मणिपुर में सीआरपीएफ (CRPF) कैंप पर हमला: जवानों का साहसिक जवाब, स्थिति नियंत्रण में

CRPF camp attack | मणिपुर में सीआरपीएफ (CRPF) कैंप पर हमला: जवानों का साहसिक जवाब, स्थिति नियंत्रण में

CRPF camp attack | मणिपुर के कांगपोकपी जिले में स्थित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के कैंप पर हुए हमले ने राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस हमले के बाद सीआरपीएफ डीआईजी (CRPF DIG) मनीष कुमार सच्चर ने बयान जारी करते हुए कहा कि जवानों ने हमलावरों को मुंहतोड़ जवाब दिया और स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है।

हमला कैसे हुआ?

कांगपोकपी के पहाड़ी क्षेत्र में स्थित सीआरपीएफ कैंप (CRPF Camp) पर अचानक हमला हुआ। डीआईजी सच्चर ने बताया कि इस हमले की कोई उम्मीद नहीं थी और किसी प्रकार की तैयारी भी नहीं थी। हमलावरों ने कैंप की छत पर चढ़कर अचानक फायरिंग शुरू कर दी। हालांकि, सीआरपीएफ जवानों (CRPF Officers) ने तत्परता दिखाते हुए तुरंत जवाबी कार्रवाई की और स्थिति को नियंत्रण में ले लिया।

जवानों की प्रतिक्रिया कैसी रही?

हमले के दौरान सीआरपीएफ जवानों (CRPF Jawans) ने बहादुरी से हमलावरों का सामना किया। डीआईजी ने बताया, “हमलावरों ने न केवल गोलियों से हमला किया बल्कि बमों का भी इस्तेमाल किया। पास के दो घरों में भी आग लगा दी गई।” लेकिन सीआरपीएफ (CRPF) की त्वरित कार्रवाई ने हमलावरों को भागने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद इलाके में सुरक्षा बल (Security Forces) की तैनाती बढ़ा दी गई है और स्थिति सामान्य है।

हमले के पीछे कौन था?

इस हमले के पीछे कौन था, इसकी अभी तक कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल सकी है। स्थानीय पुलिस (Local Police) और सुरक्षा एजेंसियां (Security Agencies) जांच कर रही हैं। मणिपुर में अलगाववादी गतिविधियों का लंबे समय से इतिहास रहा है, इसलिए इस घटना में भी कुछ अलगाववादी गुटों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। सीआरपीएफ (CRPF) ने कहा है कि हमलावरों की पहचान जल्द ही कर ली जाएगी।

छात्रों का विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहा है?

इस हमले के बाद इंफाल में हजारों छात्र (Students) सड़कों पर उतर आए और राज्य सचिवालय और राजभवन के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी छात्रों ने राज्य की “क्षेत्रीय और प्रशासनिक अखंडता” की रक्षा की मांग की और हाल में हुए ड्रोन हमलों (Drone Attacks) और मिसाइल हमलों (Missile Attacks) के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। छात्रों ने राज्य सरकार और सुरक्षा बलों (Security Forces) पर अपनी नाराजगी जाहिर की।

विधायकों से इस्तीफा क्यों मांगा गया?

प्रदर्शनकारी छात्रों ने नाराजगी व्यक्त करते हुए अक्षम विधायकों से इस्तीफा देने की मांग की। उनका कहना है कि राज्य सरकार और विधायक (MLAs) जनता की सुरक्षा करने में विफल रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने मणिपुर जिंदाबाद (Manipur Zindabad) और ‘राज्य सरकार को एकीकृत कमान सौंपें’ जैसे नारे भी लगाए।

एकीकृत कमान की मांग क्यों हो रही है?

प्रदर्शनकारी छात्रों ने राज्य की एकीकृत कमान (Integrated Command) को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के हाथों में सौंपने की मांग की है। फिलहाल यह कमान केंद्रीय सुरक्षा बलों (Central Security Forces) द्वारा नियंत्रित है, जो राज्य में सुरक्षा अभियानों की देखरेख करते हैं।

रैलियों में क्या मांगे उठाई गईं?

काकचिंग जिले में हजारों लोग सड़कों पर उतरे और संदिग्ध कुकी उग्रवादियों (Kuki Insurgents) द्वारा नागरिकों की हत्या के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने एसओओ समझौता (SOO Agreement) को रद्द करने की मांग की और राज्य सरकार से हिंसा से निपटने के लिए सख्त कदम उठाने की अपील की। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि इस समझौते से नागरिकों की सुरक्षा खतरे में पड़ रही है।

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मणिपुर में हालात कब सामान्य होंगे?

मणिपुर में हाल के दिनों में बढ़ती हिंसा और हमलों ने आम जनता की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। सीआरपीएफ (CRPF) और अन्य सुरक्षा एजेंसियां (Security Agencies) राज्य में शांति बहाल करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही हैं। हालांकि, मौजूदा स्थिति को देखते हुए, राज्य में पूर्ण शांति बहाल करने में कुछ समय लग सकता है।

मणिपुर में सुरक्षा की स्थिति इस हमले के बाद और भी अधिक चुनौतीपूर्ण हो गई है। हालांकि सीआरपीएफ जवानों (CRPF Officers) ने बहादुरी से हमलावरों को जवाब दिया, लेकिन यह घटना राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। राज्य सरकार और सुरक्षा बलों (Security Forces) को मिलकर जल्द से जल्द मणिपुर में शांति बहाल करनी होगी ताकि आम जनता चैन की सांस ले सके।


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