Arvind kejriwal का बड़ा ऐलान: 2 दिन में देंगे इस्तीफा, पार्टी में नया CM चुना जाएगा, जनता करेगी फैसला
Arvind kejriwal का बड़ा ऐलान : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि वह 2 दिन में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे। यह ऐलान उन्होंने आम आदमी पार्टी के दफ्तर में एक सभा के दौरान किया। उन्होंने कहा कि उन पर भाजपा ने बेईमानी और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं, लेकिन इनका फैसला अब जनता की अदालत में होगा। केजरीवाल ने यह भी कहा कि वह विधायकों की बैठक में नया मुख्यमंत्री चुनेंगे और चुनाव तक वह मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे।
केजरीवाल के इस फैसले ने राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने आगे कहा कि मनीष सिसोदिया पर भी वही आरोप लगाए गए हैं, जो उन पर लगे हैं। मनीष सिसोदिया ने भी इसी प्रकार की सोच जताते हुए कहा है कि वह भी चुनाव जीतने के बाद ही किसी पद को संभालेंगे।
इस्तीफे के बाद आगे क्या?
मुख्यमंत्री कौन बनेगा: केजरीवाल के इस्तीफे के बाद पार्टी में यह सवाल उठ रहा है कि अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा? इस पर केजरीवाल ने कहा कि यह जनता को तय करना है कि वह ईमानदार हैं या बेईमान। उन्होंने कहा कि अगर चुनाव के बाद जनता उन्हें चुनेगी, तभी वह वापस मुख्यमंत्री पद पर बैठेंगे। पार्टी की तरफ से 2-3 दिन में नया मुख्यमंत्री चुना जाएगा। संभावित नामों में आतिशी, कैलाश गहलोत, गोपाल राय, सौरभ भारद्वाज और सुनीता केजरीवाल शामिल हो सकते हैं।
केजरीवाल का अगला कदम
इस्तीफे के बाद केजरीवाल क्या करेंगे: केजरीवाल ने यह स्पष्ट किया है कि केंद्र सरकार ने कानूनों के जरिए उनकी पावर छीन ली है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति का अब कोई मायने नहीं है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में ईमानदारी कमाई है। इसके अलावा, वह लोगों के बीच जाकर चुनाव प्रचार करेंगे और लोगों से अपील करेंगे कि वे जमकर वोट करें।
भगत सिंह की किताब लेकर पहुंचे
केजरीवाल सभा में भगत सिंह की जेल में लिखी “भगत सिंह की जेल डायरी” लेकर पहुंचे। उन्होंने कहा कि भगत सिंह के खत अंग्रेज जेल से बाहर भेज देते थे, लेकिन उनकी चिट्ठी एलजी तक नहीं पहुंचाई गई। उन्होंने कहा कि उन्हें धमकाया गया कि वह ऐसा दोबारा ना करें।
खुद को क्रांतिकारी मुख्यमंत्री बताया
केजरीवाल ने खुद की तुलना भगत सिंह से करते हुए कहा कि 90-95 साल बाद एक क्रांतिकारी मुख्यमंत्री जेल गया है। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने 15 अगस्त से 3 दिन पहले एलजी से अनुरोध किया था कि उनकी जगह आतिशी को तिरंगा फहराने दिया जाए, लेकिन यह चिट्ठी एलजी तक नहीं पहुंचाई गई।
रामायण से तुलना
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने खुद की स्थिति की तुलना माता सीता से करते हुए कहा कि जब भगवान राम वनवास से लौटे थे, तब माता सीता को अग्निपरीक्षा देनी पड़ी थी। इसी प्रकार, उन्हें भी अब अपनी ईमानदारी की अग्निपरीक्षा देनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के आरोपों का फैसला जनता करेगी।
गैर-भाजपाई CM के लिए संदेश
केजरीवाल ने सभी गैर-भाजपाई मुख्यमंत्रियों से अपील की कि अगर प्रधानमंत्री उन्हें जेल भेजते हैं, तो वह इस्तीफा ना दें। उन्होंने कहा कि यह एक लड़ाई है, जिसे मिलकर लड़ना होगा।
दिल्ली विधानसभा चुनाव
केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव फरवरी में होने वाले हैं, लेकिन उन्होंने मांग की है कि चुनाव नवंबर में कराए जाएं ताकि यह महाराष्ट्र के चुनाव के साथ हो सके। उन्होंने कहा कि चुनाव के नतीजे आने तक वह मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी नहीं संभालेंगे। उनकी जगह आम आदमी पार्टी का कोई अन्य नेता मुख्यमंत्री बनेगा।
शराब नीति केस में जेल
केजरीवाल ने अपने जेल जाने का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 21 मार्च को ED द्वारा गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उन्हें 1 अप्रैल को तिहाड़ जेल भेजा गया था। हालांकि, 10 मई को उन्हें लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए 21 दिन के लिए रिहा किया गया था। यह रिहाई उन्हें 51 दिन जेल में रहने के बाद मिली थी। इसके बाद 2 जून को उन्होंने फिर से तिहाड़ जेल में सरेंडर किया।
सुप्रीम कोर्ट से जमानत
शराब नीति मामले में भ्रष्टाचार से जुड़े आरोपों के चलते CBI ने 26 जून को उन्हें फिर से गिरफ्तार किया था। 13 सितंबर को उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली, और इस प्रकार वह 156 दिन तिहाड़ जेल में बिता चुके हैं।
क्या होगा केजरीवाल का भविष्य?
केजरीवाल के इस बड़े फैसले से उनके राजनीतिक भविष्य पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। उनका इस्तीफा पार्टी के लिए एक चुनौती बन सकता है। दिल्ली की राजनीति में यह घटनाक्रम आगामी चुनावों को काफी हद तक प्रभावित करेगा। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना केजरीवाल का एक बड़ा कदम है, लेकिन अब यह देखना होगा कि जनता उन्हें चुनाव के बाद फिर से इस पद पर बैठने का मौका देती है या नहीं।
इस पूरी घटनाक्रम के बीच आम आदमी पार्टी के लिए यह समय बेहद महत्वपूर्ण है। नई दिल्ली की जनता अब यह तय करेगी कि वह अरविंद केजरीवाल को वापस मुख्यमंत्री पद पर देखना चाहती है या नहीं।
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