Bhadrapada Maas 2024 : भादव मास की शुरुआत: जानिए, क्या है इस पवित्र मास का महत्व और कौन से त्योहार मनाए जाएंगे
उज्जैन। 20 अगस्त से भाद्रपद मास (Bhadrapada Maas 2024) की शुरुआत हो रही है, जिसे सामान्यतः भादव मास के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पंचांग (Hindu Calendar) के अनुसार, यह महीना सावन (Shravan) के बाद आता है और धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। भाद्रपद मास में कई महत्वपूर्ण त्योहार और व्रत आते हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना विशेष महत्व है।
भाद्रपद मास का महत्व
भाद्रपद मास हिंदू धर्म में पवित्रता और धार्मिक अनुष्ठानों का महीना माना जाता है। इस मास का नाम ‘भाद्रपद’ नक्षत्र (Bhadrapada Nakshatra) के आधार पर रखा गया है, जो इस अवधि के दौरान चंद्रमा की स्थिति को दर्शाता है। इस महीने में धार्मिक उत्साह अपने चरम पर होता है और भक्तगण विशेष पूजा-पाठ और व्रत रखते हैं।
भाद्रपद मास में की गई पूजा और व्रत का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस मास में भगवान विष्णु (Vishnu) और भगवान गणेश (Ganesh) की आराधना करने से सभी पापों का नाश होता है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस मास में दान (Donation) और पुण्य (Virtue) करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है।
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भाद्रपद मास के प्रमुख त्योहार और व्रत
इस पवित्र मास के दौरान कई महत्वपूर्ण त्योहार और व्रत आते हैं। आइए, जानिए क्या हैं भाद्रपद मास के प्रमुख पर्व और उनका धार्मिक महत्व:
1. कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami)
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष (Krishna Paksha) की अष्टमी तिथि (Ashtami Tithi) को भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दिन भक्तगण व्रत रखते हैं और आधी रात को भगवान कृष्ण का जन्म उत्सव मनाते हैं। इस पर्व का विशेष महत्व है क्योंकि भगवान कृष्ण को विष्णु के आठवें अवतार के रूप में पूजा जाता है। भक्तगण इस दिन व्रत रखकर और रात्रि जागरण करके भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करते हैं।
2. गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi)
भाद्रपद शुक्ल पक्ष (Shukla Paksha) की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। यह पर्व दस दिनों तक चलता है और भक्त भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं और विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं। गणेश चतुर्थी के दौरान भगवान गणेश को मोदक (Modak) और लड्डू (Ladoo) का भोग लगाया जाता है। यह पर्व अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) तक चलता है, जिस दिन गणेश विसर्जन (Ganesh Visarjan) किया जाता है।
3. हरतालिका तीज (Hartalika Teej)
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि (Tritiya Tithi) को हरतालिका तीज मनाई जाती है। यह व्रत खासतौर पर विवाहित महिलाएं (Married Women) रखती हैं, जो अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए भगवान शिव (Shiva) और माता पार्वती (Parvati) की पूजा करती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत (Nirjala Vrat) रखती हैं और रात्रि में भगवान शिव की कथा का पाठ करती हैं।
4. अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi)
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप (Infinite Form) की पूजा की जाती है और इस व्रत को करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है। इस दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है, जिससे गणपति बप्पा मोरया के जयकारों के साथ भक्तगण उन्हें विदा करते हैं।
भाद्रपद मास का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
भाद्रपद मास न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इस मास के दौरान प्रकृति का सौंदर्य भी अपने चरम पर होता है। वर्षा ऋतु (Monsoon Season) के दौरान यह समय हरियाली और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर होता है, जो भक्तों को धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-पाठ के लिए प्रेरित करता है।
भाद्रपद मास के दौरान मंदिरों (Temples) में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होता है। भक्तगण इस महीने में व्रत और दान-पुण्य का विशेष ध्यान रखते हैं, क्योंकि इसे वर्ष के सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है।
आज से शुरू हो रहे भाद्रपद मास में धार्मिकता और श्रद्धा की गूंज सुनाई देती है। इस पवित्र मास में भगवान गणेश और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। इस महीने के दौरान मनाए जाने वाले त्योहार और व्रत भारतीय संस्कृति और धार्मिकता का प्रतीक हैं। इस महीने की धार्मिक गतिविधियों में भाग लेकर व्यक्ति अपने जीवन को सुख और समृद्धि से भर सकता है।
भक्तगण भाद्रपद मास की शुरुआत के साथ ही उत्साहपूर्वक अपने धार्मिक अनुष्ठानों में जुट जाएंगे और इस पवित्र मास का पूर्ण लाभ उठाएंगे।
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