मोदी चढ़ाएंगे अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर, हिंदू सेना ने जताया विरोध
Ajmer Sharif Dargah and modi | नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की तरफ से 4 जनवरी को अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर चढ़ाई जाएगी। इस बार केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू (Union Minister Kiren Rijiju) पीएम की तरफ से दरगाह पर चादर चढ़ाने जाएंगे। यह प्रधानमंत्री मोदी का 11वां मौका होगा जब उनकी तरफ से चादर चढ़ाई जा रही है। हालांकि, इस बार हिंदू सेना (Hindu Sena) ने इस परंपरा का विरोध जताते हुए इसे तत्काल रोकने की मांग की है।
हिंदू सेना का दावा और विरोध
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता (Vishnu Gupta, National President of Hindu Sena) ने पीएमओ (PMO) को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री मोदी से दरगाह पर चादर चढ़ाने की परंपरा को सस्पेंड करने की अपील की है। उनका दावा है कि अजमेर शरीफ दरगाह वास्तव में एक प्राचीन संकट मोचन महादेव मंदिर (Sankat Mochan Mahadev Mandir) है, जिसका निर्माण चौहान वंश ने करवाया था।
गुप्ता ने बताया कि यह मामला फिलहाल अजमेर वेस्ट डिस्ट्रिक्ट कोर्ट (Ajmer West District Court) में लंबित है। उन्होंने अपने पत्र में उल्लेख किया कि उन्होंने कोर्ट में पुख्ता सबूत पेश किए हैं, जिसमें दरगाह परिसर को हिंदू मंदिर के रूप में दिखाया गया है। इसके साथ ही उन्होंने दरगाह परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग भी की है।
अदालती विवाद और हिंदू सेना की याचिका
विष्णु गुप्ता ने कोर्ट में इस मामले पर याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने दरगाह को हिंदू मंदिर घोषित करने की अपील की है। उनकी याचिका पर अगली सुनवाई 24 जनवरी को होनी है। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि जब तक अदालत इस मामले में कोई फैसला नहीं सुना देती, तब तक पीएम की ओर से दरगाह पर चादर चढ़ाने का कार्यक्रम रोक देना चाहिए।
अजमेर शरीफ का महत्व और प्रधानमंत्री की परंपरा
अजमेर शरीफ दरगाह (Ajmer Sharif Dargah) ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का पवित्र स्थल है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। यहां ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (Khwaja Moinuddin Chishti) का सालाना उर्स मनाया जाता है, जो इस साल 28 दिसंबर से शुरू हुआ है।
प्रधानमंत्री मोदी की ओर से चादर भेजने की परंपरा पिछले कई वर्षों से जारी है। पिछली बार उनकी ओर से भेजी गई चादर का रंग भगवा था, जिसे बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी (Jamal Siddiqui) ने चढ़ाया था। इससे पहले तब के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी (Mukhtar Abbas Naqvi) इस कार्य को अंजाम देते थे। इस साल प्रधानमंत्री की ओर से भेजी गई चादर को चढ़ाने का दायित्व केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) को सौंपा गया है। वह न केवल चादर चढ़ाएंगे, बल्कि दरगाह की आधिकारिक वेबसाइट और गरीब नवाज ऐप (Gareeb Nawaz App) का भी शुभारंभ करेंगे।
हिंदू सेना की मांगें
विष्णु गुप्ता ने अपने पत्र में कहा है कि अजमेर शरीफ परिसर को मंदिर के रूप में साबित करने के लिए उनके पास ऐतिहासिक और पुरातात्विक प्रमाण हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने कोर्ट से वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग की है ताकि सच्चाई सामने आ सके।
क्या कहते हैं जानकार?
इस मुद्दे पर जानकारों का मानना है कि अजमेर शरीफ दरगाह (Ajmer Sharif Dargah) केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व का प्रतीक है। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को “गरीब नवाज” के नाम से जाना जाता है, और उनके प्रति श्रद्धा सभी धर्मों के लोगों में देखी जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से चादर चढ़ाने की यह परंपरा सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक मानी जाती है। हालांकि, हिंदू सेना (Hindu Sena) के विरोध और अदालत में लंबित मामले ने इस परंपरा को लेकर बहस को जन्म दिया है। अब देखना होगा कि इस मामले में सरकार और अदालत का अगला कदम क्या होगा।
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