आगरा में धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश: गोवा की कृष्णा से आयशा तक, ISIS की तर्ज पर फैलाया गया कट्टरता और आतंक का जाल

आगरा में धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश: गोवा की कृष्णा से आयशा तक, ISIS की तर्ज पर फैलाया गया कट्टरता और आतंक का जाल

Agra Conversion Racket Exposed | उत्तर प्रदेश के आगरा में पुलिस ने एक अंतरराष्ट्रीय धर्मांतरण रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जिसके तार आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और ISIS से जुड़े हुए हैं। इस रैकेट की कमांडर गोवा की रहने वाली आयशा उर्फ एसबी कृष्णा थी, जिसने 2020 में पंजाब यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान कश्मीरी छात्राओं के प्रभाव में आकर इस्लाम कबूल किया और बाद में दूसरों को धर्मांतरण के लिए प्रेरित करने लगी। यह रैकेट न केवल धर्म परिवर्तन कराता था, बल्कि युवतियों को कट्टरपंथ और आतंकवादी गतिविधियों के लिए तैयार करने की साजिश भी रच रहा था। कनाडा, अमेरिका, यूएई और लंदन से मिलने वाली करोड़ों की फंडिंग के जरिए यह गैंग छह राज्यों में सक्रिय था। इस लेख में हम इस सनसनीखेज मामले की पूरी कहानी, इसके संचालन के तरीके, और इसके सियासी व सामाजिक निहितार्थों की पड़ताल करेंगे। Agra Conversion Racket Exposed

रैकेट का खुलासा: एक गुमशुदगी से शुरू हुई जांच

मार्च 2025 में आगरा के सदर बाजार क्षेत्र से दो सगी बहनों (33 और 18 वर्षीय) के अचानक गायब होने की शिकायत दर्ज हुई। उनके पिता, एक जूता कारोबारी, ने पुलिस को बताया कि उनकी बेटियां पढ़ाई के लिए घर से निकली थीं, लेकिन वापस नहीं लौटीं। शुरुआती जांच में मामला साइबर सेल को सौंपा गया, और जल्द ही यह स्पष्ट हुआ कि दोनों बहनें एक अंतरराष्ट्रीय धर्मांतरण सिंडिकेट के जाल में फंस चुकी थीं। आगरा पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार के नेतृत्व में 100 जवानों की 11 टीमों ने उत्तर प्रदेश, गोवा, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, राजस्थान, और उत्तराखंड में छापेमारी कर 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया। इनमें मुख्य आरोपी आयशा उर्फ एसबी कृष्णा थी, जो इस रैकेट की फंड मैनेजर थी। Agra Conversion Racket Exposed

आयशा की कहानी: गोवा से कश्मीर तक का सफर

आयशा, जिसका मूल नाम एसबी कृष्णा था, गोवा की रहने वाली एक शिक्षित हिंदू लड़की थी। 2020 में वह पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ में एमएससी डाटा साइंस की पढ़ाई के लिए आई। वहां उसकी मुलाकात कश्मीरी छात्राओं से हुई, जिन्होंने उसे इस्लाम की शिक्षाओं, नमाज, और बुर्के के फायदों के बारे में बताया। धीरे-धीरे कृष्णा इनके प्रभाव में आ गई और उसका ब्रेनवॉश शुरू हो गया।

कश्मीरी छात्राओं ने कृष्णा को अपने साथ जम्मू-कश्मीर ले गईं, जहां उसने कई महीने बिताए। इस दौरान उसके परिवार को उसकी गतिविधियों की कोई जानकारी नहीं थी। परिजनों ने दिल्ली में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई, और जम्मू-कश्मीर पुलिस की मदद से उसे वापस लाया गया। गोवा लौटने पर परिजनों ने उसका मोबाइल छीन लिया, लेकिन छह महीने बाद वह फिर भाग गई और कोलकाता पहुंच गई। वहां उसने इस्लाम कबूल कर लिया और अपना नाम आयशा रख लिया। इसके बाद वह धर्मांतरण रैकेट की प्रमुख सदस्य बन गई, जो विदेशी फंडिंग के जरिए संचालित हो रहा था।

