20 अक्टूबर को दीपावली, जानिए देवी लक्ष्मी की कैसी तस्वीर की पूजा करनी चाहिए?
Best Lakshmi ji Photo for Diwali Puja | आज धनतेरस के पावन अवसर पर दीपोत्सव की भव्य शुरुआत हो चुकी है। कार्तिक मास की अमावस्या पर मनाया जाने वाला यह पांच दिवसीय उत्सव सुख, समृद्धि और विजय का प्रतीक है। इस वर्ष धनतेरस (18 अक्टूबर), नरक चतुर्दशी (19 अक्टूबर) और मुख्य दीपावली (20 अक्टूबर) के साथ चित्रा पूजा (21 अक्टूबर) तथा भाई दूज (22 अक्टूबर) तक यह श्रृंखला चलेगी। दीपोत्सव के दौरान घर-घर दीप जलाने, स्वच्छता और लक्ष्मी पूजन की परंपरा निभाई जाती है, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मकता का संचार करती है। विशेष रूप से दीपावली की रात माता लक्ष्मी की पूजा का महत्व असीम है, क्योंकि वे धन, वैभव और कल्याण की देवी हैं। लेकिन सवाल यह है कि पूजा के लिए देवी लक्ष्मी की कौन सी तस्वीर या प्रतिमा सबसे उपयुक्त मानी जाती है? आइए विस्तार से जानते हैं इसकी ज्योतिषीय और धार्मिक मान्यताओं के आधार पर।
दीपोत्सव 2025: पांच दिवसीय उत्सव की पूरी रूपरेखा
दीपोत्सव हिंदू धर्म का सबसे प्रिय त्यौहार है, जो भगवान राम की अयोध्या वापसी, राक्षस नरकासुर पर कृष्ण की विजय और माता लक्ष्मी के प्रकटीकरण की कथाओं से जुड़ा है। इस वर्ष का कैलेंडर इस प्रकार है:
- धनतेरस (18 अक्टूबर, शनिवार): आज का दिन धन के आराध्य भगवान धन्वंतरि और कुबेर की पूजा के लिए समर्पित है। सोना-चांदी, बर्तन या वाहन खरीदने का शुभ मुहूर्त है। शाम 6:30 से 8:00 बजे तक पूजा का समय रहेगा।
- नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली (19 अक्टूबर, रविवार): नरकासुर वध की स्मृति में तिलक लगाकर दीप जलाएं। यह दिन आत्म-शुद्धि और नकारात्मकता दूर करने का है।
- मुख्य दीपावली (20 अक्टूबर, सोमवार): अमावस्या की काली रात में अनगिनत दीप जलाकर लक्ष्मी-गणेश पूजन करें। यह धन वर्षा का प्रतीक है। पूजा मुहूर्त: प्रातःकालीन 6:15 से 8:45 बजे या सायंकालीन 6:45 से 8:30 बजे (स्थानानुसार पंचांग देखें)।
- अन्नकूट या गोवर्धन पूजा (21 अक्टूबर, मंगलवार): भगवान कृष्ण को गोवर्धन पर्वत की पूजा। 56 या 108 व्यंजनों का प्रसाद चढ़ाएं।
- भाई दूज (22 अक्टूबर, बुधवार): बहनों द्वारा भाइयों की रक्षा के लिए तिलक लगाएं। यम द्वितीया के रूप में जाना जाता है।
इस उत्सव में स्वच्छता, दान-पुण्य और पारिवारिक एकता पर जोर दिया जाता है। ज्योतिषीय दृष्टि से, इस वर्ष चंद्रमा का गोचर और गुरु का प्रभाव समृद्धि के मजबूत योग बना रहा है।
देवी लक्ष्मी की पूजा: महत्व और सामान्य विधि
माता लक्ष्मी विष्णु जी की अर्धांगिनी हैं, जो धन, सौभाग्य और ऐश्वर्य प्रदान करती हैं। दीपावली पर उनकी पूजा से वर्ष भर आर्थिक स्थिरता मिलती है। पूजा की सामान्य विधि इस प्रकार है:
- स्थान तैयार करें: घर को लीप-पोतकर साफ करें। पूजा स्थल उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में बनाएं, जो लक्ष्मी का प्रिय कोण है।
- सामग्री: कमल का फूल, लाल चंदन, धूप-दीप, फल-मिठाई, सिक्के, कौड़ी, श्रीयंत्र और लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति या चित्र।
- समय: सायंकाल अमावस्या तिथि में, जब प्रदीप मुहूर्त हो।
- विधि: गणेश पूजन से शुरू करें, फिर लक्ष्मी को आमंत्रित करें। आरती के बाद दीप जलाकर घर का निरिक्षण करें।
लेकिन पूजा का फल तभी पूर्ण होता है जब लक्ष्मी जी की सही प्रतिमा या तस्वीर का चयन किया जाए। गलत चित्र से पूजा अपूर्ण मानी जाती है।
देवी लक्ष्मी की कौन सी तस्वीर पूजा के लिए उपयुक्त है?
