Raksha Bandhan 2024 : भद्रा के बाद ही बांधें राखी, जानिए क्यों भद्रा में शुभ कार्य करने से बचना चाहिए
इस वर्ष रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का पावन पर्व 19 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा। लेकिन इस दिन सुबह से लेकर दोपहर 1.30 बजे तक भद्रा (Bhadra) का योग रहेगा। ज्योतिषियों के अनुसार, भद्रा का समय किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है, इसलिए इस अवधि में राखी बांधने से बचना चाहिए। आइए जानते हैं कि भद्रा क्या है, इसका महत्व क्या है, और क्यों इसके दौरान शुभ कार्य करने से मना किया जाता है।
भद्रा (Bhadra) क्या है?
भद्रा (Bhadra) का उल्लेख हमारे वैदिक ग्रंथों में मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भद्रा सूर्य देव (Sun God) और छाया (Chhaya) की पुत्री और शनिदेव (Shani Dev) की बहन मानी जाती हैं। भद्रा का स्वभाव उग्र और क्रूर है, और यही कारण है कि इसके प्रभाव के दौरान शुभ कार्यों से बचने की सलाह दी जाती है।
भद्रा का समय पंचांग (Panchang) के अनुसार तय होता है। भद्रा का प्रभाव तब शुरू होता है जब यह कालसर्प योग (Kalasarpa Yoga) के रूप में ग्रहों की स्थिति से मेल खाता है। यह योग अशुभ माना जाता है और इस दौरान किए गए कार्यों में बाधा, विपत्ति, और विफलता की संभावना रहती है।
भद्रा (Bhadra) के समय शुभ कार्य क्यों नहीं किए जाते?
भद्रा (Bhadra) को अशुभ काल (Inauspicious Time) माना जाता है। मान्यता है कि भद्रा के दौरान किए गए कार्यों का फल विपरीत हो सकता है। यह समय विशेष रूप से विवाह (Marriage), मुंडन (Mundan), गृह प्रवेश (Griha Pravesh) जैसे मंगल कार्यों के लिए प्रतिकूल होता है। भद्रा के समय किए गए कार्यों में नकारात्मक ऊर्जा (Negative Energy) का प्रभाव अधिक होता है, जो कार्य की सफलता को प्रभावित कर सकता है।
इसलिए, जब भी भद्रा का योग होता है, तो शुभ कार्यों को या तो भद्रा समाप्त होने के बाद किया जाता है, या फिर उस दिन टाल दिया जाता है। रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) के दिन भी भद्रा का योग होने के कारण, राखी बांधने का शुभ मुहूर्त (Auspicious Time) भद्रा के समाप्त होने के बाद ही माना गया है।
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रक्षाबंधन पर भद्रा का प्रभाव
रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) के दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं। यह त्योहार भाई-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक है। लेकिन इस साल, 19 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन सुबह से दोपहर 1.30 बजे तक भद्रा (Bhadra) का योग रहेगा, जिसके चलते राखी बांधने का शुभ मुहूर्त (Auspicious Time) 1.30 बजे के बाद ही शुरू होगा।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, भद्रा के समय किसी भी प्रकार के मंगल कार्य (Auspicious Activities) से बचने की सलाह दी जाती है। क्योंकि भद्रा के दौरान किए गए कार्यों में विघ्न और अशांति उत्पन्न हो सकती है, इसलिए इस समय में राखी बांधने से बचना चाहिए।
भद्रा समाप्त होने के बाद राखी बांधने का समय
भद्रा (Bhadra) के समाप्त होते ही, दोपहर 1.30 बजे के बाद से सूर्यास्त (Sunset) तक बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं। यह समय पूरी तरह से शुभ (Auspicious) माना जाता है और इस दौरान बिना किसी चिंता के राखी बांधी जा सकती है।
यदि किसी कारणवश दिन में राखी नहीं बांध पा रहे हैं, तो सूर्यास्त के बाद भी राखी बांधने की परंपरा (Tradition) निभाई जा सकती है। हालांकि, रात्रि में रक्षाबंधन करने का उल्लेख किसी शास्त्र में नहीं मिलता, फिर भी यह मान्यता है कि यदि दिन में राखी बांधने का अवसर न मिले, तो रात में भी यह कार्य किया जा सकता है।
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निष्कर्ष
रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) के इस महत्वपूर्ण पर्व पर भद्रा (Bhadra) के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, राखी बांधने का कार्य 1.30 बजे के बाद ही करना उचित रहेगा। भद्रा का समय किसी भी शुभ कार्य के लिए अनुकूल नहीं होता, इसलिए इस अवधि में सावधानी बरतना आवश्यक है। रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के बीच स्नेह और विश्वास को और अधिक मजबूत करता है, और इसे सही मुहूर्त में मनाना दोनों के जीवन में सुख और समृद्धि लाता है।