गीता जयंती 2024: आध्यात्मिक संदेश और समर्पण का पर्व
Geeta Jayanti 2024 | आज गीता जयंती के पावन अवसर पर सम्पूर्ण भारत में भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य उपदेश, श्रीमद्भगवद्गीता का स्मरण किया जा रहा है। इस वर्ष, मध्यप्रदेश शासन ने मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में इस दिन को विशेष रूप से मनाने की पहल की है। राज्य के सभी स्कूलों में गीता के श्लोकों का सस्वर पाठ अनिवार्य किया गया है, जिससे बच्चों में भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के प्रति जागरूकता बढ़े।
गीता का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
गीता, महाभारत के भीष्म पर्व में वर्णित 700 श्लोकों का दिव्य ग्रंथ है। इसे भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में उस समय उपदेशित किया था जब अर्जुन अपने धर्म और कर्तव्य को लेकर भ्रमित थे। गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह जीवन को सही मार्ग पर ले जाने वाला एक अनुपम दर्शन है।
गीता के कुछ महत्वपूर्ण श्लोक और उनके अर्थ
- “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि।” (अध्याय 2, श्लोक 47)अर्थ: तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, फलों में नहीं। इसलिए कर्मों के फल की इच्छा मत करो और न ही अकर्मण्यता की ओर आकर्षित हो।यह श्लोक हमें सिखाता है कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन निस्वार्थ भाव से करना चाहिए और फल की चिंता नहीं करनी चाहिए।
- “योग: कर्मसु कौशलम्।” (अध्याय 2, श्लोक 50)अर्थ: योग कर्मों में कुशलता है।इस श्लोक का तात्पर्य यह है कि जब हम अपने कर्मों को पूरे ध्यान और कौशल के साथ करते हैं, तो वह योग बन जाता है।
- “सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज। अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच:।” (अध्याय 18, श्लोक 66)अर्थ: सभी धर्मों को त्याग कर केवल मेरी शरण में आओ। मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्त कर दूंगा, इसलिए चिंता मत करो।यह श्लोक आत्मसमर्पण और भगवान पर विश्वास का संदेश देता है।
गीता का आधुनिक जीवन में महत्व
गीता के उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने महाभारत के समय थे। यह ग्रंथ हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा देता है। गीता के अनुसार, हर व्यक्ति को अपने जीवन के धर्म और कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में गीता का संदेश मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखने का मार्गदर्शन करता है।
मध्यप्रदेश में गीता जयंती का भव्य आयोजन
मुख्यमंत्री मोहन यादव के मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश सरकार ने इस दिन को वृहद स्तर पर मनाने का निर्णय लिया है। राज्य के सभी सरकारी और निजी स्कूलों में गीता के श्लोकों का सस्वर पाठ आयोजित किया गया। इसके अतिरिक्त, विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जा रहा है।
राज्य के प्रमुख शहरों में गीता जयंती की शोभायात्राएँ निकाली गईं, जिनमें हजारों लोगों ने भाग लिया। इन आयोजनों का मुख्य उद्देश्य युवाओं को गीता के गूढ़ संदेश से अवगत कराना और उनकी जीवनशैली में इसे शामिल करना है।
गीता के संदेश को अपनाने का आह्वान
गीता जयंती हमें अपने जीवन में आत्मचिंतन, कर्म, और भक्ति का महत्व समझाती है। आज, जब हम इस पावन ग्रंथ को स्मरण करते हैं, तो हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि इसके संदेश को अपने जीवन में अपनाकर समाज और राष्ट्र को सशक्त बनाएंगे।
गीता जयंती केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मा को जागृत करने का अवसर है। आइए, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों को आत्मसात करें और एक संतुलित, शांतिपूर्ण, और समृद्ध जीवन की ओर कदम बढ़ाएँ।
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