ज्योतिष शास्त्र और पुराणों के अनुसार, माता लक्ष्मी की पूजा के लिए उनकी समृद्धि रूप वाली तस्वीर या मूर्ति सबसे शुभ मानी जाती है। वेदों में उन्हें ‘पद्मालया’ (कमल पर विराजमान) कहा गया है। यहां विस्तार से जानिए आदर्श तस्वीर की विशेषताएं:
1. मुख्य रूप: कमलासन पर विराजमान लक्ष्मी
- वर्णन: देवी लक्ष्मी को गुलाबी या सफेद कमल के आसन पर बैठे या खड़े रूप में चित्रित किया जाना चाहिए। उनके चार भुजाएं हों—दोनों ऊपरी भुजाओं में कमल पुष्प, निचली दाहिनी भुजा में अमृत कलश या सोने के सिक्के बरसाते अभय मुद्रा, और बायीं में वरद मुद्रा।
- रंग: सुनहरी या लाल वस्त्र धारण, चेहरा शांत और मुस्कुराता हुआ। सिर पर मुकुट, गले में हार और कानों में कुण्डल।
- क्यों शुभ? कमल धन और शुद्धता का प्रतीक है। यह रूप विष्णु सहस्रनाम में वर्णित ‘श्री’ स्वरूप है, जो घर में वैभव लाता है।
2. सहायक तत्व: गजलक्ष्मी या अष्टलक्ष्मी रूप
- गजलक्ष्मी रूप: तस्वीर में लक्ष्मी जी को दो सफेद हाथी (गज) नहलाते हुए दिखाएं, जो जल की धारा से उन्हें स्नान करा रहे हों। यह ‘गज लक्ष्मी’ रूप धन वर्षा का प्रतीक है। पुराणों में कहा गया है कि हाथी कुबेर के वाहन हैं, इसलिए यह रूप आर्थिक उन्नति के लिए सर्वोत्तम।
- अष्टलक्ष्मी रूप (वैकल्पिक): यदि स्थान अधिक हो, तो आठ लक्ष्मी रूपों वाली तस्वीर चुनें—आदि लक्ष्मी, धन लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी आदि। लेकिन मुख्य पूजा के लिए गजलक्ष्मी ही पर्याप्त।
- आकार और सामग्री: चांदी या सोने की मूर्ति आदर्श, लेकिन कागज/कैनवास की हाई-क्वालिटी प्रिंट भी ठीक। आकार 12-18 इंच का हो, ताकि पूजा आसान हो।
3. वर्जित तस्वीरें
- अकेली लक्ष्मी (बिना गणेश या विष्णु के)—यह असंतुलित मानी जाती है।
- क्रोधपूर्ण या युद्धरत रूप—दीपावली पर शांतिदायक रूप ही चुनें।
- पुरानी या क्षतिग्रस्त तस्वीर—नई और चमकदार होनी चाहिए।
ज्योतिषियों के अनुसार, ऐसी तस्वीर पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर मुख करके स्थापित करें। इससे कुबेर की कृपा प्राप्त होती है।
अतिरिक्त टिप्स: पूजा को और प्रभावी कैसे बनाएं?
- मंत्र जाप: “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः” का 108 बार जाप करें।
- उपाय: पूजा के बाद कौड़ी और सुपारी की पोटली तिजोरी में रखें। नमक का घोल छिड़ककर घर शुद्ध करें।
- आधुनिक टच: यदि मूर्ति न हो, तो डिजिटल फ्रेम में एनिमेटेड लक्ष्मी चित्र उपयोग करें, लेकिन पारंपरिक श्रद्धा बनाए रखें।
- मुहूर्त 2025: दीपावली पूजा के लिए प्रहार मुहूर्त 6:45-7:30 PM IST (नई दिल्ली के अनुसार)।
दीपोत्सव न केवल उत्सव है, बल्कि जीवन में प्रकाश का संदेश है। इन उपायों से आपका घर लक्ष्मी निवास बनेगा।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी ज्योतिषीय ग्रंथों और सामान्यमान्यताओं पर आधारित है। व्यक्तिगतपूजा के लिए स्थानीय पंडित से सलाह लें। शुभ दीपोत्सव!
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।