‘किसानों का हित सर्वोपरि, हर कीमत चुकाने को तैयार’: ट्रंप के 50% टैरिफ के जवाब में PM मोदी की हुंकार, भारत नहीं झुकेगा

‘किसानों का हित सर्वोपरि, हर कीमत चुकाने को तैयार’: ट्रंप के 50% टैरिफ के जवाब में PM मोदी की हुंकार, भारत नहीं झुकेगा

PM Modi Strong Response to Trump Tariffs | अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत के निर्यात पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हितों से कोई समझौता नहीं करेगा, भले ही इसके लिए उन्हें व्यक्तिगत रूप से भारी कीमत चुकानी पड़े। ट्रंप प्रशासन की ओर से भारत के कृषि और डेयरी क्षेत्र को अमेरिकी उत्पादों के लिए खोलने की मांग पर चल रही व्यापारिक वार्ता विफल हो गई, क्योंकि भारत ने इन क्षेत्रों को संरक्षित रखने का दृढ़ संकल्प दिखाया है। एमएस स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में PM मोदी ने न केवल किसानों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, बल्कि जैव विविधता और स्थायी कृषि के महत्व पर भी जोर दिया। आइए, इस बयान के महत्व, इसके पीछे के कारणों और भारत की आर्थिक रणनीति पर विस्तार से चर्चा करें। PM Modi Strong Response to Trump Tariffs

7 अगस्त 2025 को नई दिल्ली में आयोजित एमएस स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 50% टैरिफ की घोषणा पर अपनी पहली सार्वजनिक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “हमारे लिए किसानों का हित सर्वोपरि है। भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा। मुझे व्यक्तिगत तौर पर पता है कि इसके लिए मुझे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं।” यह बयान न केवल भारत की आर्थिक संप्रभुता और किसानों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि ट्रंप के आक्रामक व्यापारिक रुख के खिलाफ भारत के दृढ़ संकल्प को भी रेखांकित करता है। PM Modi Strong Response to Trump Tariffs

PM मोदी के इस बयान का समय महत्वपूर्ण है, क्योंकि अमेरिका ने हाल ही में भारत के निर्यात पर पहले 25% टैरिफ (1 अगस्त 2025 से प्रभावी) और फिर 6 अगस्त 2025 को अतिरिक्त 25% टैरिफ की घोषणा की, जिससे कुल टैरिफ 50% हो गया। ट्रंप ने भारत के रूस से तेल और सैन्य उपकरण खरीदने को लेकर नाराजगी जताई और इसे “मृत अर्थव्यवस्था” करार दिया। इसके जवाब में भारत ने न केवल अपनी स्थिति स्पष्ट की, बल्कि यह भी जता दिया कि वह वैश्विक दबाव में झुकने वाला नहीं है।

ट्रंप के टैरिफ और व्यापारिक वार्ता का पृष्ठभूमि

अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक वार्ता पिछले कई महीनों से चल रही थी, जिसमें दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को $500 बिलियन तक ले जाने का लक्ष्य रखा था। हालांकि, कृषि और डेयरी क्षेत्रों में अमेरिकी उत्पादों के लिए बाजार खोलने की ट्रंप प्रशासन की मांग एक बड़ा अड़ंगा बन गई। भारत ने स्पष्ट कर दिया कि वह अपने 70 करोड़ से अधिक ग्रामीण आबादी पर निर्भर कृषि क्षेत्र को खतरे में नहीं डालेगा।

  • कृषि और डेयरी क्षेत्र पर भारत का रुख: भारत का कृषि क्षेत्र न केवल आर्थिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी संवेदनशील है। अमेरिकी मांगों में जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) फसलों, डेयरी उत्पादों और अन्य कृषि वस्तुओं पर टैरिफ कम करना शामिल था। भारत ने इन मांगों को अस्वीकार कर दिया, क्योंकि सस्ते अमेरिकी अनाज और डेयरी उत्पाद भारतीय बाजारों में बाढ़ ला सकते हैं, जिससे छोटे और सीमांत किसानों की आजीविका खतरे में पड़ सकती है।

  • रूस से तेल आयात: ट्रंप ने भारत के रूस से सस्ते तेल और सैन्य उपकरण खरीदने पर आपत्ति जताई और इसे यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा देने वाला बताया। हालांकि, भारत ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक बाजार स्थिरता के लिए रूसी तेल खरीद को उचित ठहराया। सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत के रूसी तेल आयात ने वैश्विक तेल कीमतों को $137/बैरल के शिखर से नीचे रखने में मदद की।

  • टैरिफ का प्रभाव: 50% टैरिफ से भारत के निर्यात, विशेष रूप से इंजीनियरिंग सामान, कपड़ा और फार्मास्यूटिकल्स पर असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इससे भारत की GDP वृद्धि 6.5% से घटकर 6.1% हो सकती है। रुपये में 0.2% की गिरावट (87.5950 प्रति डॉलर) पहले ही दर्ज की जा चुकी है।

