवैधानिक महत्व और भविष्य की रूपरेखा

उपराष्ट्रपति भारत का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है, जो राज्यसभा के सभापति के रूप में भी कार्य करता है। इस पद की रिक्ति से उत्पन्न स्थिति को तत्काल संभालने के लिए हरिवंश नारायण सिंह वर्तमान में कार्यवाहक सभापति के रूप में कार्य कर रहे हैं। नया उपराष्ट्रपति न केवल विधायी प्रक्रिया को मजबूत करेगा, बल्कि संवैधानिक संतुलन बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह चुनाव राजनीतिक दलों के बीच रणनीति और सहमति का भी एक बड़ा अवसर होगा, जहां विभिन्न गठबंधनों की ताकत का परीक्षण होगा। Vice President Election 2025


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