पाकिस्‍तान की जमीन पर पाकिस्‍तान को फटकारा जयशंकर ने

पाकिस्‍तान की जमीन पर पाकिस्‍तान को फटकारा जयशंकर ने

Cross-border Terrorism | भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भाग लेते हुए अपने बेबाक और स्पष्ट संदेश से न केवल पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर कठोर फटकार लगाई, बल्कि चीन को भी भारत की संप्रभुता से जुड़े अहम मुद्दों पर साफ संकेत दिया। जयशंकर का यह दौरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण था, क्योंकि करीब एक दशक के बाद किसी भारतीय विदेश मंत्री ने पाकिस्तान का दौरा किया। उन्होंने अपने भाषण में पाकिस्तान और चीन का नाम लिए बिना उन्हें स्पष्ट रूप से चेतावनी दी और कड़े संदेश दिए।

सीमा पार आतंकवाद पर सख्त संदेश

जयशंकर ने अपने भाषण में सबसे पहले आतंकवाद के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। उन्होंने कहा कि सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली गतिविधियां किसी भी देश के लिए अस्वीकार्य हैं और इससे क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा है। आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए एससीओ (SCO) की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए, जयशंकर ने पाकिस्तान को इशारों में बताया कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली उसकी नीतियों से क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। Cross-border Terrorism

उन्होंने स्पष्ट किया कि एससीओ (SCO) का एक मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देना और आतंकवाद जैसी चुनौतियों से निपटना है। भारत की ओर से यह साफ कर दिया गया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरी नीति नहीं अपनाई जा सकती। यदि किसी सदस्य देश द्वारा आतंकवाद को समर्थन दिया जा रहा है, तो इससे न केवल क्षेत्रीय स्थिरता प्रभावित होती है, बल्कि इसका व्यापक असर वैश्विक शांति पर भी पड़ता है।

संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का मुद्दा

जयशंकर ने अपने संबोधन में चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) और विशेष रूप से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का भी जिक्र किया। उन्होंने इस परियोजना पर भारत की आपत्ति को फिर से दोहराया। CPEC पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है, जिस पर भारत अपनी संप्रभुता का दावा करता है। जयशंकर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कोई भी परियोजना, जो किसी देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती है, उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।

उन्होंने जोर देकर कहा कि शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में सहयोग और विकास की नींव आपसी सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित होनी चाहिए। यह किसी एकतरफा एजेंडे के तहत काम नहीं कर सकता। जयशंकर के इस बयान का सीधा संदर्भ चीन की उन नीतियों की ओर था, जो अपनी परियोजनाओं के जरिए क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ावा दे रही हैं।

पाकिस्तान को सीधी फटकार

जयशंकर ने पाकिस्तान पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर अगर किसी देश के साथ विश्वास की कमी है या यदि पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध नहीं हैं, तो उस देश को आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है। यह टिप्पणी सीधा पाकिस्तान के संदर्भ में थी, जहां से आतंकवादी गतिविधियां कई बार भारत के खिलाफ संचालित होती हैं।

जयशंकर के इस भाषण के दौरान पाकिस्तान के टेलीविजन चैनलों ने समिट का लाइव प्रसारण बंद कर दिया, जो यह दर्शाता है कि उनके बयानों का कितना गहरा प्रभाव पड़ा। पाकिस्तान के लिए यह भाषण एक स्पष्ट संदेश था कि अगर वह सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देना जारी रखता है, तो उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसी तरह की आलोचना का सामना करना पड़ेगा।

एससीओ चार्टर की महत्ता

अपने भाषण के दौरान, जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के चार्टर की याद दिलाते हुए सदस्यों से अनुच्छेद 1 पर ध्यान केंद्रित करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि एससीओ का मूल उद्देश्य आपसी भरोसा, दोस्ती और अच्छे पड़ोसी जैसे संबंधों को मजबूत करना है। इसके अलावा, संगठन का एक अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य क्षेत्रीय स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना है। जयशंकर ने इस पर जोर दिया कि एससीओ को एक सकारात्मक ताकत के रूप में काम करना चाहिए, जो संघर्ष को रोकने और संतुलित विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हो।

उन्होंने कहा कि जब हम वर्तमान समय की चुनौतियों को देखते हैं, तो यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम एससीओ के लक्ष्यों पर ईमानदारी से काम करें। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सहयोग, विश्वास और मित्रता की जरूरत होती है, जो कुछ सदस्य देशों के बीच कमजोर पड़ गई हैं।

 

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आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से निपटने की प्रतिबद्धता

जयशंकर ने कहा कि एससीओ (SCO) चार्टर में तीन मुख्य चुनौतियों का उल्लेख किया गया है: आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए एससीओ पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और इसमें किसी प्रकार की ढिलाई या दोहरे मापदंड नहीं अपनाए जा सकते। भारत ने हमेशा से आतंकवाद के खिलाफ एक कठोर रुख अपनाया है और जयशंकर ने इसी रुख को एससीओ के मंच पर फिर से दोहराया। Cross-border Terrorism

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में आतंकवाद जैसी समस्याएं और भी बढ़ गई हैं और इनसे निपटने के लिए सदस्य देशों के बीच विश्वास और सहयोग जरूरी है। उन्होंने पाकिस्तान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर कोई देश अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध बनाने में विफल रहता है, तो उसे आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है।

चीन के लिए स्पष्ट संदेश

चीन की तरफ इशारा करते हुए जयशंकर ने कहा कि सहयोग वास्तविक साझेदारी पर आधारित होना चाहिए न कि किसी एकतरफा एजेंडे पर। भारत ने पहले भी चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का विरोध किया है, क्योंकि यह परियोजना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरती है। जयशंकर ने चीन को स्पष्ट संदेश दिया कि भारत कभी भी अपनी संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा और किसी भी ऐसी परियोजना को स्वीकार नहीं करेगा, जो उसकी संप्रभुता का उल्लंघन करती हो। Cross-border Terrorism

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पाकिस्तान और चीन के बीच तनाव

जयशंकर का यह भाषण ऐसे समय पर आया है जब चीन और पाकिस्तान के बीच कश्मीर के मुद्दे को लेकर आपसी तालमेल बढ़ता दिख रहा है। चीन ने हाल ही में कश्मीर मुद्दे को पाकिस्तान के साथ मिलकर उठाने की कोशिश की थी, जिसे भारत ने कड़ी आपत्ति जताई। जयशंकर ने बिना नाम लिए इन दोनों देशों को स्पष्ट कर दिया कि भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा।

विदेश मंत्री एस जयशंकर का यह दौरा न केवल पाकिस्तान और चीन के लिए एक सख्त संदेश था, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि भारत आतंकवाद, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता जैसे मुद्दों पर अपने रुख से कभी पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने एससीओ (SCO) के मंच का इस्तेमाल करते हुए वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा की बात की और इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में किसी प्रकार की ढिलाई नहीं होनी चाहिए। उनकी यह यात्रा और भाषण भारत की विदेश नीति और क्षेत्रीय सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।

 

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