मुगलों की हार और आमों का राजा! चौसा आम का चौंकाने वाला इतिहास, जो हर भारतीय को जानना चाहिए
History of Chausa Mango | क्या आप भी गर्मियों में चौसा आम के दीवाने हैं? 🤤 इसकी सुनहरी रंगत, रसीलापन और अविश्वसनीय मिठास हर किसी को दीवाना बना देती है! लेकिन क्या आप जानते हैं, इस ‘आमों के राजा’ के नाम के पीछे एक ऐसी ऐतिहासिक कहानी छिपी है, जो आपको हैरान कर देगी! ये सिर्फ एक फल नहीं, बल्कि मुगल बादशाह हुमायूं की हार का जीता-जागता सबूत है! 😱 History of Chausa Mango
भारत में आम की सैकड़ों किस्में हैं, हर एक का अपना स्वाद और इतिहास है। लंगड़ा, दशहरी, अल्फांसो… लेकिन चौसा की बात ही अलग है! इसकी अनूठी खुशबू और फाइबर-फ्री गूदा इसे दुनिया भर में खास बनाता है। लेकिन इसका नाम कैसे पड़ा? आइए जानते हैं इस रोचक दास्तान को, जिसमें शामिल हैं एक शक्तिशाली मुगल बादशाह, एक चालाक अफगान योद्धा और बिहार का एक छोटा सा कस्बा! 🤯 History of Chausa Mango
16वीं सदी का वो खूनी युद्ध और आम का नया नाम!
बात है 16वीं शताब्दी की, जब भारत की धरती पर सत्ता के लिए घमासान मचा हुआ था। इस कहानी के तीन मुख्य किरदार हैं:
- मुगल बादशाह हुमायूं: जिसने भारत पर मुगल साम्राज्य की नींव रखी थी।
- शेरशाह सूरी: एक महत्वाकांक्षी अफगान शासक, जो मुगल वर्चस्व को चुनौती दे रहा था।
- चौसा, बिहार: एक छोटा सा स्थान, जो इतिहास के एक बड़े मोड़ का गवाह बना।
1539 में, बिहार के इसी चौसा नामक स्थान पर हुमायूं और शेरशाह सूरी की सेनाएं आमने-सामने आ गईं। दोनों ओर से पूरी ताकत झोंक दी गई, लेकिन अंत में बाजी शेरशाह सूरी ने मार ली! हुमायूं को इस युद्ध में करारी हार का सामना करना पड़ा। चौसा का यह युद्ध भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण तारीख के रूप में दर्ज हो गया। 🗓️
जब हार की निशानी बन गया पसंदीदा आम!
शेरशाह सूरी आमों का बहुत बड़ा शौकीन था। उसे गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) के आम बेहद पसंद थे, जिन्हें उस समय गाजीपुरिया आम के नाम से जाना जाता था। हुमायूं पर अपनी इस ऐतिहासिक जीत को हमेशा के लिए यादगार बनाने के लिए, शेरशाह ने अपने पसंदीदा गाजीपुरिया आम का नाम बदलकर चौसा आम रख दिया! 😲
और इस तरह, गाजीपुरिया आम हमेशा के लिए चौसा में हुमायूं की हार का प्रतीक बनकर इतिहास के पन्नों में अमर हो गया। आगे चलकर, मुगल बादशाह औरंगजेब को भी इस चौसा आम का स्वाद खूब भाया! 😋 History of Chausa Mango
चौसा आम की वो खास बातें, जो इसे बनाती हैं ‘आमों का राजा’:
- पकने के बाद इसका रंग सुनहरा पीला हो जाता है, जो इसे और भी आकर्षक बनाता है। ✨
- इसके गूदे में एक भी रेशा नहीं होता, जिससे खाने का अनुभव और भी लाजवाब हो जाता है। 🤤
- यह आम बेहद रसीला और अत्यंत मीठा होता है, जो इसे बच्चों से लेकर बड़ों तक सबका पसंदीदा बनाता है। 🍯
- चौसा आम विटामिन सी का एक बेहतरीन स्रोत है, जो हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। 💪
इन्हीं खासियतों के कारण आज पूरी दुनिया में चौसा आम की भारी डिमांड है! इसका निर्यात मध्य पूर्व, यूरोप, कनाडा और अमेरिका तक होता है। इसकी मांग न केवल इसके स्वाद के कारण है, बल्कि इसके सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण भी है। यह आम हमें एक ऐतिहासिक युद्ध और एक साम्राज्य की हार की याद दिलाता है, जो एक फल के नाम के साथ हमेशा के लिए जुड़ गई! 🥭👑
तो अगली बार जब आप चौसा आम का स्वाद लें, तो इसके मीठे रस के साथ-साथ इसके रोचक इतिहास को भी याद रखिएगा! यह सिर्फ एक आम नहीं, बल्कि इतिहास का एक स्वादिष्ट टुकड़ा है! 😉 History of Chausa Mango
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।