CBSE ने स्कूलों के लिए नया नियम जारी किया: सेक्शंस की संख्या अब कार्पेट एरिया पर निर्भर

CBSE ने स्कूलों के लिए नया नियम जारी किया: सेक्शंस की संख्या अब कार्पेट एरिया पर निर्भर

CBSE New Rules | केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने स्कूलों में कक्षाओं के सेक्शंस की अधिकतम संख्या और बुनियादी ढांचे को लेकर एक महत्वपूर्ण अधिसूचना जारी की है। 31 जुलाई 2025 को जारी इस सर्कुलर के अनुसार, अब स्कूलों को उनके भवन के कुल निर्मित कार्पेट एरिया के आधार पर सेक्शंस संचालित करने की अनुमति होगी। प्रत्येक 400 वर्ग मीटर कार्पेट एरिया के लिए 3 सेक्शंस की अनुमति दी जाएगी। इस बदलाव का उद्देश्य स्कूलों में भीड़भाड़ को कम करना, दाखिला प्रक्रिया को सुगम बनाना, और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के लक्ष्यों को लागू करना है। यह नियम सभी मौजूदा और नव-संबद्ध CBSE स्कूलों पर लागू होंगे, सिवाय विदेशी CBSE स्कूलों के। आइए, इस नई व्यवस्था, इसके प्रभाव, और इससे जुड़े नियमों को विस्तार से समझते हैं।


नई व्यवस्था का आधार: कार्पेट एरिया पर जोर

पहले CBSE स्कूलों में सेक्शंस की संख्या जमीन के क्षेत्रफल (लैंड एरिया) के आधार पर तय होती थी, लेकिन अब बोर्ड ने इसे बदलकर निर्मित कार्पेट एरिया (built-up carpet area) पर आधारित कर दिया है। कार्पेट एरिया वह उपयोगी क्षेत्र है, जो स्कूल भवन के अंदर कक्षाओं, प्रयोगशालाओं, और अन्य सुविधाओं के लिए उपलब्ध है। इस बदलाव का कारण स्कूलों और हितधारकों से मिली शिकायतें हैं, जिनमें बताया गया कि जमीन की कमी के कारण वे मांग के बावजूद नए सेक्शंस नहीं जोड़ पा रहे हैं। इससे दाखिला प्रक्रिया में बाधा आती है, और छात्रों को लंबी दूरी तय कर स्कूल जाना पड़ता है, जो उनके स्वास्थ्य और सामाजिक विकास को प्रभावित करता है।

नया नियम:

  • प्रत्येक 400 वर्ग मीटर कार्पेट एरिया पर 3 सेक्शंस की अनुमति होगी।

  • उदाहरण के लिए:

    • 4000 वर्ग मीटर कार्पेट एरिया वाले स्कूल को अधिकतम 30 सेक्शंस की अनुमति होगी।

    • 4800 वर्ग मीटर कार्पेट एरिया वाले स्कूल को अधिकतम 36 सेक्शंस की अनुमति होगी।

    • 6200 वर्ग मीटर या अधिक कार्पेट एरिया वाले स्कूल अधिकतम 48 सेक्शंस संचालित कर सकते हैं।

  • सेक्शंस की संख्या बाल वाटिका से कक्षा 12 तक के लिए कुल मिलाकर तय होगी, और माध्यमिक (कक्षा 9-10) और उच्च माध्यमिक (कक्षा 11-12) स्तरों पर समान संख्या में सेक्शंस होंगे।

प्रमाणीकरण: कार्पेट एरिया को स्थानीय निकाय या लाइसेंस प्राप्त आर्किटेक्ट द्वारा प्रमाणित करना अनिवार्य होगा। जमीन का क्षेत्रफल अब केवल स्कूल की श्रेणी (जैसे मिडिल स्कूल, सेकेंडरी, या सीनियर सेकेंडरी) तय करने के लिए उपयोग होगा।


क्यों जरूरी था यह बदलाव?