PM मोदी का ‘स्वदेशी’ और किसान कल्याण पर जोर

PM मोदी ने अपने बयान में न केवल ट्रंप के टैरिफ के खिलाफ मजबूत रुख अपनाया, बल्कि ‘स्वदेशी’ और आत्मनिर्भर भारत की भावना को भी बढ़ावा दिया। उन्होंने वाराणसी में एक सभा में कहा, “वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता का माहौल है। ऐसे में हमें अपने आर्थिक हितों को प्राथमिकता देनी होगी। प्रत्येक नागरिक को स्वदेशी उत्पाद खरीदने का संकल्प लेना चाहिए।” यह बयान भारत की आर्थिक संप्रभुता और स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने की दिशा में एक मजबूत कदम है।

मोदी ने हाल ही में PM-किसान योजना के तहत 20,500 करोड़ रुपये किसानों को हस्तांतरित किए और PM धान धन्य कृषि योजना के तहत 24,000 करोड़ रुपये की निवेश योजना की घोषणा की। इसके अलावा, PM फसल बीमा योजना के तहत 1.75 लाख करोड़ रुपये के दावों का भुगतान और MSP में रिकॉर्ड वृद्धि जैसे कदमों ने किसानों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाया।

एमएस स्वामीनाथन के विचारों का उत्सव

PM मोदी ने अपने भाषण में हरित क्रांति के जनक डॉ. एमएस स्वामीनाथन को श्रद्धांजलि देते हुए उनके ‘बायो-हैपिनेस’ के विचार को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “डॉ. स्वामीनाथन ने जैव विविधता के महत्व को समझा और इसे स्थानीय समुदायों के जीवन को बेहतर बनाने का आधार बनाया। हमारी सरकार जैव विविधता को संरक्षित करने और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है।” यह बयान भारत की पर्यावरणीय और कृषि नीतियों में दीर्घकालिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।

  • जैव विविधता और स्थायी कृषि: भारत ने जैव विविधता संरक्षण के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जैसे मोटे अनाज (मिलेट्स) को बढ़ावा देना और जैविक खेती को प्रोत्साहन। ये कदम न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि छोटे किसानों की आय बढ़ाने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।

  • महिलाओं की भागीदारी: मोदी ने ‘लखपति दीदी’ और ‘ड्रोन दीदी’ जैसी योजनाओं का उल्लेख किया, जिनका लक्ष्य 3 करोड़ ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।

विपक्ष की प्रतिक्रिया और घरेलू राजनीति

ट्रंप के टैरिफ और भारत की प्रतिक्रिया ने घरेलू राजनीति में भी हलचल मचाई है। कांग्रेस ने PM मोदी की विदेश नीति को “हगलोमेसी” करार देते हुए इसे असफल बताया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “मोदी ने ट्रंप के साथ दोस्ती का ढोल पीटा, लेकिन बदले में भारत को कठोर टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है।” RJD नेता तेजस्वी यादव ने भी सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए और इसे “आर्थिक जबरदस्ती” के खिलाफ कमजोर रुख बताया।

हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया कि वह अमेरिकी दबाव में नहीं झुकेगी और किसानों, MSME और उद्यमियों के हितों की रक्षा करेगी। वाणिज्य मंत्रालय ने कहा, “हम एक निष्पक्ष और पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

भविष्य की रणनीति

भारत ने टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं:

  • निर्यातकों के लिए समर्थन: सरकार ने निर्यातकों के लिए 20,000 करोड़ रुपये की परियोजना और ‘ब्रांड इंडिया’ को बढ़ावा देने की योजना बनाई है।

  • बातचीत का रास्ता: अमेरिकी व्यापार वार्ताकार अगस्त 2025 के अंत में भारत आएंगे, जहां दोनों पक्ष व्यापार समझौते पर चर्चा करेंगे। भारत ने कृषि, डेयरी और GM फसलों पर रियायतें देने से इनकार कर दिया है।

  • स्वदेशी पर जोर: PM मोदी का ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान टैरिफ के प्रभाव को कम करने और स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण है।

PM नरेंद्र मोदी का ट्रंप के 50% टैरिफ पर दिया गया बयान भारत की आर्थिक संप्रभुता और किसान कल्याण के प्रति उनकी अटल प्रतिबद्धता को दर्शाता है। भारत ने न केवल वैश्विक दबाव के खिलाफ मजबूत रुख अपनाया, बल्कि स्वदेशी और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देकरदीर्घकालिक आर्थिकस्थिरता की दिशा में कदम उठाया। ट्रंप के साथ व्यापारिक तनाव के बावजूद, भारत ने अपनी नीतियों में संतुलन बनाए रखा है, जो रूस के साथ ऊर्जा संबंधों को बनाए रखने और किसानों के हितों की रक्षा करने में स्पष्ट है। आने वाले महीनों में भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिकवार्ता और सरकार की स्वदेशी नीतियांदेश की आर्थिक दिशा को और मजबूत करेंगी। PM Modi Strong Response to Trump Tariffs


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