क्यों नहीं जाते अविवाहित प्रेमी जोड़े जगन्नाथ मंदिर दर्शन के लिए, रहस्य बनी है यह कहानी

क्यों नहीं जाते अविवाहित प्रेमी जोड़े जगन्नाथ मंदिर दर्शन के लिए, रहस्य बनी है यह कहानी

Avivahit premi jagannath mandir kyun nhi jate | पुरी का जगन्नाथ मंदिर भारत के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है, जहाँ भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा, और भाई बलभद्र विराजमान हैं। इस मंदिर के दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है और भक्तों के पापों का नाश होता है। मंदिर की रसोई, जो कभी खाली नहीं होती, और यहाँ होने वाले चमत्कार इसे विश्व भर में प्रसिद्ध बनाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक प्रचलित मान्यता के अनुसार, अविवाहित प्रेमी जोड़े इस मंदिर में दर्शन के लिए नहीं जाते? इस मान्यता के पीछे राधा रानी से जुड़ी एक रहस्यमयी कथा है, जो आज भी लोगों के मन में कौतूहल पैदा करती है। आइए, इस कथा, इसके महत्व, और मंदिर से जुड़े अन्य रोचक तथ्यों को विस्तार से जानें। Avivahit premi jagannath mandir kyun nhi jate

जगन्नाथ मंदिर का आध्यात्मिक महत्व

पुरी, ओडिशा में स्थित जगन्नाथ मंदिर चार धामों में से एक है और इसे भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण के जगन्नाथ स्वरूप का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यहाँ भगवान जगन्नाथ के साथ उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र की मूर्तियाँ स्थापित हैं। इसके अतिरिक्त, रुकमणी जी की मूर्ति भी अलग से विराजमान है, जिससे यह माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण का पूरा परिवार यहाँ निवास करता है। Avivahit premi jagannath mandir kyun nhi jate

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर के दर्शन से भक्तों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। मंदिर की रसोई, जिसे महाप्रसाद के नाम से जाना जाता है, एक चमत्कार है। यहाँ रोज़ाना हज़ारों भक्तों के लिए भोजन तैयार होता है, और कभी भी अन्न की कमी नहीं होती। मंदिर की वार्षिक रथ यात्रा विश्व प्रसिद्ध है, जिसमें लाखों भक्त भाग लेते हैं। लेकिन इन सबके बीच एक ऐसी मान्यता है जो अविवाहित प्रेमी जोड़ों को इस मंदिर में दर्शन करने से रोकती है। Avivahit premi jagannath mandir kyun nhi jate

राधा रानी की प्रचलित कथा

जगन्नाथ मंदिर में अविवाहित प्रेमी जोड़ों के प्रवेश न करने की मान्यता के पीछे राधा रानी से जुड़ी एक पौराणिक कथा है। यह कथा पुरी में प्रचलित है और भक्तों के बीच पीढ़ियों से कही-सुनी जाती रही है।

कथा का प्रारंभ

प्राचीन काल में राधा रानी, जो भगवान श्रीकृष्ण की परम भक्त और प्रेमिका थीं, पुरी में जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने आईं। उस समय मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण अपने जगन्नाथ स्वरूप में विराजमान थे। राधा रानी ने मंदिर में प्रवेश करने की इच्छा जताई और भगवान के दर्शन करना चाहा। लेकिन मंदिर के पुजारी ने उन्हें मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया।

राधा रानी ने पुजारी से रोकने का कारण पूछा। पुजारी ने उत्तर दिया, “हे राधा! आप भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका हैं, लेकिन आपका विवाह उनसे नहीं हुआ है। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ अपने परिवार—सुभद्रा, बलभद्र, और रुकमणी जी—के साथ विराजमान हैं। इसलिए आपको मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा सकती।” Avivahit premi jagannath mandir kyun nhi jate

राधा रानी का क्रोध और श्राप

पुजारी के इस जवाब से राधा रानी अत्यंत क्रोधित और दुखी हो गईं। उनकी भक्ति और प्रेम को ठेस पहुँची। उन्होंने भारी मन से मंदिर के द्वार से ही लौटने का निर्णय लिया, लेकिन जाने से पहले उन्होंनेमंदिर को एक श्राप दे दिया। राधा रानी ने कहा, “जो भी अविवाहित प्रेमी जोड़ा इस मंदिर में दर्शन के लिए आएगा, उनका प्रेम कभी सफल नहीं होगा। वे जीवनभर एक-दूसरे का साथ और प्यार नहीं पा सकेंगे।”

इसके बाद राधा रानी मंदिर में प्रवेश किए बिना ही वापस लौट गईं। उनकी यह कथा पुरी में धीरे-धीरे प्रचलित हो गई और भक्तों के बीच फैल गई।