CBSE के सचिव हिमांशु गुप्ता ने बताया कि कई स्कूलों, खासकर शहरी क्षेत्रों में, जमीन की कमी के कारण नए सेक्शंस शुरू करने में कठिनाई हो रही थी। इससे निम्नलिखित समस्याएं सामने आ रही थीं:

  • दाखिला दबाव: मांग के बावजूद सीमित सेक्शंस के कारण स्कूल नए छात्रों को दाखिला नहीं दे पा रहे थे।

  • छात्र-सेक्शन अनुपात: CBSE के नियमों के अनुसार, प्रत्येक सेक्शन में अधिकतम 40 छात्र होने चाहिए (विशेष परिस्थितियों में 45 तक), लेकिन जमीन की कमी के कारण यह अनुपात बनाए रखना मुश्किल था।

  • छात्रों का स्वास्थ्य और विकास: सीमित सीटों के कारण छात्रों को दूर के स्कूलों में जाना पड़ता था, जिससे उनके शारीरिक, सामाजिक, और मानसिक विकास पर असर पड़ता था।

  • NEP 2020 के लक्ष्य: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत समान शिक्षा और पड़ोस के स्कूलों (neighbourhood schooling) को बढ़ावा देने के लिए यह बदलाव जरूरी था।

नए नियमों से स्कूलों को अपनी क्षमता बढ़ाने और अधिक छात्रों को दाखिला देने की सुविधा मिलेगी, खासकर उन क्षेत्रों में जहां जमीन की कमी है। यह बदलाव मई 2025 में CBSE की गवर्निंग बॉडी द्वारा गठित समिति की सिफारिशों और हितधारकों के फीडबैक के आधार पर लागू किया गया है।


बुनियादी ढांचे के लिए अनिवार्य नियम

नए नियमों के साथ, CBSE ने स्कूलों के लिए बुनियादी ढांचे के मानकों को और सख्त किया है ताकि भीड़भाड़ कम हो और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित हो। निम्नलिखित सुविधाएं अनिवार्य होंगी:

  • कक्षा का आकार: प्रत्येक कक्षा का न्यूनतम आकार 8 मीटर x 6 मीटर (लगभग 500 वर्ग फीट) होना चाहिए, और प्रति छात्र कम से कम 1 वर्ग मीटर का फ्लोर एरिया उपलब्ध होना चाहिए।

  • प्रयोगशालाएं:

    • माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर के स्कूलों में भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, गणित, और कंप्यूटर की प्रयोगशालाएं अनिवार्य होंगी।

    • कंप्यूटर लैब का न्यूनतम आकार 9 मीटर x 6 मीटर (लगभग 600 वर्ग फीट) होगा, और प्रति 20 छात्रों पर 1 कंप्यूटर उपलब्ध होना चाहिए।

  • लाइब्रेरी: न्यूनतम 14 मीटर x 8 मीटर आकार की लाइब्रेरी होनी चाहिए, जिसमें ई-बुक्स, पत्रिकाएं, और आयु-उपयुक्त किताबें हों।

  • अतिरिक्त सुविधाएं: प्रत्येक 6 सेक्शंस के लिए एक अतिरिक्त लाइब्रेरी, लैब, या अन्य शिक्षण सुविधा (जैसे इनडोर गेम रूम, मल्टीपर्पस हॉल) बनानी होगी। 48 सेक्शंस से अधिक वाले स्कूलों को अतिरिक्त प्रयोगशालाएं, लाइब्रेरी, और इनफर्मरी अनिवार्य रूप से स्थापित करनी होंगी।

  • खेल का मैदान: कम से कम 200 मीटर का एथलेटिक्स ट्रैक और कबड्डी, खो-खो, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल जैसे खेलों के लिए सुविधाएं होनी चाहिए।

  • सुरक्षा मानक: सभी नर्सरी और प्रारंभिक कक्षाएं मॉडल बिल्डिंग बाय-लॉज (MBBL) 2016 और स्थानीय अग्नि सुरक्षा नियमों का पालन करेंगी।


