जी हाँ, आपने सही पढ़ा। जानी-मानी हेल्थ एक्सपर्ट लवनीत बत्रा ने इस ‘साइलेंट किलर’ आदत के बारे में आगाह किया है। अक्सर हम सुबह उठकर जिम जाने या थोड़ा वर्कआउट कर लेने को ही फिटनेस की निशानी मान लेते हैं, लेकिन अगर आप दिन का बाकी बड़ा हिस्सा कुर्सी पर बैठकर बिता रहे हैं, तो आपकी यह एक घंटे की कसरत शायद काफी न हो। लंबे समय तक बैठे रहना आज के समय में सबसे बड़े स्वास्थ्य खतरों में से एक बन गया है, जिसे ‘नई स्मोकिंग’ भी कहा जा रहा है।
बैठे रहना शरीर को कैसे पहुंचाता है नुकसान?
जब हम लंबे समय तक बिना हिले-डुले बैठे रहते हैं – चाहे ऑफिस में काम करते हुए, गाड़ी में सफर करते हुए या घर पर आराम फरमाते हुए – तो हमारा शरीर एक तरह के ‘रेस्ट मोड’ में चला जाता है। इसका सबसे पहला और सीधा असर हमारे मेटाबॉलिज्म पर पड़ता है, जो धीमा हो जाता है।
इस धीमी गति का सीधा प्रभाव हमारे शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों पर पड़ता है:
- ब्लड शुगर लेवल: लंबे समय तक बैठने से शरीर इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील हो जाता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। यह टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ाता है।
- कोलेस्ट्रॉल और फैट स्टोरेज: मेटाबॉलिज्म धीमा होने से शरीर फैट को कुशलता से बर्न नहीं कर पाता, जिससे कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है और शरीर में फैट जमा होने लगता है, खासकर पेट के आसपास।
- ब्लड सर्कुलेशन: लगातार बैठे रहने से पैरों और शरीर के निचले हिस्सों में ब्लड सर्कुलेशन खराब हो सकता है, जिससे सूजन और थक्के जमने (Blood Clots) का खतरा बढ़ जाता है।
- हृदय रोग (Heart Disease): खराब मेटाबॉलिज्म, बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल और खराब सर्कुलेशन मिलकर हृदय रोगों, हाई ब्लड प्रेशर और स्ट्रोक के खतरे को काफी बढ़ा देते हैं।
- वजन बढ़ना: निष्क्रियता कैलोरी बर्न को कम करती है, जिससे आसानी से वजन बढ़ने लगता है और मोटापा कई अन्य बीमारियों का कारण बनता है।
- मांसपेशियों और हड्डियों पर असर: लंबे समय तक निष्क्रिय रहने से मांसपेशियां कमजोर और छोटी हो सकती हैं, और हड्डियों का घनत्व भी कम हो सकता है।
‘एक्टिव काउच पोटैटो’ – एक नया खतरा!
आजकल एक नया शब्द सुनने को मिल रहा है – ‘एक्टिव काउच पोटैटो’ (Active Couch Potato)। इसका मतलब उन लोगों से है जो रोज़ाना एक तय समय (जैसे 1 घंटा) तो कसरत करते हैं या जिम जाते हैं, लेकिन दिन का बाकी बड़ा हिस्सा (10-12 घंटे) बैठकर या लेटकर बिताते हैं। एक्सपर्ट्स साफ तौर पर कहते हैं कि केवल 1 घंटे की कसरत दिनभर की लंबी निष्क्रियता के गंभीर नकारात्मक प्रभावों को पूरी तरह से खत्म नहीं कर सकती। शरीर को पूरे दिन बीच-बीच में मूवमेंट की ज़रूरत होती है।
तो क्या है समाधान?
अच्छी खबर यह है कि आप इस खतरे से बच सकते हैं, और इसके लिए बहुत बड़े बदलावों की ज़रूरत नहीं है। बस थोड़ी सी जागरूकता और नियमितता आपको स्वस्थ रख सकती है:
- हर 30-40 मिनट में ब्रेक लें: यह सबसे ज़रूरी नियम है। अपनी कुर्सी से उठें, थोड़ी देर टहलें। पानी पीने जाएँ, वॉशरूम ब्रेक लें या बस खड़े होकर हल्के स्ट्रेचिंग व्यायाम करें।
- स्टैंडिंग डेस्क का इस्तेमाल करें: अगर आपके काम की प्रकृति ऐसी है तो बीच-बीच में खड़े होकर काम करने के लिए स्टैंडिंग डेस्क का उपयोग करने पर विचार करें।
- खड़े होकर बात करें: फोन पर बात करते समय या सहकर्मियों के साथ छोटी चर्चा करते समय खड़े हो जाएँ।
- सीढ़ियों को प्राथमिकता दें: एक या दो मंजिल ऊपर या नीचे जाने के लिए लिफ्ट या एस्केलेटर की बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल करें।
- चलते-फिरते रहें: घर पर टीवी देखते समय या लैपटॉप इस्तेमाल करते समय भी लगातार बैठे न रहें। बीच-बीच में उठकर टहलें, खड़े हो जाएँ या हल्के-फुल्के काम करें।
- अपने ‘सिटिंग टाइम’ को ट्रैक करें: जागरूक रहें कि आप दिन में कुल कितना समय बैठे रहते हैं और इसे कम करने का लक्ष्य निर्धारित करें।
याद रखें, स्वस्थ रहने का मतलब सिर्फ जिम जाना नहीं है, बल्कि दिनभर सक्रिय रहना है। छोटे-छोटे बदलाव करके आप लंबे समय तक बैठने के गंभीर खतरों से खुद को और अपने प्रियजनों को बचा सकते हैं। अपनी सेहत को प्राथमिकता दें और आज से ही अपनी आदतों में सुधार करें!
यह महत्वपूर्ण जानकारी अपने दोस्तों और परिवार के साथ ज़रूर शेयर करें, ताकि वे भी इस ‘साइलेंट किलर’ के प्रति जागरूक हो सकें। Harmful effects of sitting for long hours
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