रैकेट का संचालन: ISIS की तर्ज पर संगठित अपराध

पुलिस जांच में पता चला कि यह रैकेट ISIS और लश्कर-ए-तैयबा के पैटर्न पर काम करता था। इसका संचालन अत्यंत संगठित था, जिसमें अलग-अलग मॉड्यूल थे:

  • फंडिंग मॉड्यूल: आयशा विदेशों से आने वाली फंडिंग को भारत में बांटती थी। कनाडा के सैयद दाऊद अहमद और अन्य स्रोतों से यूएई, लंदन, और अमेरिका के रास्ते पैसा भारत पहुंचता था, ताकि ट्रेस करना मुश्किल हो।

  • ब्रेनवॉश मॉड्यूल: युवतियों को प्रेम जाल में फंसाकर या इस्लाम की गलत व्याख्या के जरिए ब्रेनवॉश किया जाता था। मुगल शासन की कहानियां और कट्टरपंथी वीडियो दिखाए जाते थे, जिसमें हिंदू प्रतीकों का अपमान किया जाता था।

  • लॉजिस्टिक्स मॉड्यूल: दिल्ली  के मुस्तफा उर्फ मनोज जैसे लोग फर्जी सिम कार्ड और मोबाइल फोन का इंतजाम करते थे। युवतियों को ट्रेन के बजाय बसों से भेजा जाता था, ताकि उनकी लोकेशन ट्रेस न हो।

  • कानूनी मॉड्यूल: आयशा का पति, शेखर राय उर्फ अली हसन, कोलकाता की एक अदालत में काम करता था और फर्जी दस्तावेज, नाम बदलने की प्रक्रिया, और पहचान पत्र तैयार करता था।

पुलिस ने पाया कि यह गैंग सैकड़ों लोगों का धर्मांतरण करा चुका था। गिरफ्तार 10 आरोपियों में छह पहले हिंदू थे, जिन्हें इस रैकेट ने कट्टरपंथी बनाया। उदाहरण के लिए, जयपुर के मोहम्मद अली (पहले पियूष पंवार) ने एक मुस्लिम युवती से प्यार के बाद इस्लाम कबूल किया और बाद में PFI के संपर्क में आकर रैकेट से जुड़ गया।

आगरा की सगी बहनों का मामला

आगरा की दो सगी बहनों (33 और 18 वर्षीय) को इस रैकेट ने निशाना बनाया। उनकी बड़ी बहन 2020 में कश्मीरी छात्रा समा के संपर्क में आई थी, जिसने उसे उधमपुर ले जाकर ब्रेनवॉश किया। 2021 में पिता उसे वापस लाए, लेकिन वह अपनी छोटी बहन को भी इस्लाम कबूलने के लिए दबाव बनाने लगी। 24 मार्च 2025 को दोनों बहनें घर से भाग गईं और कोलकाता पहुंचीं, जहां उनका धर्मांतरण कर नाम अमीना और जोया रखा गया।

पुलिस ने कोलकाता के बैरकपुर में छापा मारकर दोनों बहनों को बरामद किया। उस समय दोनों ने बुर्का पहन रखा था और घर लौटने से इनकार कर रही थीं। एक बहन इतनी कट्टर हो चुकी थी कि वह मुजाहिदा (आत्मघाती हमलावर) बनने को तैयार थी। उसकी सोशल मीडिया प्रोफाइल पर AK-47 के साथ तस्वीरें और कट्टरपंथी सामग्री मिली। पुलिस ने काउंसलिंग के बाद दोनों को आगरा वापस लाया।

कलीम सिद्दीकी का कनेक्शन

जांच में पता चला कि इस रैकेट का असली मास्टरमाइंड मौलाना कलीम सिद्दीकी था, जो 2021 में सामूहिक धर्मांतरण के मामले में गिरफ्तार होकर 2024 में उम्रकैद की सजा पा चुका है। सिद्दीकी जेल से भी अपने सहयोगी अब्दुल रहमान के जरिए रैकेट चला रहा था। रहमान, जो पहले महेंद्र पाल जादौन था, ने 1990 में पहले ईसाई और फिर इस्लाम धर्म कबूल किया था। उसका पूरा परिवार कन्वर्टेड था।

