घर के मंदिर में इन देवी-देवताओं की मूर्तियों को साथ रखने से लगता है गंभीर वास्तु दोष, टल सकती हैं सुख-शांति और समृद्धि
Vastu Dosh in Home Temple | वास्तु शास्त्र और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, घर का मंदिर केवल पूजा-पाठ का स्थान ही नहीं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र भी है। मंदिर में देवी-देवताओं की मूर्तियों या तस्वीरों को रखने के लिए विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है। अगर इन नियमों की अनदेखी की जाए, तो वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है, जो परिवार के स्वास्थ्य, धन, रिश्तों और समृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। कुछ देवी-देवताओं की मूर्तियों को एक साथ रखने से उनकी ऊर्जा में टकराव होता है, जिससे घर में अशांति, तनाव और आर्थिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं। आइए जानते हैं, किन देवी-देवताओं को एक साथ रखने से बचना चाहिए और इसके पीछे के कारण, साथ ही मंदिर के लिए कुछ महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स। Vastu Dosh in Home Temple
वास्तु शास्त्र में मंदिर का महत्व
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर का मंदिर वह स्थान है जहां सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह घर के सदस्यों को मानसिक शांति, आध्यात्मिक बल और समृद्धि प्रदान करता है। लेकिन अगर मंदिर में गलत तरीके से मूर्तियां रखी जाएं, तो यह सकारात्मक ऊर्जा नकारात्मक में बदल सकती है। प्रत्येक देवी-देवता की अपनी विशिष्ट ऊर्जा और पूजा विधि होती है। जब इनकी मूर्तियों को अनुचित तरीके से एक साथ रखा जाता है, तो उनकी ऊर्जा में टकराव होता है, जिससे घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है। यह दोष परिवार में विवाद, आर्थिक हानि, स्वास्थ्य समस्याएं और मानसिक अशांति का कारण बन सकता है।
इन देवी-देवताओं को एक साथ रखने से बचें
निम्नलिखित कुछ ऐसे देवी-देवताओं के संयोजन हैं, जिन्हें घर के मंदिर में एक साथ रखने से वास्तु दोष उत्पन्न होता है:
1. शनि देव और मां काली
- क्यों न रखें साथ: शनि देव और मां काली दोनों ही अत्यंत प्रबल और तीव्र ऊर्जा वाले देवता माने जाते हैं। शनि देव कर्म और न्याय के देवता हैं, जबकि मां काली उग्रता और नकारात्मक शक्तियों के विनाश का प्रतीक हैं। इन दोनों की ऊर्जा एक-दूसरे से टकराती है, जिससे घर में तनाव, विवाद और मानसिक अशांति बढ़ सकती है।
- वास्तु सलाह: शनि देव की मूर्ति या तस्वीर को मंदिर के बाहर किसी शांत स्थान पर स्थापित करें, जैसे कि घर के पश्चिम दिशा में। मां काली की पूजा के लिए अलग से एक छोटा पूजा स्थल बनाएं, जहां उनकी उग्र ऊर्जा को संतुलित किया जा सके।
- प्रभाव: इन दोनों को साथ रखने से परिवार में अनावश्यक तनाव, स्वास्थ्य समस्याएं और आर्थिक अस्थिरता आ सकती है।
2. गणेश जी और हनुमान जी
- क्यों न रखें साथ: भगवान गणेश विघ्नहर्ता और बुद्धि के दाता हैं, जबकि हनुमान जी संकटमोचक और शक्ति के प्रतीक हैं। दोनों की पूजा विधि और ऊर्जा अलग-अलग है। गणेश जी की पूजा शांति और समृद्धि के लिए की जाती है, जबकि हनुमान जी की पूजा में भक्ति और शक्ति का भाव प्रबल होता है। इन्हें एक साथ रखने से पूजा का प्रभाव कम हो सकता है और घर में ऊर्जा का असंतुलन हो सकता है।
- वास्तु सलाह: गणेश जी की मूर्ति को मंदिर के मध्य में या पूर्व दिशा में स्थापित करें। हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर को दक्षिण-पश्चिम दिशा में या घर के प्रवेश द्वार के पास रखें, ताकि उनकी रक्षक ऊर्जा घर की सुरक्षा करे।
