अफगानिस्तान में इंटरनेट ब्लैकआउट: तालिबान ने ‘अनैतिकता रोकने’ के नाम पर काटे फाइबर कनेक्शन
Afghanistan Internet Shutdown | अफगानिस्तान में सोमवार (29 सितंबर) से पूरे देश में इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह ठप हो गई हैं, जबकि मोबाइल नेटवर्क भी लगभग निष्क्रिय हो चुके हैं। इंटरनेट मॉनिटरिंग ग्रुप के अनुसार, कनेक्टिविटी सामान्य स्तर से महज 14% रह गई है, जो एक पूर्ण ब्लैकआउट का संकेत है। तालिबान सरकार ने इस कदम को “अनैतिक गतिविधियों को रोकने” का नाम दिया है, लेकिन विशेषज्ञ इसे जनता को दुनिया से अलग-थलग करने और विरोध को दबाने की रणनीति बता रहे हैं। यह 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद पहली बार इतना व्यापक संचार बंदी है, जो महिलाओं, छात्रों और व्यवसायों के लिए विनाशकारी साबित हो रही है। Afghanistan Internet Shutdown
ब्लैकआउट कैसे फैला? क्या हुआ?
- प्रांतों से शुरुआत: 16 सितंबर को उत्तरी बाल्ख प्रांत में फाइबर-ऑप्टिक इंटरनेट पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया। तालिबान के सर्वोच्च नेता के आदेश पर यह कदम उठाया गया।
- राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार: अगले दिनों कंधार, हेलमंद, उरुजगान, नंगरहर, बदख्शां, तखार जैसे छह से अधिक प्रांतों में इंटरनेट काट दिया गया। 29 सितंबर को यह काबुल, हेरात, मजार-ए-शरीफ और उरुजगां तक फैल गया।
- मोबाइल और अन्य प्रभाव: मोबाइल डेटा पहले काम कर रहा था, लेकिन अब सिग्नल टावर बंद हो चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय कॉल्स, एसएमएस और सैटेलाइट टीवी भी रुक गए हैं। मीडिया हाउस अपने काबुल कार्यालयों से संपर्क टूटने की पुष्टि कर चुके हैं। काबुल एयरपोर्ट से कई उड़ानें कैंसिल हो गईं।
- रिपोर्ट: सोशल मीडिया पर अपडेट देते हुए कहा गया, “अफगानिस्तान में तालिबान की नैतिकता नीतियों के तहत कई नेटवर्क चरणबद्ध तरीके से डिस्कनेक्ट हो गए हैं; टेलीफोन सेवाएं भी प्रभावित हैं।”
तालिबान का ‘हैरान करने वाला’ फैसला: असली कारण क्या?
तालिबान ने आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं दिया, लेकिन बाल्ख प्रांत के गवर्नर के प्रवक्ता ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि यह “अनैतिक कार्यों को रोकने” के लिए है। विशेषज्ञों के अनुसार:
- नैतिकता का बहाना: तालिबान का दावा है कि इंटरनेट “व्यभिचार” और “पश्चिमी प्रभाव” फैला रहा है। लेकिन इस्लामी विद्वान कहते हैं कि शरिया में इंटरनेट बंदी का कोई धार्मिक आधार नहीं।
- नियंत्रण की रणनीति: यह विरोध प्रदर्शनों को रोकने, आलोचनात्मक कंटेंट ब्लॉक करने और महिलाओं को अलग-थलग करने का तरीका है। 2021 से तालिबान ने लड़कियों को माध्यमिक शिक्षा से वंचित रखा है, और ऑनलाइन क्लासेस उनका आखिरी सहारा थीं।
- चरणबद्ध दृष्टिकोण: एक पूर्व टेलीकॉम इंजीनियर ने कहा, “यह तालिबान का सामान्य पैटर्न है—दूरदराज प्रांतों से शुरू होकर काबुल तक।”
सोशल मीडिया पर अफगान यूजर्स ने चिंता जताई: एक पोस्ट में कहा गया, “यह ब्लैकआउट सिर्फ डिस्कनेक्शन नहीं, बल्कि महिलाओं की आवाज दबाना और लड़कियों की ऑनलाइन शिक्षा छीनना है।” एक अन्य ने वैकल्पिक इंटरनेट की मांग की।
प्रभाव: महिलाओं, शिक्षा और अर्थव्यवस्था पर कहर
- महिलाओं और शिक्षा पर: लड़कियां छठी कक्षा के बाद स्कूलों से बाहर हैं। ऑनलाइन क्लासेस (जैसे अंग्रेजी या कोडिंग कोर्स) अब बंद। कंधार की एक महिला उद्यमी ने कहा, “इंटरनेट हमारी आजीविका का सहारा था; अब ऑर्डर लेना तीन गुना महंगा हो गया।”
- अर्थव्यवस्था को झटका: व्यवसाय, बैंकिंग और ई-कॉमर्स ठप। एक पूर्व मीडिया एडिटर ने कहा, “अफगानिस्तान अब उत्तर कोरिया से आगे निकल गया।”
- मानवीय संकट: पूर्वी अफगानिस्तान के भूकंप प्रभावितों को सहायता पहुंचाने में बाधा। परिवार, एनजीओ और पत्रकारों का संपर्क टूटा। अफगान डायस्पोरा में पैनिक फैल गया।
- मीडिया पर: स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय न्यूज चैनल प्रभावित।
प्रभावित क्षेत्र | मुख्य समस्या |
---|---|
शिक्षा | लड़कियों के ऑनलाइन कोर्स बंद; वैश्विक शिक्षा कट गई |
व्यवसाय | फाइबर कनेक्शन कटने से लागत 3 गुना बढ़ी; बिक्री रुकी |
संचार | अंतरराष्ट्रीय कॉल्स/एसएमएस बंद; परिवार अलग-थलग |
मानवीय सहायता | भूकंप राहत प्रभावित; एनजीओ संपर्क टूटा |
दुनिया की प्रतिक्रिया: चिंता और मांगें
- संयुक्त राष्ट्र: उप प्रवक्ता ने कहा, “यह कदम अफगानिस्तान की जनता की जान को खतरे में डाल रहा है।”
- डिजिटल अधिकार कार्यकर्ता: “यह दमन का चक्र है; इंटरनेट बहाली बिना शर्त होनी चाहिए।”
- अफगान डायस्पोरा: सोशल मीडिया पर #AfghanistanBlackout ट्रेंड कर रहा, वैकल्पिक इंटरनेट की मांग तेज।
यह ब्लैकआउट अफगानिस्तान को वैश्विक अलगाव की ओर धकेल रहा है। तालिबान ने कहा है कि वैकल्पिक इंटरनेट रूट बनाया जाएगा, लेकिन कोई समयसीमा नहीं डी गई। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अगर यह स्थायी हुआ, तो देश की अर्थव्यवस्था और मानवाधिकार पूरी तरह चरमरा जाएंगे।
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।