विदेशी फंडिंग और आतंकी कनेक्शन

पुलिस ने खुलासा किया कि इस रैकेट को कनाडा, अमेरिका, यूएई, लंदन, और दुबई से फंडिंग मिल रही थी। फंड्स को कई देशों के रास्ते डायवर्ट किया जाता था ताकि ट्रेसिंग मुश्किल हो। जांच एजेंसियों को संदेह है कि इस फंडिंग का एक हिस्सा आतंकी गतिविधियों में भी इस्तेमाल हो रहा था। रैकेट के तार लश्कर-ए-तैयबा, PFI, और SDPI से भी जुड़े थे। सोशल मीडिया पर यह गैंग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कट्टरपंथी प्रचार करता था, जिसमें राम मंदिर उद्घाटन जैसे वीडियो का दुरुपयोग किया जाता था।

पुलिस की कार्रवाई और कानूनी प्रक्रिया

आगरा पुलिस ने 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर 10 दिन की रिमांड हासिल की। गिरफ्तार आरोपियों में आयशा (गोवा), अली हसन उर्फ शेखर राय (कोलकाता), ओसामा (कोलकाता), रहमान कुरैशी (आगरा), अब्बू तालिब (मुजफ्फरनगर), अबुर रहमान (देहरादून), मोहम्मद अली (जयपुर), जुनैद कुरैशी (जयपुर), मुस्तफा उर्फ मनोज (दिल्ली), और मोहम्मद इब्राहिम उर्फ रीथ बनिक शामिल हैं।

पुलिस ने इनके फोन से कट्टरपंथी वीडियो, चैट्स, और अन्य सबूत बरामद किए। एक वीडियो में राम मंदिर उद्घाटन के दौरान कट्टरपंथी वॉयसओवर था, जो मंदिरों को तोड़ने की बात करता था। पुलिस और ATS अब इस रैकेट के अन्य सदस्यों और पीड़ितों की पहचान कर रही है।

सियासी और सामाजिक निहितार्थ

इस मामले ने उत्तर प्रदेश में सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। विपक्षी दलों ने इसे “लव जिहाद” का मुद्दा बनाकर योगी सरकार पर निशाना साधा, जबकि सरकार ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “ऐसे रैकेट्स भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश का हिस्सा हैं, और हम इन्हें बख्शेंगे नहीं।”

सामाजिक स्तर पर, यह मामला युवाओं, खासकर नाबालिग लड़कियों को निशाना बनाने की गंभीर समस्या को उजागर करता है। पंजाब यूनिवर्सिटी जैसे शिक्षण संस्थानों में कट्टरपंथी गतिविधियों की मौजूदगी ने अभिभावकों और नीति निर्माताओं में चिंता पैदा की है। Agra Conversion Racket Exposed

आगरा में पकड़ा गया धर्मांतरण रैकेट न केवल एक आपराधिक साजिश है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा भी है। गोवा की कृष्णा से आयशा बनने की कहानी यह दर्शाती है कि कैसे शिक्षित युवाओं को भी कट्टरपंथ के जाल में फंसाया जा सकता है। विदेशी फंडिंग, आतंकी संगठनों से कनेक्शन, और संगठित अपराध का यह नेटवर्क भारत कीसामाजिक और सांस्कृतिकएकता को चुनौती देता है। पुलिस और ATS की त्वरित कार्रवाई ने इस रैकेट को तोड़ने में सफलताहासिल की है, लेकिन यह घटना शिक्षणसंस्थानों में निगरानी और कट्टरपंथ के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने की जरूरत को रेखांकित करती है। Agra Conversion Racket Exposed


यह खबर भी पढ़ें
‘उधारी पर जीने वाला पाकिस्तान आतंक और कट्टरता में डूबा… भारत ने कश्मीर और सिंधु जल संधि पर दिया करारा जवाब

Leave a Comment

अहान पांडे कौन हैं? साउथ के मशहूर विलेन कोटा श्रीनिवास का निधन Kota Srinivasa Rao death news शर्मनाक जांच! ठाणे के स्कूल में छात्राओं के कपड़े उतरवाए गए अर्चिता फुकन और Kendra Lust की वायरल तस्‍वीरें! जानिए Babydoll Archi की हैरान कर देने वाली कहानी बाइक और स्कूटर चलाने वालों के लिए बड़ी खबर! Anti-Lock Braking System लो हो गया पंचायत सीजन 4 रिलीज, यहां देखें