बोरवेल में गिरे सुमित को नहीं बचा पाए डॉक्टर, उपचार के दौरान मौत
Child Falls into Borewell गुना जिले के राघौगढ़ में शनिवार शाम 10 साल का बच्चा सुमित मीणा बोरवेल में गिर गया था। वह राघौगढ़ के पीपल्या गांव का निवासी है और शनिवार को खेतों में पतंग उड़ाने के दौरान बोरवेल में गिर गया था। रेस्क्यू टीम ने 16 घंटे की मशक्कत के बात उसे निकाल लिया था, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। उपचार के दौरान सुमित ने दम तोड़ दिया। डॉक्टरों के अनुसार अत्यधिक ठंड से उसके अंगों ने कम करना बंद कर दिया था।
सुमित मीणा (10) शनिवार शाम को पतंग उड़ा रहा था। अचानक वह खेत में स्थित खुले बोरवेल में गिर गया था। जब बच्चा काफी देर तक घर नहीं लौटा, तो परिजनों ने उसकी खोज शुरू की। परिवार और ग्रामीणों के सहयोग से जब बोरवेल के पास पहुंचा गया, तो बोरवेल के गड्ढे में बच्चे का सिर नजर आया। इस दृश्य ने पूरे गांव और उसके परिवार को हिलाकर रख दिया। तुरंत प्रशासन को सूचित किया गया, और रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंच गई।
रेस्क्यू ऑपरेशन की तेज़ी से बढ़ती गतिविधियाँ
रेस्क्यू टीम ने घटनास्थल पर पहुंचते ही खुदाई का काम शुरू किया। प्रारंभ में दो जेसीबी मशीनों और एक पोकलेन मशीन से खुदाई की जा रही थी, लेकिन रात होते-होते दो और जेसीबी मशीनें बुलवा ली गईं। चार जेसीबी मशीनों की मदद से बोरवेल के पास खुदाई की गई। रेस्क्यू ऑपरेशन में भोपाल से एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) की टीम भी शामिल रही। एनडीआरएफ की टीम के पास विशेष औजार हैं, जिनका उपयोग बोरवेल के पास एक सुरंग (टनल) बनाने में किया। जैसे ही खुदाई 45 फीट तक पहुंची, रेस्क्यू टीम इस सुरंग के माध्यम से बच्चे तक पहुंचे।
रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान बच्चे के लिए ऑक्सीजन की भी व्यवस्था की गई । पाइप के माध्यम से बच्चे तक ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही है, ताकि वह सुरक्षित रहे और उसकी सांसें सही तरीके से चलती रहें। मौके पर कलेक्टर डॉ. सतेंद्र सिंह और अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि बच्चों की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए गए। इसके अलावा डॉक्टरों की टीम और एंबुलेंस भी घटनास्थल पर तैनात की गई, ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटा जा सके। ऑक्सीजन सिलेंडर की भी पूरी व्यवस्था की गई है, ताकि बच्चे को किसी प्रकार की सांस लेने में परेशानी न हो।
जबसे यह घटना घटी है, सुमित के पिता दशरथ मीणा की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। वह शनिवार शाम 6 बजे से मंदिर की सीढ़ियों पर बैठकर अपने बेटे की सलामती के लिए भगवान से प्रार्थना करते रहे उन्होंने बताया कि डेढ़ साल पहले ही बोरवेल खोदा गया था। हालांकि, उस बोरवेल में पानी नहीं निकला था, जिसके बाद बोरवेल में केसिंग और मोटर नहीं डाली गई थी।
इस हादसे ने न केवल परिवार बल्कि पूरे गांव को हिलाकर रख दिया है। घटनास्थल पर स्थानीय लोग भी रेस्क्यू ऑपरेशन में प्रशासन की मदद की। ग्रामीणों ने अपनी पूरी कोशिश की है और प्रशासन के निर्देशों के तहत रेस्क्यू टीम की मदद की है।
बोरवेल में गिरने जैसी घटनाएँ अत्यंत खतरनाक होती हैं, लेकिन इस घटना से सीख लेकर भविष्य में बोरवेल के आसपास सुरक्षा व्यवस्था और निगरानी को बेहतर बनाया जा सकता है।
यह खबर भी पढ़ें 👉
मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरियों में बंपर भर्ती का सुनहरा अवसर
POCSO e-Box: बच्चों के यौन शोषण के खिलाफ एक सशक्त और सुरक्षित पहल
मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।