Cannabis farming | हिमाचल में भांग की खेती पर सरकार का बड़ा फैसला: अर्थव्यवस्था के लिए होगा गेम चेंजर?
Cannabis farming | नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश [(Himachal Pradesh)] की राजनीति इन दिनों एक अहम मुद्दे पर गर्म है। राज्य सरकार भांग [(Cannabis)] की खेती को कानूनी रूप देने की योजना बना रही है। इस फैसले को औषधीय उपयोग [(Medicinal Use)] के तहत जायज ठहराने का दावा किया जा रहा है। राज्य के राजस्व मंत्री विक्रमादित्य सिंह [(Revenue Minister Vikramaditya Singh)] ने ऐलान किया है कि हिमाचल सरकार जल्द ही भांग की खेती को लीगल करने के लिए विधानसभा में एक बिल पेश करेगी। सरकार का मानना है कि इससे राज्य की अर्थव्यवस्था [(Economy)] को मजबूती मिलेगी, साथ ही राजस्व में भी वृद्धि होगी। [Cannabis Medicinal Use]
भांग की खेती को कानूनी रूप देने का प्रस्ताव
राज्य सरकार द्वारा गठित एक समिति ने भांग की खेती को कानूनी रूप देने के लिए विस्तृत अध्ययन किया है। इस समिति का गठन 26 अप्रैल, 2023 को राजस्व मंत्री की अध्यक्षता में किया गया था। समिति ने कांगड़ा, चंबा, मंडी, कुल्लू, सोलन और सिरमौर जिलों का दौरा किया और भांग की खेती के संभावित आर्थिक लाभों का आकलन किया। इसके अलावा, समिति ने उन राज्यों से भी संपर्क किया है, जहां भांग की खेती पहले से ही कानूनी है।
समिति द्वारा पेश किए गए प्रस्तावों के आधार पर सरकार ने निष्कर्ष निकाला है कि औषधीय और औद्योगिक उपयोग के लिए भांग की खेती राज्य के राजस्व [(Revenue)] में बढ़ोतरी कर सकती है। विक्रमादित्य सिंह ने कहा है कि इस फैसले से न केवल कृषि क्षेत्र को लाभ होगा, बल्कि राज्य की आबकारी नीति [(Excise Policy)] को भी मजबूती मिलेगी। यह बिल विधानसभा में प्रस्तुत होने से पहले सभी कानूनी पहलुओं पर विचार किया जाएगा, ताकि किसी भी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े।
आर्थिक संकट के बीच नई उम्मीद
हिमाचल प्रदेश हाल के दिनों में आर्थिक संकट [(Economic Crisis)] का सामना कर रहा है। राज्य सरकार के सामने कई वित्तीय चुनौतियां हैं, जिसमें राजस्व का स्थायी स्रोत खोजने की जरूरत भी शामिल है। विक्रमादित्य सिंह ने दावा किया है कि अगर भांग की खेती को कानूनी मान्यता दी जाती है, तो यह राज्य की आर्थिक स्थिति को सुधारने में मददगार साबित हो सकता है।
उन्होंने कहा, “हमारी अर्थव्यवस्था [(Economy)] के लिए यह एक गेम चेंजर [(Game Changer)] हो सकता है। हमें इस दिशा में गंभीरता से विचार करना चाहिए और छींटाकशी से बचना चाहिए।” विक्रमादित्य सिंह ने यह भी कहा कि सरकार राज्य के किसानों [(Farmers)] के हितों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला ले रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भांग की खेती से हिमाचल प्रदेश की बेरोजगारी दर में कमी आएगी और युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
भांग की खेती और भारत का कानूनी ढांचा
भारत में पिछले लगभग 40 वर्षों से भांग की खेती अवैध [(Illegal)] मानी जाती रही है। 1985 में भारत सरकार द्वारा नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटांसेज एक्ट [(NDPS Act)] के तहत भांग की खेती पर प्रतिबंध लगाया गया था। हालांकि, कई राज्यों में भांग की खेती अब भी गैरकानूनी तरीके से की जाती है।
हिमाचल प्रदेश की पिछली सरकारों ने भी भांग की खेती को कानूनी रूप देने की कोशिश की थी। 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर [(Jai Ram Thakur)] ने भी भांग की खेती को वैध करने की घोषणा की थी, लेकिन यह योजना कभी अमल में नहीं लाई जा सकी।
औषधीय और औद्योगिक उपयोग
भांग को अक्सर नशे के रूप में देखा जाता है, लेकिन इसके औषधीय गुणों [(Medicinal Properties)] को भी नकारा नहीं जा सकता। भांग की पत्तियों का उपयोग कई प्रकार की दवाओं में किया जाता है, विशेषकर आयुर्वेदिक चिकित्सा [(Ayurvedic Medicine)] में। भांग का उपयोग मतली, उल्टी, दर्द, और अन्य कई शारीरिक बीमारियों के इलाज में किया जाता है। इसके अलावा, यह इम्यूनिटी बूस्टर [(Immunity Booster)] के रूप में भी काम करता है, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
विज्ञान के क्षेत्र में भी भांग का औद्योगिक उपयोग [(Industrial Use)] महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे विभिन्न औद्योगिक उत्पादों जैसे कि कपड़ा [(Textiles)], कागज, इंधन और निर्माण सामग्री में उपयोग किया जाता है। यह पौधा पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है क्योंकि यह मिट्टी को उपजाऊ बनाता है और कम पानी की आवश्यकता होती है।
भांग की खेती से राजस्व वृद्धि की उम्मीद
हिमाचल प्रदेश की सरकार का दावा है कि भांग की खेती से राज्य को प्रति वर्ष लगभग 500 करोड़ रुपये का राजस्व [(Revenue Generation)] प्राप्त हो सकता है। इसके अलावा, इससे राज्य की टैक्स प्रणाली [(Tax System)] में भी सुधार होगा और राजस्व बढ़ाने के अन्य स्रोत विकसित किए जा सकते हैं।
समिति द्वारा तैयार किए गए रिपोर्ट के अनुसार, हिमाचल की जलवायु और भूगोल भांग की खेती के लिए अत्यधिक अनुकूल हैं। अगर सरकार इसे कानूनी रूप देती है, तो यह न केवल स्थानीय किसानों को लाभान्वित करेगा, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगा।
सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियां
हालांकि भांग की खेती को कानूनी बनाने के प्रस्ताव के साथ कई सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियां [(Social and Political Challenges)] भी हैं। भांग को नशे के रूप में इस्तेमाल किए जाने की प्रवृत्ति के कारण इस फैसले का विरोध हो सकता है।
विपक्षी दलों और समाज के कुछ हिस्सों का मानना है कि इससे युवाओं में नशे की लत बढ़ सकती है, जिससे सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। हालांकि, सरकार का दावा है कि यह कदम पूरी तरह से औषधीय और औद्योगिक उपयोग के तहत उठाया जा रहा है, और इसके उपयोग पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी।
हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती को कानूनी रूप देने का प्रस्ताव राज्य की आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। अगर इसे उचित तरीके से लागू किया जाता है, तो यह राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर सकता है। हालांकि, इस निर्णय के साथ आने वाली चुनौतियों को भी ध्यान में रखना आवश्यक होगा।
सरकार का यह कदम हिमाचल प्रदेश के लिए एक नई दिशा तय कर सकता है, लेकिन इसके साथ सामाजिक और राजनीतिक विपक्ष का भी सामना करना पड़ेगा।
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