- प्रभाव: इन दोनों को एक साथ रखने से कार्यों में बाधाएं और मानसिक भटकाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
3. शिव परिवार और राम दरबार
- क्यों न रखें साथ: शिव परिवार (भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय) और राम दरबार (श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान जी) दोनों ही पूर्ण और शक्तिशाली पूजा इकाइयां हैं। इनके बीच ऊर्जा का टकराव हो सकता है, क्योंकि शिव परिवार की पूजा में ध्यान और आध्यात्मिकता का भाव प्रबल होता है, जबकि राम दरबार की पूजा में भक्ति और आदर्श जीवन का भाव होता है। इन्हें एक साथ रखने से पूजा का प्रभाव कम हो सकता है और घर में मानसिक अशांति बढ़ सकती है।
- वास्तु सलाह: शिव परिवार की मूर्तियों को उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में स्थापित करें, जो आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है। राम दरबार को मंदिर के मध्य में या पूर्व दिशा में रखें, ताकि उनकी भक्ति और शांति की ऊर्जा पूरे घर में फैले।
- प्रभाव: इन दोनों को एक साथ रखने से परिवार में मतभेद, तनाव और कार्यों में देरी हो सकती है।
4. भगवान विष्णु और शनि देव
- क्यों न रखें साथ: भगवान विष्णु समृद्धि, शांति और सृष्टि के पालक हैं, जबकि शनि देव कर्म और न्याय के प्रतीक हैं। इन दोनों की ऊर्जा एक-दूसरे से विपरीत है। विष्णु जी की पूजा सकारात्मकता और समृद्धि के लिए होती है, जबकि शनि देव की पूजा में कर्म और अनुशासन का महत्व होता है। इन्हें एक साथ रखने से घर में ऊर्जा का असंतुलन हो सकता है।
- वास्तु सलाह: भगवान विष्णु या उनके अवतारों (श्रीराम, श्रीकृष्ण) की मूर्ति को मंदिर के मध्य में स्थापित करें। शनि देव की पूजा के लिए अलग से स्थान बनाएं, जैसे कि पश्चिम दिशा में एक छोटा पूजा स्थल।
- प्रभाव: इन दोनों को एक साथ रखने से आर्थिक समस्याएं, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां और परिवार में तनाव बढ़ सकता है।
ग्रुप जॉइन करने के लिए क्लिक करें: https://whatsapp.com/channel/0029ValRqro5K3zMVUrxrl28
मंदिर के लिए महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स
घर के मंदिर को सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र बनाए रखने के लिए निम्नलिखित वास्तु नियमों का पालन करें:
- मंदिर की दिशा: मंदिर को हमेशा घर की उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में स्थापित करें, क्योंकि यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है।
- मूर्तियों की संख्या: मंदिर में एक ही देवता की दो मूर्तियां या तस्वीरें न रखें, क्योंकि इससे ऊर्जा में टकराव हो सकता है। उदाहरण के लिए, भगवान गणेश की दो मूर्तियां एक साथ न रखें।
- मूर्तियों का आकार: मंदिर में छोटी और समान आकार की मूर्तियां रखें। बहुत बड़ी मूर्तियां घर के मंदिर के लिए अनुपयुक्त मानी जाती हैं।
- स्वच्छता: मंदिर को हमेशा साफ-सुथरा रखें। पूजा सामग्री और मूर्तियों पर धूल जमा न होने दें।
- प्रकाश और वेंटिलेशन: मंदिर में पर्याप्त रोशनी और हवा का प्रवाह होना चाहिए। रात में मंदिर को अंधेरे में न छोड़ें; एक छोटा दीपक जलाएं।
- देवताओं की स्थिति: मूर्तियों को इस तरह रखें कि वे एक-दूसरे की ओर न देखें। उदाहरण के लिए, गणेश जी और लक्ष्मी जी की मूर्तियां पास-पास रखी जा सकती हैं, क्योंकि उनकी ऊर्जा पूरक है।
- निषिद्ध चीजें: मंदिर में टूटी-फूटी मूर्तियां, पुराने फूल, या सूखे माला न रखें। इन्हें तुरंत हटा दें और नदी में विसर्जित करें।
वास्तु दोष के प्रभाव
अगर मंदिर में वास्तु नियमों का पालन न किया जाए, तो निम्नलिखित नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं:
