BJP अध्यक्ष पद का चुनाव फिर लटका: RSS की सहमति न मिलने से संगठनात्मक गतिरोध, उपराष्ट्रपति चुनाव भी बनी बड़ी वजह

BJP अध्यक्ष पद का चुनाव फिर लटका: RSS की सहमति न मिलने से संगठनात्मक गतिरोध, उपराष्ट्रपति चुनाव भी बनी बड़ी वजह

BJP president election delay | भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया एक बार फिर से अनिश्चितता के दौर में फंस गई है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अप्रत्याशित इस्तीफे ने पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को प्रभावित किया है, जिसके चलते राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर तैयारियां ठप हो गई हैं। इसके साथ ही, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की ओर से अभी तक किसी उम्मीदवार पर सहमति न मिलने के कारण भी यह प्रक्रिया और जटिल हो गई है। RSS एक मजबूत संगठनात्मक नेता की मांग कर रहा है, जो पार्टी को नई दिशा और ऊर्जा दे सके। BJP president election delay

संसद के मानसून सत्र 2025 के पहले दिन, यानी 21 जुलाई को, जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया। इस इस्तीफे ने न केवल बीजेपी के सामने एक नई चुनौती खड़ी की है, बल्कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को भी अनिश्चित काल के लिए टाल दिया है। अब पार्टी का सारा ध्यान नए उपराष्ट्रपति के चुनाव पर केंद्रित हो गया है, जिसके लिए जल्द ही चुनाव आयोग को औपचारिक अधिसूचना जारी करनी होगी। इस बीच, उत्तर प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक जैसे प्रमुख राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव भी लंबित हैं, जो राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए आवश्यक हैं। BJP president election delay

बीजेपी के सामने दोहरी चुनौती: उपराष्ट्रपति और अध्यक्ष का चुनाव

बीजेपी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तब तक संभव नहीं है, जब तक देश के कम से कम आधे राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव पूरा न हो जाए। वर्तमान में, उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और कुछ अन्य राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव अभी बाकी हैं। इन राज्यों में संगठनात्मक प्रक्रिया को पूरा करने में समय लगेगा, और इसके बाद ही राष्ट्रीय स्तर पर इलेक्टोरल कॉलेज बन पाएगा। जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने इस प्रक्रिया को और जटिल बना दिया है, क्योंकि पार्टी को अब उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार चुनने की प्राथमिकता देनी होगी।

इसके अलावा, बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव भी बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। इन चुनावों की तैयारियों के चलते संगठनात्मक चुनावों पर ध्यान देना मुश्किल हो रहा है। पार्टी कार्यकर्ता लंबे समय से नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में यह प्रक्रिया सितंबर 2025 तक या उससे भी आगे खिंच सकती है।

RSS की भूमिका और मजबूत नेता की मांग

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, RSS ने अभी तक किसी भी उम्मीदवार को अपनी मंजूरी नहीं दी है। बीजेपी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव जैसे नामों का प्रस्ताव RSS के सामने रखा था, लेकिन संघ ने इन पर सहमति नहीं जताई। RSS का मानना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में एक ऐसा नेता होना चाहिए, जो संगठन को मजबूत करने के साथ-साथ वैचारिक दृष्टिकोण से भी दृढ़ हो।

RSS और बीजेपी के बीच इस मुद्दे पर कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हो सका है। सूत्रों के अनुसार, RSS चाहता है कि नया अध्यक्ष न केवल पार्टी के भीतर एकता बनाए रखे, बल्कि कार्यकर्ताओं को भी नई ऊर्जा दे। इस बीच, कुछ अन्य नाम जैसे शिवराज सिंह चौहान और मनोहर लाल खट्टर भी चर्चा में हैं, जो अपने संगठनात्मक अनुभव और सामाजिक संतुलन की क्षमता के लिए जाने जाते हैं।

बीजेपी अध्यक्ष का चुनाव कैसे होता है?

बीजेपी के संविधान की धारा-19 के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव राष्ट्रीय परिषद और प्रदेश परिषदों के सदस्यों से बने इलेक्टोरल कॉलेज द्वारा किया जाता है। इस प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल हैं:

  1. उम्मीदवार की योग्यता: अध्यक्ष पद के उम्मीदवार को कम से कम 15 साल तक पार्टी का प्राथमिक सदस्य होना अनिवार्य है।

  2. प्रस्तावक: इलेक्टोरल कॉलेज के कम से कम 20 सदस्यों को उम्मीदवार के प्रस्तावक के रूप में समर्थन देना होता है। ये प्रस्तावक कम से कम 5 ऐसे राज्यों से होने चाहिए, जहां राष्ट्रीय परिषद के चुनाव पूरे हो चुके हों।

  3. नॉमिनेशन और वोटिंग: उम्मीदवार को नॉमिनेशन फॉर्म भरना होता है, जिस पर उनके दस्तखत अनिवार्य हैं। इसके बाद, इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्य गुप्त मतदान के जरिए वोटिंग करते हैं।

  4. काउंटिंग: वोटिंग के बाद बैलेट बॉक्स को दिल्ली लाया जाता है, जहां मतों की गिनती होती है।

बीजेपी के संविधान की धारा-20 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति अधिकतम दो कार्यकाल, यानी कुल 6 साल तक राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर रह सकता है।

चर्चा में कौन-कौन से नाम?

राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए कई नेताओं के नाम चर्चा में हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • धर्मेंद्र प्रधान: केंद्रीय शिक्षा मंत्री, जिन्हें संगठनात्मक अनुभव और ओडिशा में पार्टी को मजबूत करने का श्रेय दिया जाता है।

  • भूपेंद्र यादव: पर्यावरण मंत्री, जो राजस्थान से हैं और सामाजिक संतुलन के लिए उपयुक्त माने जा रहे हैं।

  • शिवराज सिंह चौहान: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, जिनका संगठनात्मक कौशल और जनाधार मजबूत है।

  • मनोहर लाल खट्टर: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री, जो अपनी साफ छवि और प्रशासनिक क्षमता के लिए जाने जाते हैं।

हालांकि, इनमें से किसी भी नाम पर अभी तक अंतिम सहमति नहीं बन पाई है। RSS और बीजेपी के बीच चल रही चर्चाएं इस प्रक्रिया को और लंबा खींच सकती हैं।

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे का असर

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने न केवल बीजेपी की संगठनात्मक प्रक्रिया को प्रभावित किया है, बल्कि पार्टी के सामने नए उपराष्ट्रपति के चयन की चुनौती भी खड़ी कर दी है। सूत्रों के अनुसार, धनखड़ का इस्तीफा स्वास्थ्य कारणों से नहीं, बल्कि सरकार के साथ मतभेदों के कारण हुआ। खासकर, इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार करने के उनके फैसले ने सरकार को नाराज किया था। इस घटना ने बीजेपी के भीतर और RSS के साथ तनाव को बढ़ा दिया है।

अब बीजेपी और NDA को उपराष्ट्रपति पद के लिए एक ऐसे उम्मीदवार की तलाश है, जो न केवल सरकार के साथ तालमेल रखे, बल्कि संसद के उच्च सदन की कार्यवाही को भी प्रभावी ढंग से संचालित कर सके। इस बीच, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा जैसे नाम भी चर्चा में हैं, लेकिन बीजेपी अपने किसी मजबूत नेता को इस पद पर लाने की कोशिश में है।

भविष्य की राह और चुनौतियां

बीजेपी के सामने इस समय दोहरी चुनौती है: एक ओर संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर नेतृत्व का चयन, और दूसरी ओर उपराष्ट्रपति पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार की तलाश। बिहार विधानसभा चुनाव और अन्य राज्यों में होने वाली राजनीतिक गतिविधियां भी इस प्रक्रिया को प्रभावित कर रही हैं। RSS की सहमति के बिना राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव मुश्किल है, और धनखड़ के इस्तीफे ने इस प्रक्रिया को और जटिल बना दिया है।

पार्टी कार्यकर्ताओं में इस देरी को लेकर बेचैनी बढ़ रही है, क्योंकि मजबूत नेतृत्व की अनुपस्थिति संगठन की गतिशीलता को प्रभावित कर सकती है। आने वाले महीनों में बीजेपी और RSS के बीच होने वाली बैठकों के नतीजे इस बात को तय करेंगे कि पार्टी का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा और उपराष्ट्रपति पद पर कौन बैठेगा। फिलहाल, यह स्पष्ट है कि बीजेपी के सामने संगठनात्मक और राजनीतिक चुनौतियों का एक लंबा दौर इंतजार कर रहा है।

FAQ: बीजेपी अध्यक्ष और उपराष्ट्रपति चुनाव से जुड़े सवाल-जवाब

  1. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कौन करता है?
    राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव राष्ट्रीय परिषद और प्रदेश परिषदों के सदस्यों से बने इलेक्टोरल कॉलेज द्वारा किया जाता है।

  2. अध्यक्ष बनने के लिए क्या योग्यताएं जरूरी हैं?
    उम्मीदवार को कम से कम 15 साल तक पार्टी का प्राथमिक सदस्य होना चाहिए। इलेक्टोरल कॉलेज के 20 सदस्यों का समर्थन और कम से कम 5 राज्यों से प्रस्ताव जरूरी हैं।

  3. राष्ट्रीय अध्यक्ष कितने समय तक पद पर रह सकता है?
    बीजेपी के संविधान के अनुसार, कोई भी व्यक्ति अधिकतम दो कार्यकाल (3-3 साल), यानी कुल 6 साल तक अध्यक्ष रह सकता है।

  4. उपराष्ट्रपति के इस्तीफे ने बीजेपी अध्यक्ष चुनाव को कैसे प्रभावित किया?
    जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने पार्टी का ध्यान उपराष्ट्रपति के चुनाव की ओर मोड़ दिया है, जिसके कारण राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव अनिश्चित काल के लिए टल गया है।

  5. RSS की क्या भूमिका है?
    RSS की सहमति बीजेपी अध्यक्ष के चयन में महत्वपूर्ण मानी जाती है। संघ एक मजबूत संगठनात्मक नेता चाहता है, जिसके कारण अभी तक किसी उम्मीदवार पर सहमति नहीं बन पाई है। BJP president election delay


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