विशेष परिस्थितियों में छात्र संख्या

CBSE ने पहले सेक्शन में अधिकतम 40 छात्रों की सीमा तय की थी, लेकिन विशेष परिस्थितियों (जैसे माता-पिता का स्थानांतरण या आवश्यक पुनरावृत्ति) में प्रति सेक्शन 45 छात्रों तक की अनुमति दी गई है। यह छूट 2023-24, 2024-25, और 2025-26 सत्रों के लिए लागू है। हालांकि, स्कूलों को सलाह दी गई है कि वे जूनियर कक्षाओं में दाखिले को नियंत्रित कर इस सीमा को 40 तक लाएं।

शर्तें:

  • 45 छात्रों की सीमा के लिए कक्षा का आकार कम से कम 500 वर्ग फीट होना चाहिए।

  • स्कूलों को अधिक छात्रों के दाखिले का कारण (जैसे स्थानांतरण) एडमिशन विड्रॉल रजिस्टर में दर्ज करना होगा और इसे SARAS पोर्टल पर अपलोड करना होगा।


स्कूलों और छात्रों पर प्रभाव

स्कूलों के लिए लाभ:

  • दाखिला बढ़ाने की सुविधा: जमीन की कमी वाले क्षेत्रों में स्कूल अब कार्पेट एरिया के आधार पर अधिक सेक्शंस शुरू कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली के ITL पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल सुधा आचार्य ने कहा, “पहले हमें सेक्शंस और छात्रों की संख्या की सीमा के कारण दाखिला देने से मना करना पड़ता था। यह बदलाव स्वागतयोग्य है।”

  • ऊंचाई पर लचीलापन: पहले स्कूल भवनों की ऊंचाई पर प्रतिबंध थे, लेकिन अब स्थानीय बाय-लॉज के आधार पर स्कूल नए फ्लोर जोड़ सकते हैं।

छात्रों और अभिभावकों के लिए लाभ:

  • पड़ोस के स्कूल: अधिक सेक्शंस की अनुमति से छात्रों को अपने आसपास के स्कूलों में दाखिला मिलेगा, जिससे लंबी यात्रा की जरूरत कम होगी।

  • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा: अतिरिक्त सुविधाओं (जैसे लैब और लाइब्रेरी) से शिक्षा का स्तर सुधरेगा, जो NEP 2020 के लक्ष्यों के अनुरूप है।

चुनौतियां:

  • इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड: स्कूलों को अतिरिक्त लैब, लाइब्रेरी, और अन्य सुविधाएं स्थापित करने के लिए निवेश करना होगा।

  • प्रमाणीकरण: कार्पेट एरिया का प्रमाणीकरण एक अतिरिक्त प्रक्रिया है, जिसके लिए स्कूलों को स्थानीय निकायों या आर्किटेक्ट्स के साथ समन्वय करना होगा।


अन्य महत्वपूर्ण नियम

  • विदेशी स्कूलों पर छूट: यह नया नियम विदेशी CBSE स्कूलों पर लागू नहीं होगा।

  • SARAS पोर्टल: स्कूलों को सेक्शंस बढ़ाने या घटाने के लिए SARAS पोर्टल पर आवेदन करना होगा।

  • सुप्रीम कोर्ट का आदेश: फरवरी 2025 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, सभी स्कूलों को मॉडल बिल्डिंग बाय-लॉज 2016 और अग्नि सुरक्षा नियमों का पालन करना होगा।


CBSE का यह नया नियम स्कूलों के लिए एक क्रांतिकारीकदम है, जो जमीन की कमी की समस्या को दूर करता है और दाखिला प्रक्रिया को सुगम बनाता है। कार्पेटएरिया के आधार पर सेक्शंस की संख्या तय करने और बुनियादी ढांचे के लिए सख्त नियम लागू करने से स्कूलों में भीड़भाड़ कम होगी और शिक्षा की गुणवत्ताबढ़ेगी। यह बदलाव NEP 2020 के तहत समान और समावेशी शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा। स्कूलों को सलाह दी जाती है कि वे अपने बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करें और SARAS पोर्टल के माध्यम से नए नियमों का पालन करें। यह नई व्यवस्था न केवल स्कूलों बल्कि छात्रों और अभिभावकों के लिए भी लाभकारी होगी। CBSE New Rules


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