- स्वास्थ्य समस्याएं: परिवार के सदस्यों में मानसिक तनाव, थकान, और बार-बार बीमारियां हो सकती हैं।
- आर्थिक नुकसान: अनावश्यक खर्चे, धन हानि, और कारोबार में रुकावटें आ सकती हैं।
- रिश्तों में तनाव: परिवार में विवाद, मतभेद और रिश्तों में दरार पड़ सकती है।
- मानसिक अशांति: घर में शांति और सकारात्मकता की कमी हो सकती है।
वास्तु दोष को दूर करने के उपाय
यदि आपके घर के मंदिर में गलत तरीके से मूर्तियां रखी गई हैं, तो निम्नलिखित उपायों से वास्तु दोष को दूर किया जा सकता है:
- मूर्तियों को पुनर्व्यवस्थित करें: ऊपर बताए गए नियमों के अनुसार मूर्तियों को अलग-अलग स्थानों पर स्थापित करें।
- हवन और शुद्धिकरण: घर में हवन या पूजा करवाकर नकारात्मक ऊर्जा को दूर करें। इसके लिए किसी विद्वान पंडित की सलाह लें।
- वास्तु यंत्र: मंदिर में वास्तु यंत्र स्थापित करें, जो ऊर्जा संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
- नियमित पूजा: रोजाना मंदिर में दीपक जलाएं और मंत्रों का जाप करें। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है।
- दिशा शुद्धि: यदि मंदिर गलत दिशा में है, तो वास्तु विशेषज्ञ से सलाह लेकर दिशा शुद्धि करें।
घर के मंदिर के लिए वास्तु नियम और सावधानियां
-
मंदिर की दिशा:
-
मंदिर को उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में स्थापित करें।
-
यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है।
-
-
इन देवी-देवताओं को एक साथ न रखें:
-
शनि देव और मां काली: दोनों की प्रबल ऊर्जा से तनाव और विवाद बढ़ सकते हैं।
-
गणेश जी और हनुमान जी: पूजा विधि और ऊर्जा में अंतर के कारण प्रभाव कम हो सकता है।
-
शिव परिवार और राम दरबार: ऊर्जा असंतुलन से मानसिक अशांति हो सकती है।
-
भगवान विष्णु और शनि देव: विपरीत ऊर्जा से आर्थिक और स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
-
-
मूर्तियों की व्यवस्था:
-
एक ही देवता की दो मूर्तियां न रखें।
-
मूर्तियां छोटी और समान आकार की हों।
-
मूर्तियां एक-दूसरे की ओर न देखें।
-
-
स्वच्छता और प्रकाश:
-
मंदिर को साफ-सुथरा रखें; टूटी मूर्तियां या सूखे फूल न रखें।
-
पर्याप्त रोशनी और हवा का प्रवाह सुनिश्चित करें।
-
रात में मंदिर में एक छोटा दीपक जलाएं।
-
-
वास्तु दोष के प्रभाव:
-
स्वास्थ्य समस्याएं, आर्थिक नुकसान, रिश्तों में तनाव, और मानसिक अशांति।
-
-
वास्तु दोष निवारण के उपाय:
-
मूर्तियों को सही स्थान पर पुनर्व्यवस्थित करें।
-
हवन या पूजा करवाकर नकारात्मक ऊर्जा हटाएं।
-
वास्तु यंत्र स्थापित करें।
-
रोजाना दीपक जलाएं और मंत्र जाप करें।
-
-
घर का मंदिर सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिकशांति का स्रोत है, लेकिन वास्तु नियमों का पालन न करने से यह नकारात्मक ऊर्जा का केंद्र भी बन सकता है। शनि देव और मां काली, गणेश जी और हनुमान जी, शिव परिवार और राम दरबार, या भगवानविष्णु और शनि देव जैसे देवी-देवताओं को एक साथ रखने से बचें, क्योंकि इससे वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है। मंदिर को सही दिशा में स्थापित करें, मूर्तियों की व्यवस्था पर ध्यान दें और नियमित रूप से स्वच्छता बनाए रखें। इन नियमों का पालन करके आप अपने घर में सुख, शांति और समृद्धि को बनाए रख सकते हैं। Vastu Dosh in Home Temple
डिस्क्लेमर: यहजानकारी वास्तु शास्त्र और सामान्य धार्मिकमान्यताओं पर आधारित है। इसकापालन करने से पहले किसी योग्य वास्तु विशेषज्ञ या पंडित से सलाह लें। Vastu Dosh in Home Temple
मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।