अविवाहित जोड़ों का डर

राधा रानी के इस श्राप की कथा के कारण अविवाहित प्रेमी जोड़े जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने से हिचकिचाते हैं। वे मानते हैं कि यदि वे मंदिर में दर्शन करेंगे, तो उनका प्रेमअसफल हो सकता है, और उन्हें अपने प्रियजन से अलग होना पड़ सकता है। यही कारण है कि आज भी कई प्रेमीजोड़े इस मंदिर में दर्शन के लिए नहीं जाते।

कथा की सत्यता और मान्यता

यह कथा पुरी में प्रचलित है, लेकिन इसका कोई ऐतिहासिक या पुराणों में स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता। न ही जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने कभी अविवाहित जोड़ों के प्रवेश पर कोई आधिकारिक प्रतिबंध लगाया है। फिर भी, यह मान्यता भक्तों के बीच इतनी गहरी है कि कई लोग इसे सच मानते हैं और इसका पालन करते हैं।

कुछ विद्वानों का मानना है कि यह कथा संभवतः सामाजिक और नैतिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए बनाई गई होगी। प्राचीन काल में विवाह को एक पवित्र बंधन माना जाता था, और अविवाहित जोड़ों के बीच प्रेम को सामाजिक रूप से स्वीकार नहीं किया जाता था। इस कथा के माध्यम से शायद यह संदेश देने की कोशिश की गई कि प्रेम को विवाह के बंधन में बाँधना चाहिए।

जगन्नाथ मंदिर के अन्य चमत्कार और विशेषताएँ

जगन्नाथ मंदिर केवल इस कथा के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी कई चमत्कारी और अनोखी विशेषताओं के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ कुछ रोचक तथ्य दिए गए हैं:

  1. रसोई का चमत्कार: मंदिर की रसोई में तैयार होने वाला महाप्रसाद कभी कम नहीं पड़ता। यहाँ सात मिट्टी के बर्तनों में भोजन बनाया जाता है, जो एक के ऊपर एक रखे जाते हैं, लेकिन सबसे ऊपर का बर्तन पहले पकता है।

  2. ध्वज का रहस्य: मंदिर के शिखर पर लगने वाला ध्वज हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है, जो एक वैज्ञानिक रहस्य है।

  3. समुद्र की ध्वनि: मंदिर के मुख्य द्वार पर कदम रखते ही समुद्र की लहरों की आवाज़ सुनाई देना बंद हो जाती है, और बाहर निकलते ही फिर सुनाई देती है।

  4. रथ यात्रा: हर साल होने वाली रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा, और बलभद्र को विशाल रथों में विराजमान कर नगर भ्रमण कराया जाता है। यह यात्रा विश्व भर में प्रसिद्ध है।

  5. मूर्तियों का निर्माण: मंदिर की मूर्तियाँ नीम की लकड़ी से बनाई जाती हैं और हर 12 या 19 वर्षों में नवकलेवर उत्सव में इन्हें बदला जाता है।

क्या करें अविवाहित जोड़े?

यदि आप एक अविवाहित प्रेमी जोड़े हैं और जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करना चाहते हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रख सकते हैं:

  • श्रद्धा और विश्वास: यदि आप इस कथा पर विश्वास नहीं करते, तो मंदिर प्रशासन द्वारा कोई औपचारिक प्रतिबंध नहीं है। आप अपनी श्रद्धा के साथ दर्शन कर सकते हैं।

  • विवाह का संकल्प: कुछ जोड़े मंदिर में दर्शन के दौरान अपने प्रेम को विवाह के बंधन में बाँधने का संकल्प लेते हैं, ताकि राधा रानी का श्राप उन पर लागू न हो।

  • परामर्श: यदि आप इस मान्यता को लेकर दुविधा में हैं, तो किसी विद्वान या पुरोहित से सलाह लें।

जगन्नाथ मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, भक्ति, और रहस्यों का प्रतीक भी है। राधा रानी की कथा और अविवाहित जोड़ों की मान्यता इस मंदिर के रहस्यमयी आकर्षण को और बढ़ाती है। भले ही इस कथा की ऐतिहासिक सत्यता की पुष्टि न हो, यह भक्तों के मन में गहरी आस्था और विश्वास पैदा करती है। Avivahit premi jagannath mandir kyun nhi jate

जगन्नाथ मंदिर हर भक्त के लिए खुला है, और यहाँ के दर्शन से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि मन को शांति और आत्मा को सुकून मिलता है। यदि आप इस मंदिर में दर्शन करने की योजना बना रहे हैं, तो अपनी श्रद्धा और विश्वास के साथ आएँ, और भगवान जगन्नाथ की कृपा प्राप्त करें। Avivahit premi jagannath mandir kyun nhi jate


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